सत्ता का सूखा!
16-Mar-2018 09:46 AM 1234786
करीब चौदह साल के वनवास के बाद वे एक बार फिर पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय होने के लिए प्रदेश की परिक्रमा करने की तैयारी में हैं। इसके लिए उन्हें पार्टी हाईकमान की ओर से हरी झंडी मिल गई है। बतौर कांगे्रस महासचिव व पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया के मुताबिक दिग्विजय सिंह नर्मदा परिक्रमा समाप्त करने के बाद प्रदेश की परिक्रमा करेंगे। उद्देश्य होगा पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को एकजुट कर भाजपा की प्रदेश सरकार के खिलाफ सक्रिय करना ताकि विस चुनाव के बाद कांगे्रस की सत्ता में वापसी हो सके। इन दिनों दिग्विजय सिंह सप्तनीक पैदल नर्मदा परिक्रमा कर रहे हैं। जिसकी वजह से आमजन में उनके बारे में धारणा बदल रही है। परिक्रमा जहां से होकर गुजरी या आगे गुजरने वाली है उससे प्रदेश के लगभग सौ विस क्षेत्र जुड़े हुए हैं। माना जा रहा है कि इन क्षेत्रों में कांगे्रस को नर्मदा परिक्रमा का लाभ जरूर मिलेगा। परिक्रमा पूरी करने के बाद जब दिग्विजय प्रदेश के दौरे पर निकलेंगे तब भी वे इन क्षेत्रों के दौरे पर जाएंगे। दिग्विजय इस बार प्रदेश में 1993 जैसा असर डाल पाते हैं या नहीं इस पर सबकी नजर है। 1993 में बाबरी ढांचे के विध्वंस के बाद हुए विस चुनाव में दिग्विजय सिंह की बदौलत ही कांग्रेस सत्ता में आई थी। उस समय भी उन्होंने पूरे प्रदेश में ताबड़तोड़ तरीके से प्रदेश में दौरे किए थे। दिग्विजय सिंह चूंकि पहले प्रदेश में मंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं और इसके बाद दस साल तक लगातार सीएम। लिहाजा स्वाभाविक तौर पर प्रदेश भर में उनके समर्थक हैं और अच्छा नेटवर्क है। शायद ही कांग्रेस के किसी अन्य नेता के इतने समर्थक प्रदेशभर में हैं। इसलिए यदि वे प्रदेश का दौरा करते हैं तो कांग्रेस को इसका लाभ मिल सकता है। बशर्तें की दूसरे नेता गुटबाजी के चलते इस यात्रा को लेकर टांग खिंचाई में न जुट जाएं। उल्लेखनीय है कि दिग्विजय सिंह ने 30 सितंबर यानि विजयादशमी के दिन बरमान घाट नरसिंहपुर से अपनी नर्मदा यात्रा शुरू की थी। वे अभी तक लगभग डेढ़ हजार किमी की यात्रा पूरी कर चुके हैं। यात्रा के दौरान जिस तरह का माहौल दिख रहा है उससे तो यह साफ है कि उनकी इस यात्रा के बड़े राजनीतिक मायने हैं। तभी तो छत्तीसगढ़ के नेता भी इसमें शामिल हो रहे हैं। 10 मार्च को जैसे ही दिग्विजय सिंह अमरकंटक वहां उनकी अगवानी करने के लिए बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता पहुंचे हुए थे। इस दृश्य को देखकर यात्रा के मायने साफ झलकने लगे। क्योंकि वहां लहार विधायक गोविंद सिंह, पिछोर विधायक केपी सिंह, विजयपुर विधायक रामनिवास रावत, ब्यौहारी विधायक रामपाल सिंह, पुष्पराजगढ़ विधायक फुन्देलाल सिंह, रीवा से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेंद्र शर्मा, उमरिया से वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजय सिंह, नपा चुनाव के दौरान शहडोल से बागी हुए रविंद्र तिवारी भी पहुंचे हुए थे। इस दौरान बातचीत में कांग्रेस नेताओं ने बताया कि ग्रामीण एरियों में यात्रा को हाथों-हाथ लिया गया है। उमरिया से वरिष्ठ नेता अजय सिंह ने कहा कि दावा कोई करे लेकिन मध्यप्रदेश में आज भी दिग्विजय सिंह की बराबरी नहीं है और ये यात्रा आज भले ही आध्यात्मिक है लेकिन हम लोगों को इसका बड़ा लाभ मिलने जा रहा है। ब्यौहारी विधायक रामपाल सिंह का कहना था कि हमें इस यात्रा से काफी उम्मीदें हैं। इस यात्रा ने एक हलचल तो पैदा की ही है। कांग्रेसियों को आस लौटैगा सत्ता का सूख मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और उनकी पत्नी अमृता सिंह भले ही आध्यात्मिक यात्रा पर निकले हैं लेकिन कांग्रेस नेताओं को आस है कि ये यात्रा उनका सत्ता का वनवास खत्म करेगी। इसी उम्मीद में बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता यात्रा में पहुंच रहे हैं। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2003 के विस चुनाव में जब कांग्रेस को शिकस्त मिली थी तो उससे पहले 10 साल तक लगातार दिग्विजय सिंह ही प्रदेश के सीएम थे। उस वक्त उन्होंने विस चुनाव के पूर्व ही घोषणा की थी कि यदि कांगे्रस हारी तो वे 10 साल तक कोई पद नहीं लेंगे। कांगे्रस को सत्ता से बाहर हुए 14 साल से ज्यादा का समय गुजर चुका है और तब से पहली बार दिग्विजय सिंह ने प्रदेश में अपनी सक्रियता बढ़ाई है। नर्मदा परिक्रमा उनका निजी संकल्प था इसके लिए पार्टी हाइकमान से उन्होंने छह माह का अवकाश ले रखा है। पर इसे प्रदेश में उनकी सक्रियता की शुरुआत माना जा रहा है। - अरविंद नारद
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