02-Apr-2018 06:55 AM
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मप्र सरकार के लिए प्रमोशन में आरक्षण का मामला गले की हड्डी बन गया है। लगभग डेढ़ वर्ष पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अजाक्स की सभा में यह कह कर कि कोई माई का लाल नहीं है, जो प्रमोशन में आरक्षण को समाप्त करा सके, एक वर्ग को तो उस समय खुश कर दिया, लेकिन अब वह मामला सरकार के लिए दोधारी तलवार बन गया है। दरअसल मुख्यमंत्री का यह बयान उस वक्त आया था, जब अप्रैल 2016 मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रमोशन में रिजर्वेशन के नियमों को निरस्त कर दिया था। सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका पर सुनवाई चल रही है। हाईकोर्ट द्वारा नियम निरस्त किए जाने के बाद सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नति देना बंद है। आरक्षण के बगैर प्रमोशन न देने की सरकारी की नीति के कारण पिछले एक साल में हजारों कर्मचारी पात्रता होने के बाद भी बिना प्रमोशन के रिटायर हो गए है।
उधर स्थिति यह है कि अब राज्य के कर्मचारियों का विभाजन जाति के आधार हो गया है। एक तरफ अजाक्स के बैनर तले अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के कर्मचारी हैं तो दूसरी तरफ सपाक्स के बैनर तले सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारी। राज्य के कर्मचारियों का विभाजन जाति के आधार हो जाने के बाद अब स्थिति धीरे-धीरे नियंत्रण के बाहर होती जा रही है। सपाक्स ने तो सरकार के खिलाफ प्रदेशभर में अभियान चला रखा है जिसका असर विधानसभा चुनाव में अवश्य दिखेगा। ज्ञातव्य है कि प्रदेश में करीब 7 लाख सरकारी अधिकारी-कर्मचारी हैं। इनमें से अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों की संख्या करीब 35 फीसदी और सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों की संख्या 65 फीसदी है। यानी वर्तमान समय में सपाक्स मजबूत स्थिति में है। जानकारी के अनुसार, अजाक्स के सदस्यों की संख्या जहां करीब 1 लाख है वहीं सपाक्स के करीब डेढ़ लाख सदस्य हैं। ऐसे में सपाक्स की नाराजगी सरकार पर भारी पड़ सकती है। उधर, सपाक्स ने सरकार को घेरने के लिए सपाक्स समाज का गठन किया है। यह संगठन आगामी विधानसभा में ताल ठोकने की तैयारी कर रहा है। उल्लेखनीय है कि चित्रकूट विधानसभा के उपचुनाव में सपाक्स ने सपा नेता महेन्द्र कुमार मिश्रा को समर्थन देकर भाजपा के खिलाफ जमकर प्रचार किया था। उसके बाद मुंगावली और कोलारस में भी सरकार के खिलाफ अभियान चलाया गया। इन तीनों जगह भाजपा की हार में सपाक्स समाज अपना योगदान मान रहा है। अब संभावना जताई जा रही है कि चित्रकूट से उठी आरक्षण की यह चिंगारी विधानसभा के चुनाव में न केवल अच्छे-अच्छे चेहरों को झुलसा देगी वरन दलों को भी झटका देगी। क्योंकि जब से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अजाक्स के एक कार्यक्रम में कहा कि कोई माई का लाल आरक्षण नहीं छीन सकता तब से आरक्षण विरोधी संगठन सपाक्स खासा सक्रिय है और सुप्रीम कोर्ट से लेकर अब चुनावों तक में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर चुका है।
दरअसल, सरकार की गलतियों के कारण प्रदेश में कर्मचारियों-अधिकारियों का बंटवारा जातिगत आधार पर हो गया है। आरक्षित और सामान्य वर्ग के बीच उभर रही टकराव की स्थिति में कांग्रेस ने अपने आपको दूर रखा है। कांग्रेस के लिए यह स्थिति एक तरफ कुआं और दूसरी तरफ खाई है। कांग्रेसी दबी जुबान से यह जरूर प्रचारित कर रहे हैं कि प्रमोशन में रिजर्वेशन उनकी सरकार ने ही दिया था। लेकिन, चुनाव में इसका लाभ नहीं मिला। प्रमोशन में रिजर्वेशन की व्यवस्था लागू किए जाने के कारण ही वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अपनी सत्ता गंवाना पड़ी थी। संविधान संशोधन के बाद दिग्विजय सिंह ने प्रमोशन में भी रिजर्वेशन देना तय किया था। सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने के नियम वर्ष 2002 में लागू किए गए।
अब प्रमोशन अटकने से दोनों ही वर्गों के कर्मचारियोंं की नाराजगी बढ़ती जा रही है। मुख्यमंंत्री प्रमोशन में रिजर्वेशन को बनाए रखना चाहते हैं। उन्होंने कार्मिक विभाग को नए नियम बनाने के लिए कहा है। मामला अदालत में लंबित होने के कारण कार्मिक विभाग अवमानना के डर से नए नियम बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मचारियों की नाराजगी को कम करने के लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की पैरवी के लिए देश के जाने-माने वकीलों को लगा रखा है। वकीलों की फीस सरकार दे रही है। उधर, फैसले में हो रही देरी के कारण अजाक्स भी सरकार के खिलाफ होती जा रहा है।
सपाक्स लड़ेगी विधानसभा चुनाव
सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक वर्ग संगठन (सपाक्स) समाज संस्था 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी। संस्था पूरी तैयारी के साथ हुजूर, बुधनी, विदिशा सहित तमाम अनारक्षित (148) सीटों से अपने प्रत्याशी उतारेगी। इसके लिए राजनीतिक पार्टी के रूप में रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सपाक्स समाज संस्था के पदाधिकारी पदोन्नित में आरक्षण मामले में राज्य सरकार की एक पक्षीय कार्रवाई से नाराज हैं और सरकार से लगातार दूसरे पक्ष की सुध लेने की गुहार लगाते रहे हैं। जब सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, तो संस्था ने प्रदेश में अनारक्षित वर्ग की राजनीतिक पार्टी बनाने का निर्णय ले लिया। सपाक्स समाज संस्था के अध्यक्ष ललित शास्त्री ने बताया कि नई पार्टी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की सीट से अपने दमदार प्रत्याशी खड़े करेगी। जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी होंगे। दरअसल, सपाक्स का दावा है कि उसके संगठन के करीब 70 फीसदी सदस्य आरएसएस से जुड़े हुए हैं।
-कुमार राजेंद्र