अपनों से जंग
16-Mar-2018 10:00 AM 1234836
उप-चुनावों और स्थानीय निकाय चुनावों में लगातार हार के बाद राजस्थान में बीजेपी इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए कोशिशों में लग गई है। वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में राजनीतिक रैलियों में प्रधानमंत्री मोदी के साथ शायद ही कभी मंच साझा किया था। लेकिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की झुंझुनू यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मंच साझा किया। इससे पार्टी में यह संदेश गया कि राजे पर मोदी का विश्वास कायम है। ज्ञातव्य है कि अजमेर, अलवर और मांडलगढ़ में उपचुनाव में हार के बाद पिछले महीने से ही राजे, पार्टी की राज्य इकाई के निशाने पर हैं। सबसे पहले, भाजपा की कोटा जिला इकाई खुले तौर पर विरोध में आ गई और उसने सवाल उठाया कि क्या राज्य का नेतृत्व राजे के हाथ में होना चाहिए? कोटा जिले के बीजेपी के ओबीसी (अन्य पिछड़ा जाति) विंग के अध्यक्ष अशोक चौधरी ने नेतृत्व में बदलाव की मांग करते हुए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को इस बारे में एक पत्र लिखा। चौधरी के इस लेटर बम के बाद, राजे के करीबी व गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया को बीजेपी के विधायकों ने कानून और व्यवस्था की बिगड़ती हुई स्थिति को लेकर विधानसभा में घेर लिया। अपने खुद के गृह मंत्री का सबसे पहले विरोध करने वाले, जोधपुर के शेरगढ़ से भाजपा विधायक बाबू सिंह राठौड़ ने जनवरी में जोधपुर के समरू गांव में हुए जाति-संघर्ष का मुद्दा उठाया। राठौर ने राजस्थान पुलिस को नागरिकों की सुरक्षा में नाकाम रहने के कारण आड़े हाथों लिया और कहा, ऐसे पुलिस अधिकारी किस काम के हैं जो नागरिकों की रक्षा न कर सकें? यदि पुलिस लोगों की रक्षा करने में असमर्थ है, तो आप (सरकार) को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नागरिकों को बंदूक का लाइसेंस मिल सके ताकि कम से कम वे खुद की और उनके परिवारों की रक्षा के लिए हथियार उठा सकें! अलवर में बड़े पैमाने पर अवैध खनन के बारे में बात करते हुए बीजेपी विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने दावा किया कि अलवर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) निरंकुश और भ्रष्ट हैं। वह जिले में अवैध खनन को जारी रखने के लिए हर पुलिस स्टेशन से रिश्वत लेते हैं। राजस्थान में व्हाट्सएप और दूसरे सोशल मीडिया संदेशों में आम तौर पर राजे को महारानी कहकर संबोधित किया जाता है। पिछले विधानसभा चुनाव में दो-तिहाई बहुमत से जीत दर्ज करने वाली राजे इस छवि को तोडऩा चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने पिछले महीने के बजट में किसानों के लिए 50,000 तक के कर्ज को माफ करने की घोषणा की। उन्होंने कहा, किसान जिन्होंने सहकारी बैंकों से सितंबर 2017 तक 50,000 रुपये तक का कर्ज लिया है, उन्हें पूरी ऋण माफी मिल जाएगी। उन्होंने किसानों के लिए कई तरह की घोषणा की, जैसे कि ग्रामीण क्षेत्रों में 7 लाख नए बिजली कनेक्शन। राजे ने अलवर जिले में, जहां भाजपा इस महीने की शुरुआत में उपचुनाव हार गई थी, वहां एक कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की भी घोषणा की। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की तनख्वाह भी बढ़ाकर प्रति माह 6,000 रुपये कर दी गई। ऋण माफी के अलावा, राज्य के बजट में दूरदराज के इलाकों में रोड कनेक्टिविटी पर फोकस रहा खासकर पश्चिमी राजस्थान में रोड कनेक्टिविटी को लेकर। जैसा कि राजे ने पीने के पानी के संकट को हल करने का वादा किया था, उन्होंने घोषणा की कि सरकार 27 जिलों में शुद्ध पेयजल तक पहुंच सुनिश्चित करेगी। एक अन्य प्रमुख घोषणा में, राजे ने कहा कि 80 वर्ष से अधिक आयु वाले लोग राजस्थान रोडवेज की बसों पर मुफ्त में यात्रा कर पायेंगे। जिस तरह से कांग्रेस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए तैयारियों में जुट गई है उसी तरह से बीजेपी ने भी कमर कस ली है। छवि चमकाने के लिए रही सतर्क राज्य में सरकार और अपनी छवि चमकाने के लिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी के सामने काफी सतर्कता दिखाई। उपचुनावों में हार के बाद राज्य में मोदी की यह पहली यात्रा थी। राजे ने इसके लिए व्यक्तिगत तौर पर तैयारी करवाई थी। अधिकारियों को उन्होंने आदेश दिया था कि पीने के पानी की उपलब्धता और बैठने की व्यवस्था से लेकर पार्किंग सुविधाओं तक सब कुछ सही होना चाहिए। यहां तक कि जहां प्रधानमंत्री लैंड करने वाले थे उस हवाई पट्टी तक का उन्होंने निरीक्षण किया था। उनकी पूरी कोशिश थी कि प्रधानमंत्री के सामने प्रदेश की कोई खामी नजर ना आए। -जयपुर से आर.के. बिन्नानी
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