पहाडिय़ों से गहरे गड्ढे
17-Apr-2018 06:03 AM 1234969
बुंदेलखंड क्षेत्र में आने वाले मप्र के छह और यूपी के सात जिलों में मौरंग, ग्रेनाइट का खनन बड़े पैमाने पर होता है। बुंदेलखंड में छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, सागर, ललितपुर, झांसी, महोबा और बांदा जिले में ग्रेनाइट के अलावा फर्शी पत्थर, रेत का भी कारोबार बड़े पैमाने पर अवैध रूप से संचालित होता है। इन क्षेत्रों में अवैध खनन की स्थिति का आंकलन इसी से लगाया जा सकता है कि माफिया ने यहां की पहाडिय़ों को काट कर उन्हें गड्ढे में तब्दिल कर दिया है। बुंदेलखंड में पहाड़ों के इर्द-गिर्द बसे हजारों लोगों की जान हमेशा सांसत में रहती है। पहाड़ों में विस्फोट के दौरान मरने वाले मजदूरों की जान का सौदा 10-50 हजार रुपए में आसानी से पट जाता है। बुंदेलखंड में जहां भी पहाड़ हैं, वहां बेधडक़ ब्लास्टिंग होने से आस-पास बसे लोगों को खासा परेशान होना पड़ रहा है। पहाड़ों की बहुलता वाले महोबा जिले में तो हालात चिंताजनक हो चुके हैं। पहाड़ों में बेहिसाब बारूद ठूंसकर किए जा रहे विस्फोटों से आस-पास की बस्तियों तक पत्थरों की बौछार होने से आए दिन लोगों के लहूलुहान होने के साथ ही उनकी घर-गृहस्थी भी तबाह होती है। पहाड़ पट्टाधारकों की पुलिस से कथित मिलीभगत और सदैव सत्ता के निकट रहने का उनका हुनर लोगों को चुप्पी साधने को मजबूर करता है। बुंदेलखंड की खनिज संपदा हर वर्ष प्रदेश सरकार के खजाने में अरबों रुपए पहुंचा रही है। आलम यह है कि बुंदेलखंड में जहां कभी पहाड़ होते थे वहां अब खुदाई ने खाई बना दी है। पर्यावरण प्रदूषण से जान और जमीन, दोनों पर खतरा मंडरा रहा है। पत्थर तोडऩे वाली एक इकाई से उठती धूल मीलों दूर से दिख जाती है। पत्थर खनन और क्रशर उद्योग से जुड़े लोग बताते हैं कि प्रधानमंत्री स्वर्ण चतुर्भुज सडक़ योजना के तहत उत्तर प्रदेश समेत देश के विभिन्न राज्यों में सैकड़ों किलोमीटर लंबी सडक़ें बनाने का ठेका पाई सोमदत्त बिल्डर्स, आइकॉन लिमिटेड और डीपीसीएल जैसी कंपनियों ने अत्याधुनिक एवं भारी-भरकम क्रशर प्लांट लगाकर जहां बड़ी तादाद में श्रमिकों को बेरोजगार कर दिया है, वहीं कच्चा माल जुटाने के लिए पट्टाधारकों से किराए पर लिए गए पहाड़ों को सैकड़ों फिट गहरे तालाबों में तब्दील करने में जुटे हैं। लाखों रुपए माहवारी में किराए पर लिए गए पहाड़ों में छह से आठ इंच व्यास वाले 20-20 फुट गहराई तक होल करके ब्लास्टिंग की जा रही है। विस्फोट की भाषा में इसे हैवी ड्यूटी डबल जेड ब्लास्टिंग कहा जाता है। इनकी देखा-देखी अन्य ने भी यही तरीका अख्तियार कर लिया है। इस ब्लास्टिंग से एक ही बार में पहाड़ों से उखडऩे वाले सैकड़ों ट्रक पत्थर आस-पास की बस्तियों में कहर बरपा रहे हैं। ब्लास्टिंग की व्यापकता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पहाड़ों में जितना खनन कई माह में हजारों श्रमिक मिलकर करते थे, उतना अब केवल दो-तीन दिनों में सिमट जाता है। इसके चलते पहाड़ों का तेजी से सफाया हो रहा है। बुंदेलखंड में खेती योग्य जमीन पर क्रेशर लग रहे हैं। इस कारण खेती कई क्षेत्रों में तो लुप्त हो गई है। नियमत: के्रशर उस जमीन पर लगना चाहिए जिसका लगान न जाता हो और वो आबादी, स्कूल से दूर हो। लेकिन बुंदेलखंड में हर कहीं क्रेशर दिख जाएंगे। अगर इसी रफ्तार में पहाड़ों पर खनन जारी रहा तो दो-तीन वर्षों में जिले में कोई पहाड़ नजर नजर नहीं आएगा। बहुमूल्य हंै बुंदेलखंड के खनिज भंडार बुन्देलखण्ड का पठार मध्यप्रदेश के टीकमगढ़, छतरपुर, दतिया, ग्वालियर तथा शिवपुरी जिलों में विस्तृत है। सिद्धबाबा पहाड़ी (1722 मीटर) इस प्रदेश की सबसे ऊंची पर्वत श्रेणी है। बुन्देलखण्ड की भौगोलिक बनावट के अनुरूप गुलाबी, लाल और भूरे रंग के ग्रेनाइट का बड़ा बीज वाला किस्मों के लिये विन्ध्य क्षेत्र के जनपद झांसी, ललितपुर, महोबा, चित्रकूट- बांदा, दतिया, पन्ना और सागर जिले प्रमुखत: हैं। भारी ब्लाकों व काले ग्रेनाइट सागर और पन्ना के कुछ हिस्सों में पाये जाते हैं इसकी एक किस्म को झांसी रेड कहा जाता है। छतरपुर में खनन के अन्तर्गत पाये जाने वाले पत्थर को फाच्र्यून लाल बुलाया जाता है। सफेद, चमड़ा, क्रीम, लाल बलुआ पत्थर अलग-अलग पहाडिय़ों की परतों में मिलते हैं। जिनको लूटने के लिए माफिया दिन-रात जुटे हुए हैं। -सिद्धार्थ पाण्डे
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