दागदार पर किसकी अनुकंपा
02-Apr-2018 06:59 AM 1234873
विधानसभा के बजट सत्र में इस बार दो विधायकों ने शिवपुरी नगर पालिका परिषद में हुई अनुकंपा नियुक्तियों पर सवाल उठाया था। जानकारी के अनुसार वर्ष 2000 में मयंक वर्मा शिवपुरी नगर पालिका परिषद में मुख्य नगर पालिका अधिकारी तो उन्होंने सारे नियमों को ताक पर रखकर अवैधानिक रूप से सौरभ गौड़ नाम के युवक को राजस्व अधिकारी के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दे दी। जिसको लेकर शिवपुरी से भोपाल तक हंगामा मचा, जांच हुई और सौरभ गौड़ की नियुक्ति को अवैधानिक माना गया। साथ ही नियक्ति देने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई लेकिन वर्मा का आज तक बाल भी बांका नहीं हुआ। दरअसल, सौरभ गौड़ की राजस्व अधिकारी के पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए जिस तरह मयंक वर्मा ने सारे नियमों को नजर अंदाज किया है उससे उसमें बड़े भ्रष्टाचार की बू आ रही है। दरअसल, नगर पालिका निगम शिवपुरी में स्वास्थ्य अधिकारी के पद पर पदस्थ आरके गौड़ के निधन के बाद उनके पुत्र सौरभ गौड़ ने अपनी शैक्षणिक योग्यता का उल्लेख करते हुए राजस्व अधिकारी के पद पर अनुकंपा नियुक्ति की मांग की। सौरभ गौड़ के आवेदन के संदर्भ में तत्कालीन लेखा अधिकारी ने टीप दी कि अनुकंपा नियुक्ति निम्न श्रेणी लिपिक तथा उससे नीचे के पदों पर दिए जाने का प्रावधान है। इसके बाद परिषद ने सौरभ गौड़ को राजस्व अधिकारी के पद पर नियुक्ति दिए जाने की अनुशंसा करते हुए शासन से अभिमत मांगा। नगर पालिका शिवपुरी के पत्र के संदर्भ में अपर मुख्य सचिव नगरीय प्रशासन ने पत्र क्रमांक्र 4151/5057/99/18-1 में जीएडी के परिपत्र क्र. सी.-3-4/94/3/एक के पैरा 6 में दिए निर्देशों के अनुसार अनुकंपा नियुक्ति तृतीय श्रेणी के निम्नतर पद पर ही देने का अभिमत दिया। उसके बाद सौरभ गौड़ को 15 सितंबर 1999 को सहायक राजस्व निरीक्षक के पद पर अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई। लेकिन सौरभ ने नियुक्ति का उक्त आदेश लेने से इंकार कर दिया। उसके बाद जब मयंक वर्मा नगर पालिक परिषद शिवपुरी के मुख्य नगर पालिका अधिकारी बन कर आए तो सौरभ गौड़ की अनुकंपा नियुक्ति की फाइल फिर दौडऩे लगी। वर्मा ने प्रकरण को गलत तरीके से परिषद में रखवाकर शासन स्तर से गलत आदेश कराके नियमों को अनदेखा करके नियुक्ति पत्र जारी किया था और उन्हें राजस्व निरीक्षक के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति दे दी गई। इसके बाद सेवानिवृत्त एआरआई रघुवीर सिंह यादव ने इस संदर्भ में शिकायती आवेदन दिया। जिसकी जांच के बाद पाया गया कि गौड़ की आरआई के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति अवैध एवं अनियमित है। यादव की ओर से अपर आयुक्त संचालनालय नगरीय प्रशासन एवं विकास भोपाल का प्रतिवेदन क्रमांक शि/6/28/5/15/1166 दिनांक 23.1.2016 भी संलग्न किया गया। जो उपसचिव मध्यप्रदेश शासन को प्रेषित है। इसमें पद क्रमांक 8 के द्वितीय पैरा में संयुक्त संचालक ग्वालियर के जांच प्रतिवेदन के आधार पर गौड़ की आरआई के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति को अवैध बताया गया है। इन सबके बाद भी वर्मा द्वारा हाईकोर्ट में प्रस्तुत होने वाली गलत नियुक्तियों की जानकारी में सौरभ गौड़ की जानकारी छुपा ली हैै। यही नहीं इस नियुक्ति के संबंध में संचालनालय द्वारा मयंक वर्मा को दोषी मानकर 23 जनवरी 2016 को तत्कालीन अपर आयुक्त प्रियंका दास द्वारा शासन को विस्तृत प्रतिवेदन भेजा जा चुका है। जिसमें लिखा है कि नियुक्तकर्ता अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए और नियुक्तियां निरस्त की जाए। उसके बाद 2.4.16 को तत्कालीन अपर आयुक्त विकास मिश्रा फिर 27.10.2016 को अपर आयुक्त मंजू शर्मा ने भी शासन को नियुक्ति निरस्त करने तथा दोषी के विरूद्ध कार्यवाही हेतु लिख चुके हंै तथा उक्त संबंध में लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू द्वारा भी प्रकरण दर्ज किया जा चुका है। 22 मई 2017 को नगर पालिका परिषद शिवपुरी के वर्ममान सीएमओ रनवीर सिंह ने अपनी जांच रिपोर्ट में मयंक वर्मा को दोषी माना है। यही नहीं मामला विधानसभा में भी उठ चुका है। जीएडी मंत्री लाल सिंह आर्य ने फरवरी में वर्मा की सेवाएं अन्यत्र करने के लिए लिखा था। लेकिन वर्मा पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। यही नहीं स्थापना में बैठे वर्मा ने अपने रसूख का फायदा उठाते हुए सौरभ गौड़ को प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी बदरवास बनवा दिया है। प्रदेशभर में इन दिनों यही चर्चा चल रही है कि आखिर गलत तरीके से अनुकंपा नियुक्ति देने वाले मयंक वर्मा पर किसकी अनुकंपा है। नियमों को किया दरकिनार 2005 में अनुकम्पा नियुक्ति को लेकर जीएडी ने नियम बनाया था कि अगर किसी के माता या पिता सरकारी नौकरी में रहते हैं तो उन्हें अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जाएगी। सौरभ गौड़ की मां सरकारी नौकरी में हैं फिर भी उन्हें अनुकंपा नियुक्ति दी गई। यही नहीं शासन के नियम यह भी हैं कि किसी को एक ही बार अनुकम्पा नियुक्ति दी जा सकती है। लेकिन सौरभ गौड़ को पहले 15.9.1999 को तत्कालीन सीएमओ लखन सिंह भदौरिया ने एआरआई के पद पर नियुक्ति दी थी। फिर दोबारा 5.7.2000 को सीएमओ मयंक वर्मा ने आरआई के पद पर नियुक्ति दे दी। नियम है कि आरआई के पद पर अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती। क्योंकि यह प्रमोशन का पद है। अगर मामला कैबिनेट में जाता है तो कैबिनेट विचार कर सकता है। - रजनीकांत पारे
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