16-Mar-2018 09:07 AM
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देश में एक तरफ जहां आम आदमी को एक लाख रुपए के लोन के लिए बैंक क्रूर नजर आते हैं वहीं बड़े-बड़े कारोबारियों के सामने वे नतमस्तक हो जाते हैं। जिसके कारण ऐसा लगता है जैसे अपने देश के बैंक लुटने और लुटाने के लिए ही बने हैं। देश के सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कई हजार करोड़ों का चूना लगाने वालों में हीरा कारोबारी नीरव मोदी, शराब कारोबारी विजय माल्या, मेहुल चोकसी और विक्रम कोठारी जैसे बड़े कारोबारी ही शामिल नहीं है बल्कि एक अध्ययन के मुताबिक 2012 से 2016 बैंकों में जमा जनता की गाढ़ी कमाई के 22,743 करोड़ रूपये धोखेबाज उड़ा ले गए हैं। इसमें हाल के घोटाले की राशि को शामिल कर लिया जाए तो यहां आंकड़ा 36 हजार करोड़ से ऊपर पहुंच जाता है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संसद में भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा था कि पिछले साल 21 दिसंबर तक बैंकों के साथ धोखाधड़ी के 25,600 मामले सामने आए, जिनमें बैंकों को करीब 179 अरब रूपये की चपत लगाई गई।
आंकड़ों के मुताबिक, 2017 वित्तीय वर्ष के पहले 9 महीनों में बैंकों के साथ एक लाख या इससे ज्यादा राशि की धोखाधड़ी के करीब 455 मामले आईसीआईसीआई बैंक में, 429 मामले एसबीआई में, 244 मामले स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में और 237 मामले एचडीएफसी बैंक में सामने आए। वहीं, अप्रैल से दिसंबर 2016 के दौरान बैंकों से धोखाधड़ी करने के 3500 से ज्यादा मामले सामने आए थे। बैंकों के साथ धोखाधड़ी में बैंक कर्मी भी शामिल पाए गए हैं। सीबीआई ने 2011 में खुलासा किया था कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और आईडीबीआई जैसे बैंकों के कर्मियों ने करीब 10 हजार फर्जी खाते खोले और 15 हजार करोड़ रूपये के ऋण जारी किए।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 में भी बैंकों के साथ धोखाधड़ी के मामले सामने आए थे जब मुंबई पुलिस ने 700 करोड़ रूपये की धोखाधड़ी के मामले में 9 एफआईआर दर्ज की थी, इसी वर्ष इलोक्ट्रोथर्म इंडिया कंपनी सेंट्रल बैंक को 436 करोड़ रूपये का भुगतान करने में नाकाम रही थी। इसके अलावा कोलकाता के उद्यमी बिपिन वोहरा ने कथित रूप से फर्जी दस्तावेजों के सहारे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से 140 करोड़ रूपये हासिल किए थे। आईआईएम बेंगलुरू के अध्ययन के मुताबिक, 2015 में जैन इंफ्राप्रोजेक्ट के कर्मचारियों ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को करीब 200 करोड़ रूपये का चूना लगाया था। हैरत की बात यह है कि इसी वर्ष विभिन्न बैंक के कर्मचारी नकली हांग कांग कॉरपोरेशन बनाकर धोखाधड़ी में लिप्त पाए गए थे। इन लोगों ने मिलकर बैंक को करीब 600 करोड़ रूपये का चूना लगाया था। अध्ययन में कहा गया, 2016 में सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी का मामले सबसे बड़े मामलों में से एक हैं, जिसमें चार लोगों ने मिलकर करीब 380 खाते खोले और फर्जी चेक, एलआईसी पॉलिसी और लेटर ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एलओयू) के माध्यम से बैंक को करीब 10 अरब रूपये का घाटा पहुंचाया।
फर्जी लेटर ऑफ अंडरस्टेंडिंग (एलओयू) के बारे में बताते हुए विख्यात अर्थशास्त्री डॉ. विजय कौल कहते हैं कि एलओयू किसी भी कारोबारी की कंपनी और उसके क्रेडिट स्कोर को देख कर बैंक की ओर से जारी किए जाते हैं और नीरव मोदी समेत सभी बड़े कारोबारियों को बैंक के अधिकारियों ने ही जारी किए। लेकिन, कारोबारियों ने बैंक के अधिकारियों को पैसा खिलाकर एलओयू हासिल किए जिसके नतीजे हमारे सामने हैं। बैंकिंग प्रणाली हमेशा विश्वास पर चलती है लेकिन यहां कुछ लोगों ने अपने फायदे के लिए जालसाजी करके बैंकों को चूना लगाया। यह एक बड़ी साजिश का भी हिस्सा है। वर्ना इस देश में बैंकों को लूटने की घटनाएं बार-बार नहीं होतीं।
कारोबारियों ने लगाई चपत
बैंकों के साथ धोखाधड़ी मामले में सबसे अहम खुलासा तब हुआ जब 2017 में शराब कारोबारी और किंगफिशर विमानन कंपनी के मालिक विजय माल्या ने आईडीबीआई और दूसरे बैंकों को करीब 9,500 करोड़ रूपये का चूना लगाया और देश से भाग निकले। इसी वर्ष भारत की दूसरी कंपनी विनसम डायमंड सुर्खियों में आई। इस कंपनी पर करीब सात हजार करोड़ रूपये की देनदारी का मामला है। इसके अलावा डक्कन क्रॉनिकल ने बैंकों को करीब 11.61 अरब करोड़ रूपये का नुकसान पहुंचाया। वहीं 2017 में कोलकाता के बिजनेस टाइकून निलेश पारिख को कम से कम 20 बैंकों को 22.23 अरब रूपये का नुकसान पहुंचाने के लिए गिरफ्तार किया गया था। वर्ष 2018 में हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक को करीब 11,450 करोड़ रूपये का चूना लगाया। मोदी ने इसके अलावा 17 अन्य बैंकों से करीब तीन हजार करोड़ रूपये का ऋण ले रखा था।
- नवीन रघुवंशी