02-Apr-2018 06:52 AM
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एक दशक बाद मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट का तमगा पाने की स्थिति में आ गया है। प्रदेश के संरक्षित क्षेत्रों (नेशनल पार्क एवं अभयारण्य) से मिले संकेतों के आधार पर वन अफसर दावा कर रहे हैं कि बाघों की गिनती में प्रदेश पहला नंबर ला सकता है, क्योंकि पिछले चार सालों में संरक्षित क्षेत्रों में 75 से ज्यादा बाघ बढ़े हैं। वर्ष 2014 में कराई गई गिनती में प्रदेश में 308 बाघ थे, जबकि कर्नाटक 406 बाघों के साथ पहले स्थान पर था। वर्ष 2002 की गणना में प्रदेश में 700 से ज्यादा बाघ थे। अब संभावना जताई जा रही है कि प्रदेश की साख एक बार फिर लौट आएगी।
वन विभाग के दावे के इतर देखें तो प्रदेश में बाघों की लगातार मौत हो रही है। वर्ष 2017 में ही 23 से अधिक बाघों की मौत हो चुकी है। वहीं वर्ष 2016 में 31 बाघों की मौत हुई थी। ऐसे में एक बात तो साफ है कि प्रदेश में बाघ सुरक्षित नहीं हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण यानी एनटीसीए की रिपोर्ट कहती है कि मप्र बाघों की मौत के मामले में देश में नंबर वन है।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले आठ वर्षों में मध्यप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में होने वाली बाघों की मौत भारत के बाघ संरक्षण प्रयासों के लिए एक झटका है। एनटीसीए टाइगरनेट द्वारा बाघों की मृत्यु के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2009 और 2017 के बीच, भारत में 631 बाघों की मौत हुई। इनमें से, सबसे ज्यादा संख्या
(133 मौतें - 21.1 फीसदी) मध्य प्रदेश में दर्ज की गई, जो देश में कुल बाघों की संख्या 2,226 का 13.8 फीसदी है। पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र, जहां कम से कम बाघों के लिए तीन संरक्षित क्षेत्र हैं, वहां इसी अवधि में कुल बाघों की मौत का 14.4 फीसदी दर्ज किया गया है। वहीं 100 बाघों की मौत (15.8 फीसदी) के साथ कर्नाटक सूची में दूसरे स्थान पर है। हालांकि, राज्य देश में कुल बाघों की आबादी में 18.2 फीसदी योगदान देता है, जो रिपोर्ट में दर्ज मौतों के अनुपात के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करता है।
दुनिया भर में बाघ के संरक्षण प्रयासों में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है। 13 देशों में, जो जंगली बाघों की प्रजनन आबादी की रक्षा करता है, इनमें से दुनिया के बाघों में से 57 फीसदी भारत में हैं (कुछ अनुमानों के मुताबिक) टाइगर रेंज (टीआरसी) के देशों 2022 तक दुनिया में बाघों की संख्या को दोगुना करने का वादा किया है। चीनी कैलेंडर में 2022 को बाघ का वर्ष माना गया है। एनटीसीए द्वारा किए गए मानक आबादी निगरानी प्रक्रिया और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्लूआईआई) जैसे अनुसंधान निकायों की सहायता से हर चार वर्ष में देश को बाघों के निवास स्थान की प्रकृति और भौगोलिक स्थितियों के आधार पर छह प्रमुख परिदृश्य परिसरों में विभाजित किया जाता है। इनमें से महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश शिवलिक-गंगा परिसर में आते हैं, जिसमें मध्य भारतीय इलाका और पूर्वी घाट आते हैं। इस क्षेत्र में 688 बाघ थे, जो 2014 में जनगणना के अनुसार भारत में अनुमानित कुल बाघों की संख्या का 31 फीसदी था। कुल मिलाकर, इस परिदृश्य के लिए बाघ की मृत्यु दर आठ साल की अवधि के लिए 249 है, लगभग 39 फीसदी। हालांकि, शिवालिक-गंगा के मैदानी इलाकों में 91 फीसदी मृत्यु मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में ही दर्ज की गई है जबकि वे इलाके बाघों की कुल संख्या में 72 फीसदी योगदान करते हैं। पश्चिमी घाट लैंडस्केप कॉम्प्लेक्स, जो कि भारत में कुल बाघों की संख्या का 776 (34 फीसदी) को शरण देता है, उनमें कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और गोवा शामिल हैं। इसी अवधि में यहां 277 मृत्यु दर्ज की गई है, जो कुल बाघों की मौत का 28 फीसदी है। ये आंकड़े इस बात का संकेत देते हैं कि भारत में बाघ पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। हालांकि इस बार मप्र के अधिकारियों का दावा है कि यहां बाघों की अधिकांश मौतें दुर्घटना या बीमारी से हुई हैं।
बाघ की मौत में शिकार एक प्रमुख कारण
मप्र सहित देशभर में बाघों की मौत का प्रमुख कारण शिकार है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र 18 और 17 मामलों के साथ सूची में शीर्ष स्थान पर हैं। 13 मौतों के साथ कर्नाटक तीसरे स्थान पर है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र भी ऐसे मामलों की सूची में शीर्ष स्थान पर हैं, जहां वन्यजीव तस्करों से बाघों के अंगों को जब्त किया गया था। 2009 के बाद से मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में क्रमश: 18 और 17 ऐसी घटनाएं दर्ज की गई हैं। हालांकि, यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि ये भारतीय राज्य शिकार आकर्षण के केंद्र हैं। यदि हम कुल मौतों के संबंध में शिकार से होने वाले मौतों पर विचार करते हैं तो 19 फीसदी के साथ उत्तर प्रदेश सबसे शीर्ष पर है। महाराष्ट्र के लिए ये आंकड़े 18 फीसदी और केरल के लिए 16 फीसदी हैं। कर्नाटक के लिए ये आंकड़े 13 हैं, लेकिन यह मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बाद तीसरे स्थान पर है, क्योंकि यहां बाघों के अंगों की बरामदगी की 15 घटनाएं दर्ज हैं।
-धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया