02-Apr-2018 06:32 AM
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नर्मदा नदी में जल की अविरल धारा बनाए रखने के लिए सरकार ने नई रेत खनन नीति तो लागू की ही है साथ ही नदी किनारे पौधारोपण भी करवा रही है। सरकार की मंशा है कि नदी में साल भर पानी भरा रहे। इसके लिए नदी में अवैध खनन रोकने का प्रयास हो रहा है साथ ही पौधारोपण की नई नीति भी बन रही है। लेकिन पौधारोपण की जिम्मेदारी निभाने वाले विभागों की भर्राशाही के कारण सरकार का यह प्रयास कागजों में न अटक जाए।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल नर्मदा किनारे 6 लाख पौधे रोपे गए थे। इस बार 8 करोड़ पौधे रोपित किए जाने का लक्ष्य है। लेकिन उद्यानिकी विभाग की कार्यप्रणाली देखकर ऐसा लगता है जैसे वह पौधारोपण को लेकर सजग नहीं हैं। उद्यानिकी विभाग ने नर्मदा किनारे जुलाई में रोपे जाने वाले पौधों के टेंडर डॉक्यूमेंट (ड्रॉफ्ट) की शर्तें तीन बार बदलीं। तीसरी बार जोड़ी गई शर्तें ऐसी हैं कि सरकार की अनुदान प्राप्त नर्सरी भी टेंडर में हिस्सा नहीं ले सकेंगी। इससे उन्हें नुकसान होगा। इसे लेकर अफसरों में मतभेद शुरू हो गया है। कुछ अफसरों का कहना है कि सरकार का प्रयास स्वरोजगार और लघु उद्यम को बढ़ावा देने का है।
छोटी नर्सरियों को टेंडर प्रक्रिया से बाहर करना सरकार की इस मंशा के विपरीत होगा। विभाग को 2.25 करोड़ पौधे खरीदना है। विभाग के ही अन्य अफसरों का मानना है कि छोटी नर्सरियों से कम संख्या में पौधे खरीदने पर उनकी गणना और भुगतान का काम बढ़ जाएगा। इससे बचने के लिए ऐसी शर्तें जोड़ी गई कि छोटी नर्सरी टेंडर प्रक्रिया से पहले ही बाहर हो जाएं। विभागीय जानकारी के अनुसार प्रदेश की करीब 1600 नर्सरी टेंडर नहीं भर सकेंगी। बड़ी नर्सरियां ज्वाइंट वेंचर के जरिए मार्केट से पौधे खरीदकर उद्यानिकी विभाग को देंगी। इससे ज्वाइंट वेंचर वाली नर्सरियों को फायदा होगा।
उद्यानिकी विभाग ने ऐसी शर्तें रखीं हैं कि केवल ट्रेडर्स ही टेंडर डाल सकेंगे। टेंडर ड्रॉफ्ट में 10 लाख की ईएमडी, तीन साल में 10 लाख पौधे उगाने और लगाने का अनुभव जैसी शर्तों के कारण ट्रेडर्स ही टेंडर डाल सकेंगे। विभागीय अफसर यह भी कह रहे हैं कि प्रदेश में ऐसी कोई नर्सरी नहीं है, जो इतनी बड़ी संख्या में पौधे एक दिन में भेज सके। पौधे इतनी जल्दी तैयार भी नहीं होंगे। फलदार पौधे तैयार होने में एक से दो साल का समय लगता है।
उल्लेखनीय है कि उद्यानिकी विभाग ने पिछले साल करीब 40 लाख पौधे खरीदे थे। इनमें से ज्यादातर पौधे दिल्ली की नेशनल एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव फेडरेशन (नेकॉफ) ने सप्लाई किए थे। इस बार भी इसी संस्था को ध्यान में रखकर टेंडर तैयार करना बताया जा रहा है। उद्यानिकी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विभाग के पहले ड्रॉफ्ट में शर्त थी कि नर्सरी संचालक अपने राज्य के नर्सरी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हो। अपनी नर्सरी में उपलब्ध पौधों की संख्या के आधार पर टेंडर में भाग ले सकेंगे। फिर दूसरे ड्रॉफ्ट में 50 हजार रुपए ईएमडी को जोड़ा गया साथ ही वर्क ऑर्डर के 45 दिन के भीतर सप्लाई करना होगा। वहीं तीसरे ड्रॉफ्ट में पौधे सप्लाई के 10 दिन जिंदा रहना चाहिए। नर्सरी ने तीन साल में 10 लाख पौधे का व्यापार किया हो तथा 10 लाख रुपए की ईएमडी जमा करनी होगी। उद्यानिकी विभाग के संचालक सत्यानंद कहते हैं कि हमने जानबूझकर ऐसी शर्तें जोड़ी हैं कि छोटी नर्सरी वाला आ ही नहीं पाए। तीन-चार हजार पौधे वाले भी हिस्सा लेंगे तो हमारा काम बढ़ जाएगा। हम बड़े प्लेयर को लाना चाहते हैं। छोटी नर्सरी वालों के पास इतने पौधे हो भी नहीं सकते। पिछले साल नेकॉफ से पौधे खरीदे थे।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल किए गए पौधारोपण के बाद अब स्थिति यह है कि मौके पर पौधों का नामोनिशान नहीं है। पौधरोपण में सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। अब सवाल यह उठ रहा है कि पौधे नहीं बचेंगे तो नर्मदा नदी में जलस्तर कैसे बढ़ेगा। ऐसे तो नर्मदा सूख जाएगी। खास बात यह है कि नमामि देवी नर्मदे योजना में पौधरोपण के नाम पर बरती गई अनियमितता की जानकारी आला अधिकारियों को होने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है।
कागजों में हरियाली
नदी में जल की अविरल धारा बनाए रखने तट सहित नर्मदा बेसिन क्षेत्र के जिलों में मध्यप्रदेश सरकार ने 6 करोड़ से ज्यादा पौधों का रोपण करवाया। जुलाई 2017 में हुए पौधरोपण के दौरान हुई गड़बड़ी की पोल अब खुल रही है। जानकार बताते हैं कि मध्यप्रदेश सरकार ने नर्मदा नदी पर जलस्तर बनाए रखने के लिए पौधरोपण का निर्णय तो ले लिया, लेकिन सरकार के निर्णय को अफसर जमीन पर नहीं उतार सके। नमामि देवी नर्मदे योजना में कई स्थानों पर कागजों में पौधरोपण के आरोप भी लगे। कटनी जिले में तो उद्यानिकी विभाग के अफसर पौधे सूख जाने के बाद भी किसानों को अनुदान की राशि देने की तैयारी में हैं। कई किसानों को राशि जारी भी कर दी गई है। इस तरह की भर्राशाही प्रदेशभर में देखने को मिली है। दरअसल अफसरों ने कागजों में ही हरियाली दिखा दी है। उल्लेखनीय है कि नर्मदा परिक्रमा कर रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी एक सवाल के जवाब में नर्मदा किनारे पौधारोपण पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि उनकी अब तक की यात्रा में उन्हें मात्र 3 पौधे जीवित मिले हैं।
- विशाल गर्ग