एक तीर... कई निशाने
16-Mar-2018 10:06 AM 1234816
राज्यसभा की जिन 56 सीटों के लिए 23 मार्च को चुनाव हो रहे हैं उसके लिए सभी पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है। लेकिन, सबसे ज्यादा चर्चा बीजेपी की सूची देख कर हो रही है। ऐसा होना लाजिमी भी है। क्योंकि बदलती हुई बीजेपी का बदला-बदला चेहरा इस सूची में दिख रहा है। पुरानी परंपरा और पारंपरिक सोच से आगे निकलकर पार्टी के नए दौर की सोच इस सूची से झलक रही है। इसमें कोई बुराई भी नहीं है। पार्टी की कमान अब दूसरी पीढ़ी के हाथों में आ चुकी है। अब अटल-आडवाणी की बीजेपी नहीं, अब मोदी-शाह की बीजेपी है, जिसके सोंचने का तरीका अलग है। काम करने और कराने का अंदाज बिल्कुल जुदा है। दरअसल पार्टी राज्यसभा चुनाव के साथ ही कई चुनौतियों को साधने में जुटी हुई है। उसमें पार्टी का मिशन 2019 भी है। बीजेपी ने जिन उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है, उनमें से पार्टी के युवा नेता अनिल बलूनी और जीवीएल नरसिम्हाराव का नाम सामने आना काफी प्रमुख है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की टीम में अनिल बलूनी बीजेपी के मीडिया विभाग को हेड कर रहे है। इसके अलावा बलूनी बतौर पार्टी प्रवक्ता भी अपनी जिम्मेवारी निभा रहे हैं। इसके अलावा पार्टी के प्रवक्ता जी वी एल नरसिम्हा राव को भी बीजेपी ने यूपी से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। नरसिम्हा राव बेहतर सैफोलाजिस्ट भी हैं। नरसिम्हा राव को राज्यसभा भेजने का फैसला कर बीजेपी ने उनके कद को बड़ा किया है। खासतौर से आन्ध्र प्रदेश की राजनीति में बीजेपी अपने-आप को स्थापित करना चाह रही है, जहां से अभी पार्टी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। टीडीपी के साथ चल रही रिश्तों की कड़वाहट के बीच बीजेपी को आन्ध्र की राजनीति को साधने वाले नेता के तौर पर एक चेहरे की जरूरत है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता वेंकैया नायडू अब तक बीजेपी के दक्षिण भारत के बड़े चेहरे के तौर पर सामने थे, लेकिन, अब उनके उपराष्ट्रपति बन जाने और सक्रिय राजनीति से अलग होने के बाद बीजेपी ने जीवीएल नरसिम्हराव को सामने लाने की कोशिश की है। त्रिपुरा की जीत के बाद बीजेपी के एजेंडे में केरल काफी अहम हो गया है। केरल में फिलहाल पार्टी के पास संख्या बल नहीं है। लेकिन, बड़ी लड़ाई केरल में ही लड़ी जा रही है। यही वजह है कि बीजेपी ने केरल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष वी मुरलीधरन को महाराष्ट्र से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। बीजेपी ने अपने दो महासचिवों को भी इस बार राज्यसभा का टिकट दिया है। पार्टी महासचिव डाक्टर अनिल जैन को यूपी से जबकि सरोज पांडे को छत्तीसगढ़ से राज्यसभा भेजा जा रहा है। हालांकि सरोज पांडे छत्तीसगढ़ से पहले भी लोकसभा सांसद रही हैं। लेकिन, पिछले चुनाव में वो हार गई थी। अनिल जैन और सरोज पांडे दोनों संगठन से जुड़े हैं। सरोज पांडे के पास इस वक्त महाराष्ट्र की जिम्मेदारी है जबकि अनिल जैन हरियाणा और छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। ये दोनों नेता भी उतने बुजुर्ग नहीं हैं। यूपी से जिन लोगों को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया गया है, उसे देखकर तो यही लग रहा है कि जातीय समीकरण साधने की पूरी कोशिश की गई है। राजभर समुदाय के सकलदीप राजभर के अलावा विजयपाल सिंह तोमर, हरनाथ सिंह यादव और अशोक वाजपेयी को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाना जातीय समीकरण साधकर 2019 के पहले सारे समीकरण दुरुस्त करने की कोशिश के तौर पर ही देखा जा रहा है। बीजेपी ने यूपी में राजभर समुदाय को साथ लाने के लिए ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के साथ समझौता भी किया है। लेकिन, सकलदीप राजभर का राज्यसभा पहुंचना पार्टी की पिछड़ी जातियों में प्रभाव को और मजबूत कर सकता है। महाराष्ट्र में भी पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना से कांग्रेस के रास्ते होते हुए अलग पार्टी बना चुके नारायण राणे को भी बीजेपी राज्यसभा भेज रही है। नारायण राणे का कोंकण क्षेत्र में दबदबा रहा है। लेकिन, पिछले विधानसभा चुनाव में उनका किला ढ़ह गया था। अब अलग पार्टी बनाकर नारायण राणे एनडीए के साथ हो गए हैं। बीजेपी बदले में उन्हें राज्यसभा भेज रही है। शिवसेना के साथ रिश्तों में आ रही तल्खी के बाद बीजेपी अपने दुर्ग को मजबूत करना चाह रही है। राणे को राज्यसभा लाकर पार्टी की कोशिश भी यही है। राजस्थान को लेकर भी बीजेपी ने कुछ ऐसा ही दांव खेला है। राजस्थान में इस वक्त बीजेपी की हालत पतली है। साल के आखिर में विधानसभा का चुनाव होना है, लेकिन, उसके पहले हुए लोकसभा और विधानसभा की तीन सीटों के उपचुनाव में पार्टी के सफाए ने जनता की नाराजगी का संकेत दे दिया है। बीजेपी अब डैमेज कंट्रोल की कोशिश कर रही है। बीजेपी महासचिव भूपेंद्र यादव को फिर से राजस्थान से राज्यसभा का टिकट मिला है, जबकि बीजेपी ने किरोडी लाल मीणा को राज्यसभा भेजने का फैसला कर एक बड़ा दांव खेला है। मीणा एसटी समुदाय से आते हैं, लेकिन, दस साल पहले बीजेपी ने नाराज होकर उन्होंने अलग पार्टी बना ली थी। अब उनकी पार्टी राजपा का बीजेपी में विलय हो गया है। हालांकि बीजेपी ने अपने सभी आठ मंत्रियों को फिर से टिकट दिया है। लेकिन, इन सभी उम्मीदवारों को देखकर लग रहा है कि पुरानी परंपरा की दुहाई देते हुए केवल पार्टी के बुजुर्ग नेताओं को राज्यसभा भेजने की परंपरा पर अब मोदी-शाह की जोड़ी नहीं चल रही। लीक से अलग हट कर चलने की उनकी आदत के अनुरुप अब राज्यसभा में भी उर्जावान युवाओं की फौज दिखेगी जो पार्टी के समीकरण के हिसाब से फिट होंगे। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा चुनावों के लिये अपने जिन 8 नेताओं के नाम चुने उनमें से ब्राह्मण चेहरे सबसे अधिक हैं। भाजपा उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों को सबसे मजबूत मान कर अपनी रणनीति तैयार कर रही है। जिससे राज्यसभा के जरीये वह लोकसभा के लिये बेहतर मैदान तैयार कर सके। राज्यसभा के लिये उत्तर प्रदेश से भाजपा ने जिन 8 नेताओं के नाम चुने उनमें से 3 नाम ब्राह्मण बिरादरी से आते हैं। इनमें केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली, पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हाराव और समाजवादी पार्टी से भाजपा में आये अशोक वाजपेई का नाम प्रमुख है। ब्राह्मण बिरादरी के यह तीन बड़े और महत्वपूर्ण नाम हैं। भाजपा ने ब्राह्मण जातियों के मुकाबले दूसरी जातियों के जिन नामों का चुनाव किया है वह पार्टी की राजनीति को प्रभावित करने वाले नाम नहीं है। सकलदीप राजभर और हरनाथ यादव पिछड़ी जाति से हैं। कांता कर्दम दलित वर्ग से हैं। वह मेरठ से मेयर का चुनाव हार चुकी हैं। विजय पाल सिंह तोमर क्षत्रिय और डाक्टर अनिल जैन वैश्य बिरादरी से हैं। इसी तरह सपा, बसपा, राजद सहित अन्य दलों ने भी इस राज्यसभा चुनाव की जंग में 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के फायदे को देखते हुए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। हालांकि अभी तक जो दृश्य सामने आए हंै उससे तो यही प्रतीत होता है कि हर पार्टी ने अपने हिस्से की सीट पर ही उम्मीदवार खड़े किए हैं। कांग्रेस की सूची में पत्रकार केतकर का भी नाम कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव के लिए अपने दस उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगा दी है। इन उम्मीदवारों में वरिष्ठ पत्रकार कुमार केतकर का नाम भी शामिल है। वहीं पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के उम्मीदवार चुने गए हैं। तृणमूल कांग्रेस पहले ही सिंघवी की उम्मीदवारी का समर्थन करने की घोषणा कर चुकी है। सिंघवी कुछ बड़े कानूनी मामलों में तृणमूल की ओर से कोर्ट में पैरवी कर रहे है। गुजरात से अमी याज्ञनिक और पूर्व केंद्रीय मंत्री नारानभाई रतवा को राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया गया है। झारखंड से धीरज प्रसाद साहू को और मध्यप्रदेश से राजमणि पटेल की उम्मीदवारी को मंजूरी दी गई है। पार्टी के बयान के अनुसार महासचिव ऑस्कर फर्नांडीस और पत्रकार के तकार महाराष्ट्र से नामित किए गए हैं। वहीं पार्टी ने कर्नाटक से एल हनुमानथैया, सैयद नासिर हुसैन, जी सी चंद्रशेखर और तेलंगाना से बलराम नाईक को नामित किया है। महाकौशल और विंध्य को साधने की कोशिश मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए भाजपा उम्मीदवारों के चयन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पसंद ही सामने आई है। पार्टी ने प्रदेश महामंत्री अजय प्रताप सिंह और लोकतंत्र सेनानी संघ के अध्यक्ष कैलाश सोनी को टिकट दिया है। पार्टी ने अजय प्रताप सिंह के जरिए विंध्यक्षेत्र में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का प्रतिद्वंद्वी तैयार किया है। वहीं, कैलाश सोनी के माध्यम से महाकौशल को साधने का प्रयास किया है। इसके पहले पार्टी केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत और धर्मेंद्र प्रधान के नामों की घोषणा कर चुकी है। अजय प्रताप संघ की पसंद के रूप में देखे जाते हैं। उनके जरिए विंध्यक्षेत्र में पार्टी से क्षत्रिय वर्ग की दूरी को कम करना भी है। चित्रकूट विधानसभा उपचुनाव में भाजपा की हार में ठाकुरों की नाराजगी भी एक वजह थी। महाकौशल के नरसिंहपुर जिले से पार्टी के चार बार जिला अध्यक्ष रहे कैलाश सोनी को भेज कर कहीं न कहीं उसी जिले के भाजपा नेता प्रहलाद पटेल के प्रभाव को कम करने की कोशिश की गई है। इधर, कांग्रेस से राज्यसभा के लिए राजमणि पटेल को भेजा जा रहा है। इससे विन्ध्य की राजनीति में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को एक दमदार साथी मिल गया है। -दिल्ली से रेणु आगाल
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