झूठ की राजनीति
02-Apr-2018 06:49 AM 1234829
दिल्ली के मुख्यमंत्री इस वक्त माफीनामा लिखने में व्यस्त हैं। अभी कुछ ही दिन पहले अरविन्द केजरीवाल ने शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया से लिखित रूप में उस आरोप के लिए माफी मांगी थी, जिसमें उन्होंने मजीठिया को ड्रग के धंधे में लिप्त बताया था। अब केजरीवाल ने दो और माफीनामे लिखकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और कपिल सिब्बल एवं उनके पुत्र अमित सिब्बल से भी माफी मांग ली। केजरीवाल ने फिर से माफीनामे में अपने द्वारा लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए उनसे माफी मांग ली है। हालांकि मनीष सिसोदिया ने माफीनामे के पीछे जो कारण बताये हैं उसके अनुसार केजरीवाल और उनकी सरकार कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाकर वक्त जाया नहीं करना चाहती बल्कि इस वक्त का उपयोग दिल्ली की जनता की सेवा में लगाना चाहती है। यानी यहां भी केजरीवाल और उनकी टीम महान बनने का दिखावा करना चाहती है। मगर सच्चाई यह है कि केजरीवाल के ऊपर दर्जनों मानहानि के केस दर्ज हैं, और इनमें से कई मामलों में केजरीवाल कोर्ट में कमजोर स्थिति में हैं, ऐसे में उनके पास माफीनामा लिखने के अलावा दूसरा कोई चारा बचा नहीं है। खैर असली वजह क्या है यह तो केजरीवाल ही बेहतर ढंग से बता सकते हैं, मगर उनके माफीनामे ने तो एक बात साबित कर ही दी है, केजरीवाल द्वारा लगाए गए ज्यादातर आरोप झूठे ही हैं, कम से कम नितिन गडकरी, कपिल सिब्बल और विक्रम मजीठिया पर सारे आरोप बेबुनियाद ही हैं, ऐसा केजरीवाल ने मान लिया है। वैसे यह कहना गलत नहीं होगा कि केजरीवाल की राजनीतिक बुनियाद ही आरोप-प्रत्यारोप पर आधारित रही है। केजरीवाल अपने पांच साल के राजनीतिक करियर में लोगों पर बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए कुख्यात रहें हैं, इन पांच सालों में केजरीवाल ने आरोप लगाने के क्रम में शायद ही किसी को छोड़ा हो, चाहे वो देश के राष्ट्रपति हों, प्रधानमंत्री हों या देश का चुनाव आयोग। केजरीवाल ने अपने राजनीतिक हित साधने के लिए किसी पर भी आरोप लगाने में कोई गुरेज नहीं किया, और इसकी शुरुआत उन्होंने शीला दीक्षित के साथ की थी। केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी के शुरुआत में ही लोगों को यह भरोसा दिलाया कि उनके पास शीला दीक्षित के भ्रष्टाचार से जुड़े तमाम तरह के सबूत मौजूद हैं, और सत्ता में आते ही वो शीला दीक्षित को जेल की हवा खिलाएंगे। हालांकि पिछले तीन साल से केजरीवाल सत्ता में हैं मगर भ्रष्टाचार के मामले में क्या कार्यवाई हुई यह किसी से छिपी नहीं है। मानहानि के दो दर्जन से ज्यादा मामले हैं और तकरीबन सभी में कोई बड़ी बाधा अब तक सामने नहीं आई है। बड़ा पेंच फंसा है जेटली-केजरीवाल मानहानि केस को लेकर। दरअसल, केजरीवाल के अलावा इसमें कुमार विश्वास, राघव चड्ढा, संजय सिंह, आशुतोष और दीपक बाजपेयी के खिलाफ भी कोर्ट में केस चल रहा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच चल रहा केस सबसे ज्यादा विवादों में रहा है। इस केस में केजरीवाल और उनके साथियों की कई बार फजीहत हो चुकी है। बड़ी फजीहत तब भी हुई जब जेटली ने सवाल उठाया कि क्या केजरीवाल के वकील राम जेठमलानी ने अपने क्लाइंट के कहने पर उन्हें क्रूक कहा? जेठमलानी ने हामी तो भर दी लेकिन केजरीवाल इस बात से इंकार कर बैठे। बाद में जेठमलानी ने केजरीवाल का केस लडऩे से मना कर दिया। आगे चल कर उस वकील ने भी केस छोड़ दिया जिसे केजरीवाल ने जेठमलानी की जगह हायर किया था। इसके अलावा, केस की सुनवाई जल्दी न करने को लेकर भी कोर्ट से केजरीवाल और साथियों को फटकार ही मिली। अब केजरीवाल ने जिस अंदाज में माफी मांगना शुरू कर दिया है उससे अब उम्मीद यही है कि जल्द ही वह अरुण जेटली से भी माफी मांगते नजर आ सकते हैं, और अगर ऐसा होता है तो फिर वो खुद इस बात को और पुख्ता कर देंगे कि उन्हें आरोप लगाने के लिए किसी तथ्य की कोई आवश्यकता नहीं होती, बल्कि वो सुविधानुसार इसका इस्तेमाल करते आए हैं। ऐसे में अगली बार जब केजरीवाल किसी पर आरोप लगाएंगे तो क्या लोगों को वो भरोसा दिला पाएंगे कि इस बार उनके आरोप में कोई दम है? लगता नहीं है, निश्चित रूप से केजरीवाल का यह रूप लोगों को उन पर शक करने की पर्याप्त वजह देगा और साथ ही लोगों को उन पर ज्यादा विश्वास न करने की भी ठोस वजह देगा। हालांकि केजरीवाल ने जिस तरह की राजनीतिक परिपाटी बनाई है उसका हश्र तो ऐसा ही होना था। खैर अब देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल आने वाले समय में और किस-किस को माफीनामा लिखते हैं। तो केजरीवाल को माफी मिलने से रही! अरविंद केजरीवाल ने जो धुआंधार माफी का सिलसिला शुरू किया था, उसमें विश्वास संकट पैदा हो गया है। जो बातें सामने आ रही हैं उनसे मालूम होता है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली सिर्फ अरविंद केजरीवाल की माफी से नहीं मानने वाले। जेटली चाहते हैं कि केजरीवाल के अलावा भी जिन चार लोगों के खिलाफ केस चल रहा है वे भी माफी मांगें। हालांकि, इस सिलसिले में जेटली का कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। बाकी मामलों में तो कोई समस्या नहीं है, लेकिन केजरीवाल के सामने एक बार फिर कुमार विश्वास ही चुनौती बन कर खड़े हो गये हैं। केजरीवाल के माफीनामे पर कुमार विश्वास के बयानों को देखें तो लगता नहीं कि वो यू टर्न लेने को राजी होंगे। फिर क्या होगा जेटली-केजरीवाल मानहानि केस का? केजरीवाल ने तो खुद ही कुमार विश्वास को हिसाब किताब बराबर करने का मौका दे डाला है। - अक्स ब्यूरो
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