16-Mar-2018 09:55 AM
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अभी हाल ही में संसद के सेंट्रल हॉल में पीएम नरेंद्र मोदी ने विकास के मुद्दे पर पिछड़े जिलों के 101 सांसदों-विधायकों से बात की। उन्होंने जिले में तैनात ज्यादा उम्र के अफसरों को विकास में बाधक माना और नौजवान अफसरों पर भरोसा जताया। लेकिन नौकरशाह प्रधानमंत्री के इस मंतव्य से इत्तेफाक नहीं रखते। नौकरशाहों का मानना है कि देश और प्रदेश में आईएएस और आईपीएस अफसरों की कमी के कारण विकास कार्यों को पंख नहीं लग पा रहे हैं। नौकरशाहों की बात को अभी हाल ही में संसद में प्रस्तुत एक रिपोर्ट से भी बल मिलता है।
दरअसल गृह मंत्रालय ने संसद को बताया है कि फिलहाल देश में 2448 आईएएस और आईपीएस अफसरों की कमी है यानी तय कैडर के मुकाबले 1510 आईएएस और 938 आईपीएस की कमी है। फिलहाल देश में 4843 आईपीएस पद हैं, जबकि सिर्फ 3905 पर ही तैनाती हो पाई है। आईएएस अफसरों की बात करें, तो देश में 6500 पद हैं, जबकि सिर्फ 4990 पदों पर ही अधिकारियों की तैनाती है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद में बताया है कि उत्तर प्रदेश में 621 की जगह 515, बिहार में 342 की जगह 243, मध्य प्रदेश में 439 की जगह 341 और केरल में 231 की जगह 150 आईएएस अधिकारी विभिन्न पदों पर नियुक्त हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसके तहत आईपीएस बैच साइज बढ़ाई जा रही है। स्टेट ऑफिसर्स को प्रमोट भी किया जा रहा है।
बता दें कि अगले 2 वर्षों में देश में आईएएस अधिकारियों की संख्या और कम होने वाली है। ऐसा तब हो रहा है, जब इन सालों में आईएएस अधिकारियों की संख्या बढ़ाने, यानी इनकी भर्ती के लिए विशेष अभियान चलाया गया था। बसावन कमेटी की सलाह के आधार पर साल 2010 से 2019 के बीच हर साल 180 नए आईएएस अधिकारियों का चयन किया जाना था। इसका उद्देश्य था कि वर्ष 2020 तक अधिकारियों की कमी को 500 से भी कम कर दिया जाए। लेकिन, बीच में ही अधिकारियों के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने, नौकरी छोडऩे या उन्हें नौकरी से निकालने की बढ़ी तादाद से यह टारगेट पूरा नहीं किया जा सका। बसावन कमेटी ने हर साल 70 अतिरिक्त आईएएस अधिकारियों की भर्ती की जो पहल की थी, उसके प्रभावी नहीं होने के बाद सरकार अब दूसरे तरीकों से इसकी कमी को पूरा करने की कोशिश कर सकती है। सरकार का मानना है कि आईएएस के पद और बढ़ाने से उसकी गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है और उनके लिए सही तौर पर ट्रेनिंग का काम भी पूरा नहीं हो पाता है।
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार प्रशासनिक व्यवस्था की कमान संभालने वाले अधिकारियों का मप्र में भी टोटा है। फिर बात चाहे आईएएस अफसरों की हो या आईपीएस व आईएफएस की। प्रदेश में तीनों कैडर के ही अधिकारियों की कमी बरकरार है। रिपोर्ट के अनुसार मप्र में तीनों वर्ग के लिए 1018 अधिकारी होना चाहिए, जबकि मौजूदा स्थिति में 842 ही कार्यरत हैं। स्थिति यह है कि मप्र इन कैडर के अफसरों की सर्वाधिक कमी वाले राज्यों में शामिल हो गया है। प्रदेश में अफसरों की कमी का असर प्रशासनिक कार्यों के क्रियान्वयन पर पड़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार मप्र में सबसे ज्यादा कमी आईएएस अफसरों की है। प्रदेश में कुल 98 आईएएस की और दरकार है। आईएएस अफसरों की कमी के कारण कई अफसरों को एक से अधिक विभागों की जिम्मेदारी संभालनी पड़ रही है। ऐसी ही स्थिति आईपीएस अफसरों की है, प्रदेश को अभी भी 56 आईपीएस अफसर चाहिए। बेहतर स्थिति में आईएफएस हैं, हालांकि कमी यहां भी है, लेकिन 45 अफसरों की। आईपीएस अधिकारियों को पदोन्नत कर एडीजी बनाने का जो चलन प्रदेश में शुरू हुआ है, उससे मैदानी अफसरों का टोटा हो गया है। पिछले दिनों नए पद मिलने के बाद एडीजी की संख्या जहां 60 तक पहुंच गई। वहीं निचले स्तर पर आईजी और डीआईजी रैंक के अफसर ही नहीं है। उधर जहां प्रदेश में प्रशासनिक अधिकारियों की कमी है तो वहीं दूसरी ओर नए अफसरों के मिलने की संख्या भी उस रफ्तार से बेहद कम है।
एग्जाम में भी घट गई सीट
अन्य सरकारी वेकेंसी की तरह आखिरकार यूपीएससी/आईएएस एग्जाम 2018 में भी सीट कम हो गई। वर्ष 2016 में 1099 वेकेंसी थी, जबकि 2017 में 980 वेकेंसी। अब 2018 की जो वेकेंसी आई है, उसे देखकर उम्मीदवारों को निराशा हुई है। इस बार मात्र 782 पद हैं। एक तरफ तो हर राज्य में आईएएस अधिकारियों की संख्या कम है। वहां पद खाली पड़े हैं। हालत यह है कि कई राज्य संख्या में कमी बताकर अपने आईएएस अधिकारियों को केंद्र सरकार के डेप्यूटेशन पर भेजने में आना कानी कर रहे हैं। फिर भी यूपीएससी की इस बार की भर्ती में सीट कम कर दी गई है। इससे पहले बैंक, एसएससी, रेलवे और अन्य सरकारी भर्तियों में भी वेकेंसी कम होती जा रही है। खैर, आप निराश न हों, तैयारी पर ध्यान दें। आपको नई वेकेंसी का डिटेल बताते हैं। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सर्विस परीक्षा (सीएसई) 2018 का नोटिफिकेशन जारी किया है। यह सरकार में सबसे उच्चतम और प्रतिष्ठित नौकरियां हैं - आईएएस, आईपीएस और आईएफएस सहित 24 तरह की नौकरी। सिविल सेवा परीक्षा (आईएएस परीक्षा 2018) में विभिन्न सरकारी सेवाओं के 782 पदों पर भर्ती शुरू हुई है। इसकी प्रारंभिक परीक्षा 03 जून 2018 को यूपीएससी आयोजित करेगा।
-अजय धीर