मंत्रियों की बेबसी
02-Apr-2018 07:14 AM 1234770
मध्य प्रदेश में चुनाव होने में अभी करीब 8 माह का समय है पर प्रदेश में चुनावी साल में मंत्रियों के बिगड़े बोल और कारगुजारियों ने बीजेपी और सरकार के माथे पर परेशानी बढ़ा दी है। पिछले एक महीने में ही मंत्रियों की कारगुजारी से बीजेपी की छवि को काफी धक्का लगा है। जहां एक और कई मंत्रियों के बिगड़े बोल ने जनता में बीजेपी सरकार की छवि खराब की है। अभी हाल ही में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव का ऑडियो वायरल हुआ। जिसमें वे कह रहे हैं कि उन्हें कोई मुख्यमंत्री नहीं बनाएगा। ना उनको मुख्यमंत्री बनने की चाहत है। जिन्हें मुख्यमंत्री बनने की चाहत है वो दिल्ली के रोज चक्कर काट रहे हैं। जाहिर है गोपाल भार्गव ने एक बयान से प्रदेश के कई बड़े नेताओं पर एक साथ निशाना साधा है। साथ ही बयान से सवाल भी उठता है कि क्या मुख्यमंत्री पद पाने के लिए बीजेपी के कुछ नेता दिल्ली के चक्कर काट रहे हैं। गोपाल भार्गव अपने उस कथित ऑडियो पर सफाई पेश कर रहे थे जिसमें वह दिव्यांगों से कहते सुनाई दे रहे थे कि उन्हें मुख्यमंत्री बना दो तो वो सारी मांगें पूरी कर देंगे। अक्सर अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले मध्य प्रदेश के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव का यह ऑडियो वायरल हुआ है 23 सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले दिनों आंदोलन करने वाले दिव्यांगों से मंत्री की बातचीत का यह ऑडियो है जो 21 मार्च का बताया जा रहा है। ऑडियो में मंत्री का दर्द झलकाता हुआ सुनाई दे रहा हैं। अपनी ही सरकार में काम नहीं करा पाने की असमर्थता को जता रहे हैं। ऑडियो में मंत्री कहते सुनाई दे रहे हैं कि अधिकारी मेरी नहीं सुन रहे तो क्या मैं आत्मदाह कर लूं या इस्तीफा दे दूं, यह सारे काम मुख्यमंत्री के हैं हमें बना दो मुख्यमंत्री। दिव्यांगों का धरना स्थगित किए हुए करीब डेढ़ महीना बीत चुका है, लेकिन उनकी समस्याएं अभी जस की तस बनी हुई हैं। वहीं आंदोलन के दौरान 9 दिव्यांगों पर धारा 151 के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसकी पेशी भी चल रही है। दिव्यांगों के खिलाफ प्रकरण अदालत में चले गए हैं। इन्ही सभी समस्याओं के सम्बन्ध में दिव्यांगों ने मंत्री गोपाल भार्गव से मुलाकात की थी, जिसकी बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ है। वैसे देखा जाए तो प्रदेश में मंत्रियों के बिगड़े बोल लगातार सामने आते रहे हैं। खासकर गोपाल भार्गव, गौरीशंकर बिसेन, विजय शाह, ओमप्रकाश धुर्वे और रुस्तम सिंह तो ऐसे मंत्री हैं जो अपने बिगड़े बोलों के कारण हमेशा चर्चा में रहते हैं। स्कूल शिक्षामंत्री विजय शाह तो अश्लील से अश्लील शब्द बोलने से भी नहीं चूकते हैं। विजयशाह के बिगड़े बोले के कारण ही एक बार मंत्रीमंडल से बाहर भी होना पड़ा था। दरअसल प्रदेश में पिछले 14 साल से अधिक समय से सत्ता में रही भाजपा के मंत्रियों और पदाधिकारियों पर सत्ता का मद चढ़ गया है। इसलिए वे पार्टी के शिष्टाचार और पद की गरिमा को भी भूलते जा रहे हैं। प्रदेश में अफसर राज से परेशान हैं मंत्री मेरी लॉटरी निकाल मुरली वाले नंदलाल-गरीब आदमी की दिन-रात यही फरियाद होती है। अब किसी राजनीतिज्ञ से पूछें कि उसकी क्या फरियाद है तो वह मंत्री पद को लॉटरी के बराबर ही मानता है। बस, मंत्री बनने का ख्वाब पूरा हो जाए तो उसके बाद कुछ नहीं मांगूंगा। मगर, मप्र के कई मंत्री तो बेबस हैं। मंत्री बनने के बाद भी वे कह रहे हैं-यह जीना भी कोई जीना है। जब कोई अफसर उनकी बात न माने, जब उनके आदेश सिर्फ कागजों में ही रह जाएं या विधायक आकर-झल्लाकर चलें जाएं तो फिर मंत्री पद किस काम का। हद तो यह है कि एक मंत्री फोन करें और अफसर उस पर रेस्पॉन्स न करें तो फिर मंत्रियों की हालत पर तरस भी आता है। दरअसल प्रदेश में अधिकांश विभागों में मंत्री से अधिक अफसर की चलती है। अफसरों से परेशान मंत्रियों यशोधरा राजे सिंधिया, गौरीशंकर बिसेन, कुसुम मेहदेले, गौरीशंकर शेजवार, लालसिंह आर्य और रामपाल की बेबसी कई बार सामने आ चुकी है। यही नहीं जब यशोधरा राजे सिंधिया ने अफसर को हटाने की मांग की तो मंत्री का ही विभाग ही बदल दिया गया। वर्तमान समय में नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री मायासिंह भी अपने विभागीय अफसरों से परेशान हैं। -सुनील सिंह
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