02-Apr-2018 07:01 AM
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महाराष्ट्र के मंत्रालय भवन में चूहों को मारने के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला किया गया है और ये आरोप लगाने वाले कोई विपक्ष के नेता नहीं बल्कि बीजेपी के ही अपने नेता और महाराष्ट्र सरकार में पूर्व राजस्व मंत्री रह चुके एकनाथ खड़से हैं। दरअसल पूरा मामला तब सामने आया जब एकनाथ खडसे ने महाराष्ट्र विधानसभा में बजट मांगों पर चर्चा के दौरान कुछ कागजों को आरटीआई का जवाब बताते हुए राज्य सरकार पर चूहे मारने को लेकर एक बड़ा घोटाला करने का आरोप लगाने लगे। मामला सिर्फ आरोप लगा देने से खत्म नहीं हो गया बल्कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस से खफा खाये इस पूर्व मंत्री ने एक के बाद एक कई सवाल दागे जो काफी हद तक वाजिब हैं और चूहे मारने के नाम पर घोटाला करने के संदेह को गहराते नजर आ रहे हैं।
दरअसल यह मामला मई 2016 का है। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक जिस कंपनी को चूहे मारने का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था, उसने 3 मई 2016 से 10 मई 2016 तक यानी महज 7 दिनों में तीन लाख उन्नीस हजार चार सौ उन्नीस चूहे मारने का दावा करके सरकार से पैसे भी ले चुका है। यह आंकड़ा वास्तव में काफी हैरान करने वाला है।
एकनाथ खडसे ने घोटाले का आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी ने इतनी सटीक गिनती कैसे की? चलो मान लेते हैं कि गिनती कर भी ली, तो इन लाखों चूहों को कैसे मारा गया? जहर दिया गया? कोई गोली दी गई? या फिर किसी और तरीके से मारा गया। इतनी भारी मात्रा में जहर मंत्रालय में लाने की अनुमति ली गई थी या नहीं ली गई थी? खड़से ने आरटीआई के जवाब को आधार बनाते हुए कहा कि इस कॉन्ट्रैक्टर ने हर दिन करीब 45628 चूहे मारे। इसका मतलब हुआ कि हर घंटे लगभग 1900 चूहे और हर मिनट लगभग 32 चूहे मारे गए। इतने चूहों का वजन करीब 9125 किलो के आसपास होगा। अब सवाल उठता है कि इतने ज्यादा वजन के चूहों को मंत्रालय के बाहर ले जाने के लिए ट्रक की जरूरत पड़ेगी, तो ट्रक कब आया था? सरकार ये भी बताए कि डेड बॉडी के साथ क्या किया गया? कहां दफनाया गया?
पूर्व राजस्व मंत्री ने हल्के फुल्के अंदाज में कहा कि सरकार किसी कंपनी को यह काम सौंपने की बजाय इस काम के लिए 10 बिल्लियों को लगा सकती थी। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्रालय के परिसर में कंपनी द्वारा रखे गए जहर को खाकर धर्मा पाटिल नाम के एक किसान ने फरवरी में आत्महत्या कर ली थी। पाटिल ने भूमि अधिग्रहण को लेकर मुआवजा दिए जाने में अन्याय होने का आरोप लगाते हुए मंत्रालय में जहर खा लिया था और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई थी। खडसे ने कहा कि इस बारे में कोई सूचना नहीं है कि क्या कंपनी को जहर का इस्तेमाल करने की इजाजत थी, या नहीं और क्या कंपनी को मंत्रालय में जहर का भंडार रखने की इजाजत थी। उन्होंने जांच की मांग करते हुए कहा कि यह बहुत आश्चर्यजनक है कि इस कंपनी ने महज सात दिनों में तीन लाख से अधिक चूहों को मार दिया। कंपनी के दावे पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
मंत्रालय में कैसे पहुंचा जहर?
खडसे ने कहा कि जिस कंपनी को चूहे मारने का ठेका मिला था, उसके पास मंत्रालय में जहर लाने की अनुमति नहीं थी। ऐसे में गृह विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग की अनुमति के बगैर मंत्रालय में जहर कैसे लाया गया। इतना ही नहीं खडसे ने इस मामले को कुछ दिनों पहले मंत्रालय में हुए किसान धर्मा पाटिल की आत्महत्या पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि धर्मा पाटिल ने खुद का लाया जहर पीकर आत्महत्या नहीं की, बल्कि मंत्रालय में चूहे मारने के लिए लाए गए जहर को पीकर जान दी थी। बीजेपी नेता ने इस पूरे मामले में जांच की मांग की है। खडसे ने कहा कि इस बारे में कोई सूचना नहीं है कि क्या कंपनी को जहर का इस्तेमाल करने की इजाजत थी, या नहीं और क्या कंपनी को मंत्रालय में जहर का भंडार रखने की इजाजत थी। उन्होंने जांच की मांग करते हुए कहा कि यह बहुत आश्चर्यजनक है कि इस कंपनी ने महज सात दिनों में तीन लाख से अधिक चूहों को मार दिया। कंपनी के दावे में विसंगति है। बजट मांगों पर बाद में अपने जवाब में सामान्य प्रशासन विभाग मंत्री मदन येरवार ने कहा कि सरकार इस कार्य के लिए दिए गए ठेके पर सूचना मांगेगी और इसे सात दिनों के अंदर सदन के पटल पर रखेगी।
-बिन्दु माथुर