04-Jul-2013 09:14 AM
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गुजरात में ही नहीं सारे देश में नरेंद्र मोदी अब लोहे की राजनीति करने वाले हैं। दरअसल वे सरकार सरोवर नर्मदा डेम से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर सरदार पटेल की 182 फिट ऊंची दुनिया

की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाने का संकल्प कर चुके हंै और इसके लिए उन्होंने देश के गांव-गांव से कुछ उसी अंदाज में लोहा मांगा है। जिस अंदाज में कभी कमल और रोटी गांव-गांव से देश के स्वतंत्रता संग्राम के लिए एकत्र होती थी। पटेल के नाम पर राजनीति की यह अनोखी मिसाल है। भारतीय जनता पार्टी के पास अपने तो कोई लोह पुरुष हैं नहीं और न ही कोई महात्मा हैं। लिहाजा कांग्रेस की सरकार में उप प्रधानमंत्री रहे वल्लभ भाई पटेल और विश्व के सर्वस्वीकार्य महात्मा गांधी का पेटेंट भारत जनता पार्टी ने करा लिया है। भाजपा मनोवृत्ति का एक विचारक लालकृष्ण आडवाणी को गांधीवादी पहले ही घोषित कर चुका है और अब मोदी स्वयं को पटेलवादी घोषित करने पर आमादा हंै और इसीलिए उन्होंने कहां है कि देश के लोगों से वे लोहा मागेंगे लोह पुरुष के लिए। यह अभियान अक्टूबर में चालू होगा पर इसका विरोध भी शुरू हो गया है। सरकार सरोवर डेम के आसपास रहने वाले स्थानीय लोग मोदी की इस स्वप्न परियोजना के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह परियोजना स्थानीय पर्यावरण संतुलन के लिए घातक है। केवल यही परियोजना नहीं बल्कि एक अन्य परियोजना का भी विरोध हो रहा है और इस विरोध में भाजपाई भी शामिल हैं।
मंडल बेचारजी को विशेष निवेश क्षेत्र के रूप में विकसित करने के गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ करीब 5 हजार किसानों ने विरामगम के नजदीक वि_लपुर चौराहे से गांधी नगर तक ट्रैक्टर रैली निकाली थी। मंडल बेचारजी में विशेष निवेश क्षेत्र बनाना भी मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना है। यहीं पर मारुति सुजुकी इंडिया का प्रस्तावित संयंत्र भी बनने वाला है। लेकिन स्थानीय किसान इसका विरोध कर रहे हैं। किसानों का समर्थन करने वालों में सामाजिक कार्यकर्ताओं के अलावा प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री सनत मेहता, पूर्व भाजपा विधायक कानू कलसरिया और योजना आयोग के पूर्व सदस्य वाई के आगा शामिल थे। इससे पहले कलसरिया ने भावनगर जिले में नीरमा के सीमेंट संयंत्र का विरोध किया था। रैली के बाद किसानों ने राज्य के राजस्व मंत्री आनंदी पटेल को एक ज्ञापन सौंप कर मंडल-बेचारजी को विशेष निवेश क्षेत्र बनाने संबंधी नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की।
मोंटेक-मोदी में टकराव
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजना आयोग की उन दलीलों को मानने से इनकार कर दिया है कि सामाजिक क्षेत्रों में राज्य की प्रगति जैसी होनी चाहिए, वैसी नहीं है। राज्य की वार्षिक योजना राशि तय करने दिल्ली पहुंचे मोदी ने डेढ़ घंटे से अधिक समय तक चली बैठक में आयोग के सदस्यों और सलाहकारों के सवालों के जवाब खुद न देकर अपने अधिकारियों को देने दिया। लेकिन सामाजिक क्षेत्रों में राज्य की प्रगति के कथित तौर पिछडऩे का उन्होंने खंडन करते हुए कहा कि आयोग ने जिस योजना राशि (59,000 करोड़ रुपए) को स्वीकृति दी है, उसमें से भी 42 प्रतिशत राशि सामाजिक क्षेत्रों पर ही खर्च की जाएगी। बैठक में मौजूद एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आयोग ने मुख्य रूप से अल्पसंख्यकों की शिक्षा, कृषि और स्कूलों में ड़्ॉपआउट रेट्स पर मोदी को घेरने की कोशिश की लेकिन वे और उनके अधिकारी पूरी तैयारी के साथ आए थे। उन्होंने आंकड़ों के जरिए अपनी बातों का समर्थन किया और दूसरी तरफ, आयोग व केंद्र के आरोपों की वजह कई किस्म के स्रोतों से आने वाले गलत आंकड़ों को बताया। बैठक से पहले नरेंद्र मोदी के आदेश पर गुजरात सरकार की उपलब्धियों पर 15 मिनट की एक फिल्म भी दिखाई गई। आयोग में बैठक से काफी पहले से मीडिया को बाहर रखा गया था और व्यापक सुरक्षा के इंतजाम थे जो इससे पहले के वर्षों में मोदी के योजना आयोग आने के समय नहीं देखे गए थे। आयोग के उच्चाधिकारी ने स्पष्ट किया कि इस संबंध में आदेश गुजरात के मुख्यमंत्री की ओर से ही आए थे। बैठक में राज्यमंत्री राजीव शुक्ला ने गुजरात के स्कूलों में एससी और एसटी बच्चों के ड्रॉपआउट दरों में बढ़ोतरी और धार्मिक व पर्यटन स्थल द्वारका में बुनियादी ढांचों की कमी का मुद्दा उठाया। मोदी की ओर से उनके अधिकारियों ने तर्क दिया कि इन सामाजिक क्षेत्रों में गुजरात सरकार लगातार काम कर रही है लेकिन सुधार की संभावनाएं भी अनंत हैं। उनकी दलील यह थी कि ड्रॉपआउट रेट्स के मामले में गुजरात, तमिलनाडु जैसे राज्य से भी बेहतर स्थिति में है। कृषि की दशा सुधारने के लिए मोदी ने बैठक में घोषणा की कि वह राज्य में कृषि की स्थिति सुधारने के लिए कृषि आयोग का गठन कर रहे हैं। उन्होंने हर दो साल में राज्य में अंतरराष्ट्रीय कृषि सम्मेलन आयोजित करने की भी बात की।
मोदी ने कहा कि राज्य सरकार उम्मीद कर रही थी कि वर्ष 2013-14 के लिए राज्य की वार्षिक योजना राशि 58,000 करोड़ रुपए होगी लेकिन आयोग ने राज्य की विकास दर को देखते हुए इसे 59,000 करोड़ कर दिया। इसमें 3,979 करोड़ की केन्द्रीय सहायता राशि भी शामिल है। इसके अतिरिक्त, केन्द्र की ओर विभिन्न केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के तहत 6000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त आवंटन राज्य को जाएगा। मिलाजुला कर, केंद्र सरकार की ओर से गुजरात सरकार को सभी स्त्रोतों से योजना सहायता के तौर पर करीब 10,000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे।
सुनील सिंह