जीत के लिए बेईमानी का सहारा
02-Apr-2018 06:57 AM 1234850
अभी साउथ अफ्रीका के खिलाफ बॉल टैम्परिंग का विवाद ठंडा भी नहीं हुआ है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम की बेईमानी का दूसरा वीडियो भी वायरल हो रहा है। हालिया वीडियो में कैमरन बेनक्रॉफ्ट ड्रेसिंग रूम में अपनी जेब में चीनी भरते नजर आ रहे हैं, और ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इस चीनी का इस्तेमाल भी बॉल टैम्परिंग के लिए ही किया गया होगा। यह वीडियो जनवरी का बताया जा रहा है, जब ऑस्ट्रेलियाई टीम इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट खेल रही थी। इससे पहले, साउथ अफ्रीका के खिलाफ बॉल टैम्परिंग के मामले में स्टीव स्मिथ की कप्तानी जबकि डेविड वार्नर की उपकप्तानी जा चुकी है। क्रिकेट इतिहास की सबसे सफल और सबसे लम्बे समय बादशाहत कायम करने वाली टीम के बारे में ऐसी बातें कई तरह के सवाल खड़े करती हैं। मसलन क्या यह टीम हालिया दिनों में जीत के लिए बेईमानी का सहारा ले रही है? क्या अब ऑस्ट्रेलियाई टीम जीत के लिए इस स्तर तक पहुंच गयी है? लगता तो यही है, क्योंकि इस पूरे प्रकरण के बाद कप्तान स्टीव स्मिथ ने जिस साफगोई से बेनक्रॉफ्ट की हरकत को पूरे लीडरशिप ग्रुप का फैसला बताया, उससे एक बात तो साफ है इस मामले में केवल बेनक्रॉफ्ट दोषी नहीं हैं। बल्कि पूरी टीम ने जीत के लिए बेईमानी करने का फैसला लिया था। वैसे ऑस्ट्रेलियाई टीम हमेशा से मैदान पर कुछ ज्यादा ही आक्रामक रहने के लिए जानी जाती रही है। ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए हमेशा ही यह बात की जाती है कि टीम मैदान के बाहर भी विपक्षी टीम पर दबाव बनाने का कोई मौका जाने नहीं देना चाहती, चाहे इसके लिए मैदान पर विपक्षी टीम के खिलाडिय़ों के साथ गली गलौच करना हो, या फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनकी कमियां गिनाना हो। ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाड़ी अपने खराब व्यवहार के लिए भी बदनाम रहें हैं। सज्जनों के खेल माने जाने वाले इस खेल में अभद्रता लाने के बावजूद भी ऑस्ट्रेलियाई टीम के जुझारूपन की हर कोई तारीफ करता है और जीत के लिए ऑस्ट्रेलिया इस स्तर तक जाएगी ऐसी उम्मीद उनसे कोई नहीं करता। हालांकि पिछले कुछ वर्षों से ऑस्ट्रेलियाई टीम का प्रदर्शन वैसा नहीं रहा जिसके लिए यह टीम जानी जाती है। पिछले दो सालों में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 23 टेस्ट मैच खेलें हैं जिसमें उसे 11 में जीत मिली है जबकि 10 में उसे हार का सामना करना पड़ा है। इस दौरान ऑस्ट्रेलिया को श्रीलंका, भारत, साउथ अफ्रीका से सीरीज हार झेलनी पड़ी है, जबकि बांग्लादेश ने भी ऑस्ट्रेलिया के साथ सीरीज ड्रा करा ली थी। यानी वर्तमान ऑस्ट्रेलियाई टीम अपने टीम के सुनहरे इतिहास को कायम रख पाने को लेकर दबाव में है। ऐसे में वर्तमान में जिस तरह के विवाद के साथ ऑस्ट्रेलियाई टीम का नाम जुड़ा है, उससे निश्चित रूप से यह सवाल उठेंगे कि क्या वर्तमान ऑस्ट्रेलियाई टीम जीत के लिए इस हद तक चली गयी है? एक लंबे अरसे से यह देखा जा रहा है कि जब भी कोई ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी किसी विवाद में फंसता है तब ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और वहां के पूर्व खिलाडिय़ों का एक बड़ा तबका उन्हें बचाने के लिए लामबंद हो जाता है। भारत दौरे पर जब स्मिथ ने डीआरएस लेने से पहले पैवेलियन की ओर देखा तो यह साफ तौर पर नियमों के विरुद्ध था। इसके बाद विराट कोहली ने पत्रकार वार्ता के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाडिय़ों को ‘बेईमान’ कहा था। कोहली का यह भी कहना था कि अब वे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों को अपना दोस्त नहीं कह सकते। कोहली के इस बयान के बाद ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और वहां के पूर्व खिलाड़ी स्टीव स्मिथ के बचाव में आग गये। जेम्स सदरलैंड (ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी), डेरेन लेहमैन (ऑस्ट्रेलिया के कोच), डेविड सैकर (ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजी के प्रशिक्षक), डेविड वॉर्नर, मैथ्यू वैड और नाथन लियॉन (भारत दौरे पर आए ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर) और पूर्व क्रिकेटर मिशेल जॉनसन ने स्मिथ के बचाव और कोहली पर हमलावर होते हुए तरह-तरह के बयान दे डाले। इस दौरान पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर स्टीव वॉ का कहना था, ‘मुझे स्मिथ पर यकीन है और सभी को आस्ट्रेलियाई कप्तान की बात पर यकीन करना चाहिए। उन्होंने ऐसा जानबूझकर नहीं किया।’ यही वजह है कि दुनियाभर के कई जानकारों के मुताबिक गेंद से छेडख़ानी करने जैसी बड़ी घटना के लिए कहीं न कहीं ऑस्ट्रेलियाई मीडिया और पूर्व खिलाड़ी भी दोषी हैं। दरअसल इससे पहले स्मिथ की जिन हरकतों को गलती बताकर उनका पक्ष लिया गया था उनमें से कई ‘गलतियां’, सीधे-सीधे ‘बेईमानी’ की आदत सरीखी थीं। और साफ है कि आदत कोई एक दिन में नहीं आती। गलतियों के बाद स्मिथ का माफी मांगना और उसके बाद फिर गलती करना भी यही बताता है। जाहिर है कि ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का प्रतिनिधित्व करने वालों ने अगर पहले ही स्टीव स्मिथ जैसों पर कार्रवाई की होती तो शायद ही उनकी गेंद से छेडख़ानी करने की हिम्मत पड़ती। यही वजह है कि यह घटना पूरे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को सबक देने वाली भी है। -आशीष नेमा
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