आईबी की भूमिका पर सवाल
03-Jul-2013 06:54 AM 1234782

गुजरात में हुए फर्जी एनकाउंटर देश की महत्वपूर्ण सुरक्षा एजेंसी आईबी की भूमिका पर सवाल खड़े कर रहे हैं। कहा जाता है कि आईबी ने गुजरात पुलिस की सहायता करते हुए जिन लोगों को ठिकाने लगवाया था वे निर्दोष तो थे ही ये एनकाउंटर भी फर्जी थे। इशरत जहाँ के अलावा गुजरात में ही 13 जनवरी 2003 को हुए एक अन्य एनकाउंटर को सीबीआई ने अपनी जांच में कथित रूप से फर्जी बताया है। सूत्र बता रहे हैं कि सीबीआई जांच में यह बात सामने आ रही है कि इस मामले में पुलिस ने न केवल फर्जी एनकाउंटर किया बल्कि आईबी ने भी पुलिस की इस साजिश में उसका साथ दिया।
सीबीआई ने अपनी जांच में छह आईबी के अधिकारियों से पूछताछ की है और सीबीआई के भीतरी सूत्र कहते हैं कि पूछताछ में कुछ अलग ही कहानी निकलकर सामने आ रही है। सूत्रों के अनुसार सादिक के बारे में आईबी को तीन जगहों से रिपोर्ट मिली थी। पहली रिपोर्ट मुंबई के गुरुराज सावदत्ती स्टेशन से अक्टूबर 2002 में आई, इसके बाद दूसरी रिपोर्ट आईबी मुख्यालय से उसी वर्ष 24 नवंबर को मिली और फिर अंतिम रिपोर्ट अहमदाबाद के आईबी विभाग से मिली जहां पर राजेंद्र कुमार तैनात थे। यह वही, राजेंद्र कुमार  हैं जिन पर इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामले में उंगली उठ रही है। सीबीआई की वर्तमान जांच रिपोर्ट कहती है कि सादिक के बारे में आईबी की रिपोर्ट  सादिक के चरित्र से मेल नहीं खाती। सादिक के गृहनगर भावनगर में 1996 में एक झगड़े का मामला दर्ज है और दूसरा नवंबर 2002 में जुएं का मामला दर्ज हुआ था। इस मामले में उसे जमानत मिल गई थी।
जबकि आईबी की तमाम रिपोर्टों के बाद ही मुंबई पुलिस ने 19 दिसंबर 2002 को उसे हिरासत में लिया था और आईबी ने एक हफ्ते तक उससे पूछताछ की थी । मुंबई क्षेत्र  के आईबी प्रमुख अबंड़ी गोपीनाथन ने सीबीआई को बताया है कि सादिक से पूछताछ में उन्हें कुछ भी खास नहीं मिला था। पूछताछ में मुंबई के आईबी विभाग ने पाया था कि सादिक के बारे में जो भी प्रारंभिक सूचना (वीवीआईपी पर हमले के संबंध में) थी वह सत्यापित नहीं हो रही थी। सूत्रों के अनुसार गोपीनाथन ने सीबीआई को बताया कि सादिक को क्लीनचिट की जानकारी दिल्ली में आईबी मुख्यालय को भेज दी गई थी। बावजूद इसके 3 जनवरी 2003 को सादिक को अहमदाबाद के काइम ब्रांच को सौंप दिया गया। 13 जनवरी 2003 को सादिक के एनकाउंटर की खबर आई। इस कहानी में कई पेंच हैं एक तरफ तो मुंबई आईबी से सादिक को क्लीनचिट मिलने के बावजूद उसे गुजरात को सौंप दिया गया। दूसरी तरफ राजेंद्र कुमार ने एक रिपोर्ट में कहा कि सादिक को अभी पकड़ा नहीं गया है और उसे तलाशने के प्रयास जारी हैं। इसके बाद आईबी के पश्चिमी विभाग के विशेष निदेशक ने कहा कि उसे खोजने के प्रयास जारी रखे जाएं। पुलिस ने उस वक्त दावा किया था कि सादिक एक आतंकी है और वह मोदी के अलावा विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगडिय़ा की हत्या करना चाहता था। सादिक के भाई साबिर ने इस मामले में आईबी के तत्कालीन संयुक्त निदेशक राजेंद्र कुमार, राज्य के पूर्व गृहराज्य मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री मोदी की भूमिका की जांच की मांग की है जिसके बाद कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सवाल यह है कि जब उसे क्लीन चिट मिल गयी थी और यह साबित हो चुका था कि वह एक मामूली अपराधी है तो उसे गुजरात को क्यों सौपा गया। इस प्रकरण की खास बात यह है कि आई बी मुख्यालय, गुरुराज  सावदत्ती स्टेशन और  राजेंद्र  कुमार ने तीन अलग अलग रिपोर्ट तैयार की जिनमें एकरूपता केवल यही थी कि तीनों में सादिक पर संदेह प्रकट किया गया था। यदि वह संदेहास्पद था तो उसे गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया जा सकता था। हम विदेशी आतंकवादी कसाब को वर्षों बिठाकर बिरयानी खिला सकते हैं और अपने ही देश के एक संदेहास्पद नौजवान को बचाव का अवसर भी नहीं देते। यह मामला गंभीर हो चला है।
उधर इशरतजहां कथित मुठभेड़ प्रकरण में भी सीबीआई ने आईबी के विशेष निदेशक राजेन्द्र कुमार से पूछताछ की है। कुमार से मुठभेड़ प्रकरण में उनकी भूमिका को लेकर पूछताछ की गई है।
सीबीआई इससे पहले भी कुमार से पूछताछ कर चुकी है। उस दौरान कुमार ने अपने बचाव में कहा था कि आईबी ने जो इनपुट दिए थे वे सही थे। इनपुट देने का मतलब यह नहीं था कि पुलिस एनकाउंटर करे। 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहर क्राइम ब्रांच के अधिकारियों के साथ हुई मुठभेड़ में इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै,अमजद अली राणा और जीशान जौहर मारे गए थे।  ये सभी आतंकी थे। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी सहित कई नेता इनके निशान पर थे। इशरत के घर वालों ने मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई। आईबी ने सीबीआई को एक पत्र भेजा था। इसमें कहा गया था कि लश्कर ए तैयबा ने भारत में सक्रिय अपने कैडर्स को निर्देश दिया था कि वह हिट लिस्ट में शामिल नेताओं की गतिविधियों पर नजर रखें। 13 फरवरी 2013 को लिखे पत्र में कहा गया था कि उसके पास यह इनपुट है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी,विहिप नेता प्रवीण तोगडिया,गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे आतंकियों के निशाने पर हैं।
अहमदाबाद से सतिन देसाई

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