16 आरएएस बने आईएएस
16-Mar-2018 10:14 AM 1235020
प्र को इस बार 16 आईएएस और 7 आईपीएस अधिकारी मिले हैं। भारत सरकार का केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय ने मप्र की ब्यूरोक्रेसी को मजबूत करने के लिए राज्य प्रशासनिक सेवा (आरएएस) के 16 अधिकारियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और राज्य पुलिस सेवा के 7 अधिकारियों को भारतीय पुलिस सेवा में पदोन्नत किया है। राज्य प्रशासनिक सेवा के 1995-1996 बैच के जिन सोलह अधिकारियों को आईएएस अवार्ड दिया गया है उनमें 1995 बैच के अधिकारियों संजीव श्रीवास्तव, रवीन्द्र चौधरी, चंद्रमौली शुक्ला, संजय कुमार, मनोज पुष्प, उमाशंकर भार्गव, गौतम सिंह, पंकज शर्मा, प्रीति जैन, उषा परमार, हरीश सिंह मीणा, सरिता बाला, मोहन लाल आर्य, मुजीबुर्रहमान खान व दिनेश जैन शामिल है। वहीं 1996 बैच के दो अधिकारियोंं संजय कुमार मिश्रा और गिरीश शर्मा को आईएएस अवार्ड हो गया है। अशोक चौहान के खिलाफ एक मामले में अभियोजन स्वीकृति जारी होने के कारण उनका लिफाफा बंद रखा गया है। वहीं जेड यू खान, विवेक सिंह और विरेंद्र सिंह को अनफिट कर दिया गया है। उल्लेखनीय है की तीन साल में होने वाली विभागीय परीक्षा पास नहीं करने वाले 1995 बैच के चार अफसर विवेक श्रोती, भारती ओगरे, राजेश ओगरे और अरूण परमार की वरिष्ठता 1996 के बाद का समय कर दी गई है। जिसको लेकर वे कोर्ट गए थे। वहीं विनय निगम ने भी विभागीय परीक्षा पास नहीं की है इसलिए उन्हें 1998 का बैच दिया गया है। वहीं राज्य पुलिस सेवा के जिन अधिकारियों को आईपीएस अवार्ड मिला है, उसमें एसपी मुख्यालय भोपाल राजेश सिंह चंदेल, एएसपी आईजी आफिस इंदौर शचीन्द्र सिंह चौहान, एएसपी बुरहानपुर राकेश सगर, एसपी एजेके बीएस विरदे, एएसपी रायसेन किरणलता किरकिट्टा, राघवेन्द्र बेलवंशी तथा एएसपी इंदौर मनोज राय शामिल है। सबसे ऊपर सुशील रंजन ंिसंह का नाम है, न्यायालय के निर्देश पर उनकी जांचे भी समाप्त हो गई हैं। लेकिन अभी वे डीएसपी ही रहेंगे। वहीं देवेंद्र सिरोलिया को दंड प्रभावित होने तथा अनिल मिश्रा पर बलात्कार का केस होने के कारण बाहर रखा गया है। उधर लंबे इंतजार के बाद प्रदेश में राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों के पद भी बढऩे की संभावना है। चुनावी साल में सरकार द्वारा राज्य प्रशासनिक सेवा के नए पदों की वृद्धि करने की कवायद तेजी से शुरू कर दी गई है। यह कदम पांच साल बाद उठाया जा रहा है। इन पदों के मिलने से प्रदेश के मैदानी और कार्यालयीन पदों में वृद्धि होगी। इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने कैडर रिव्यू की पूरी तैयारी कर ली है। इन पदों के लिए कैबिनेट की मंजूरी के पहले एक बार मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह के साथ बैठक की जाएगी। उनकी सहमति मिलते ही मामला कैबिनेट में भेजा जाएगा। जानकारी के अनुसार प्रदेश में राप्रसेवा का कैडर रिव्यू पांच साल पहले वर्ष 2013 में हुआ था। पिछले साल सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी कमिश्नर, कलेक्टर और विभाग प्रमुखों को परिपत्र भेजकर मौजूदा स्थिति में राप्रसे अफसरों की दरकार और गैर जरूरी पदों की जानकारी मांगी थी। जानकारी मिलने के बाद अफसरों ने इस मामले में विभागीय अफसरों से सीधी बात का दौर भी पूरा कर लिया है। गौरतलब है कि वर्तमान में राप्रसे कैडर में अफसरों की संख्या 774 है। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पांच साल में केंद्र व राज्य सरकार की योजनाएं लगातार बढ़ी हैं, लेकिन प्रशासनिक अमला वहीं के वहीं हैं। सरकार परिणाम चाहती है, इसके लिए मंत्रालय से लेकर जिला स्तर पर अधिकारियों के ऊपर काफी दबाव है। ऐसे में कामकाज भी प्रभावित होता है। कॉल सेंटर से घर-घर पहुंचेगी पशु चिकित्सा सेवा मप्र में अब कॉल सेंटर पर फोन करते ही पशु चिकित्सा सेवा घर पर ही मिलेगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रालय में पशुधन संजीवनी (1962) पायलेट प्रोजेक्ट की समीक्षा के दौरान यह निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में पशु चिकित्सा और कृत्रिम गर्भाधान सेवा के पायलेट प्रोजेक्ट को कॉल सेंटर के माध्यम से घर-घर तक विस्तारित किये जाने की जरूरत बतायी। मुख्यमंत्री ने कहा है कि पशु चिकित्सा सेवाओं का समयबद्ध तरीके से बिना किसी व्यवधान के संचालन होना चाहिए। बैठक में बताया गया कि पशुपालकों को घर-घर पहुंच पशु चिकित्सा एवं कृत्रिम गर्भाधान सेवा हेतु पशुधन संजीवनी (1962) परियोजना का पायलेट प्रोजेक्ट रायसेन जिले के विकासखंड औबेदुल्लागंज, बाड़ी और देवास जिले के विकासखंड कन्नौद एवं बागली में प्रारंभ किया गया है। परियोजना अंतर्गत कॉल सेंटर के माध्यम से क्षेत्र में पशुओं के विभिन्न रोगों को वर्गीकृत कर उपचार सेवाएं उपलब्ध करवायी जा रही हैं। चिकित्सक द्वारा गंभीर प्रकरणों में चार घंटे में पशु उपचार सुविधा चिकित्सक द्वारा उपलब्ध करायी जाती है। यह सेवा शासकीय अवकाश सहित 24 घंटे उपलब्ध है। जानकारी के अनुसार प्रदेश के सभी 51 जिलों में 90 फीसदी पशु चिकित्सक तैनात हैं जबकि असिस्टेंट वेटनरी फील्ड अफसर 60 से 70 फीसदी हैं। पिछले दिनों इस कमी को पूरा करने के लिए व्यापमं के माध्यम से पशु चिकित्सकों की भर्ती निकाली गई थी। कुछ भ्रांति के कारण कई चिकित्सक आवेदन के साथ अपनी डिग्री जमा नहीं कर पाए। इस कारण उनका चयन नहीं हो पाया। जिन अभ्यर्थियों ने अपनी डिग्री जमा की थी उनका चयन हो गया है। संभवत: आने वाले दिनों में अन्य खाली पदों को भी भर दिया जाएगा। -कुमार राजेंद्र
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