03-Mar-2018 09:21 AM
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कमल हासन की पार्टी का नाम-मक्कल नीति मय्यम है। इसका अर्थ होता है, जन न्याय केंद्र। यही नहीं, उन्होंने अलग से यह कहना भी जरूरी समझा कि उनकी पार्टी जन-असंतोष से जनमी है। ठीक अरविंद केजरीवाल की तरह। केजरीवाल ने भी आम आदमी पार्टी की घोषणा पर यही कहा था। केजरीवाल के निशान पर जिस तरह अन्य बड़े दल थे, कुछ उसी तरह कमल हासन ने भी पार्टी की राजनीतिक दिशा या विचारधारा को लेकर संकेतों और सूत्रों में कुछ वैसी ही बातें भी कहीं। उन्होंने जहां द्रविड़ विचारधारा या आंदोलन को अपनी बुनियाद बताया, वहीं दक्षिणपंथी राजनीति पर एतराज भी जताया। उन्होंने कहा कि तिरंगे के तीन रंगों में केवल एक रंग भगवा है, जबकि उसे पूरे झंडे पर फैलाने की कोशिश हो रही है। इस तरह इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता कि यह सब भाजपा को नागवार गुजरेगा। पर मक्कल नीति मय्यम का गठन अन्नाद्रमुक और द्रमुक को भी शायद ही रास आएगा, क्योंकि दोनों पार्टियां नहीं चाहेंगी कि द्रविड़ विरासत पर कोई और दावा ठोंके। अलबत्ता आपसी मुकाबले में कमजोर पडऩे पर दोनों में से कोई भी पार्टी कमल हासन की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा सकती है। पर यह तो बाद की बात है। अभी सवाल यह है कि कमल हासन के आने से तमिल राजनीति पर क्या असर पड़ेगा।
तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है जिसकी सियासत को सिनेमा के सितारों ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। एमजी रामचंद्रन, जयललिता और करुणानिधि फिल्मी दुनिया से आए थे। इस इतिहास को देखते हुए स्वाभाविक ही कमल हासन की नई भूमिका को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता और दिलचस्पी है। सितंबर 2005 में भी ऐसा ही मंजर था, जब सिनेमा की दुनिया से आकर विजयकांत ने अपनी नई भूमिका शुरू की थी। वे भी लोकप्रिय थे और उनकी पार्टी एमडीएमके का थोड़ा-बहुत जनाधार भी बन गया, पर जयललिता और करुणानिधि का विकल्प बनने की उनकी हसरत पूरी नहीं हो पाई। कमल हासन ने ऐसे वक्त राजनीति में कदम रखा है जब जयललिता इस दुनिया में नहीं हैं और अन्नाद्रमुक अनिश्चितताओं से घिरी हुई और धड़ों में बंटी हुई है। दूसरी तरफ, लगातार दो चुनाव हारने और वयोवृद्ध करुणानिधि की निष्क्रियता से द्रमुक की भी हालत खस्ता है। रही-सही कसर आरके नगर के उपचुनाव ने दोनों पार्टियों को आईना दिखा कर पूरी कर दी। इस तरह, कोई लोकप्रिय शख्सियत तमिलनाडु की राजनीति में कदम रखे, पृष्ठभूमि इसके एकदम अनुकूल है। पर सुपरस्टार कहे जाने वाले रजनीकांत भी राजनीति में आने का अपना इरादा औपचारिक रूप से घोषित कर चुके हैं। उन्होंने अपना राजनीतिक रुझान उस तरह से अभी तक साफ तौर पर जाहिर नहीं किया है, जिस तरह से कमल हासन कर चुके हैं।
केवल एक अनुमान है कि भाजपा को रजनीकांत रास आ सकते हैं। लेकिन रजनीकांत ने थोड़ा-बहुत दक्षिणपंथी झुकाव दिखाया, पर भाजपा से हाथ नहीं मिलाया, तो चुनाव में भाजपा को लाभ होगा या नुकसान? वैसी सूरत में भाजपा को रजनीकांत मित्र नजर आएंगे, या खतरा? बहरहाल, इस तरह के सारे सवाल यही बताते हैं कि दशकों से दो ध्रुवों में बंटी रही तमिलनाडु की राजनीति अभी पूरी तरह अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। यह भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि विधानसभा चुनाव तय समय पर ही यानी 2022 में होंगे, क्योंकि सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक भीतर ही भीतर विभाजित है। फिलहाल निश्चित तौर पर यही कहा जा सकता है कि नए समीकरण बनेंगे, दलों को लेकर भी, और उनके सामाजिक जनाधार को लेकर भी।
राजनीतिक हलकों में कमल हासन के बारे में जरा अलग राय है। पहली प्रतिक्रिया में उन्हें वास्तविक राजनीति में इंटर्न कहकर खारिज कर दिया गया। लेकिन नेताओं को थोड़ा सा कुरेदिए तो फौरन उनका डर सामने आ जाता है कि यह पार्टी उनके दल पर विपरीत असर डालेगी। वह जानते हैं कि तमिलनाडु की राजनीति, लंबे समय से कॉलीवुड से कैंपस सलेक्शन करती आई है और परंपरागत राजनेता कमल और रजनीकांत की साथ-साथ एंट्री देख मन-ही-मन कुढ़ रहे हैं।
शायद यही वजह है कि विभिन्न तमिल नेता कमल और रजनीकांत को अपमानित करने के लिए बॉटनी- वह भी बड़े अतार्किक तरीके से- का सहारा ले रहे हैं। डीएमके के एमके स्टालिन, जिन्हें आशंका है कि कमल का द्रविड़वाद उनकी पार्टी से टकराएगा, कमल और रजनीकांत का नाम लिए बिना उन्हें आकर्षक कागजी फूल बताते हैं। कमल हासन ने इसका जवाब यह कह कर दिया- मैं फूल नहीं हूं, मैं बीज हूं, मुझे जमीन में बो दो, मैं उग आउंगा। एआईएडीएमके के डी जयकुमार ने इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए हासन को जेनेटिकली मॉडिफाइड बीज करार दिया, जो भारत में नहीं उग सकता। बीजेपी के राज्य अध्यक्ष तमिलिसाई सुंदरराजन ने कमल को विकास-रुद्ध बोनसाई करार दिया।
अगर सत्तारूढ़ पार्टी घबराई हुई है तो उसने इसका प्रदर्शन भी कर दिया। इसने एक दक्षिणपंथी संगठन हिंदू मुन्नानी की तरफ से उठाई गई आपत्ति का इस्तेमाल कर कमल हासन को रामेश्वरम में एपीजे अब्दुल कलाम के स्कूल जाने से रोकने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग को लगा दिया। टीम कमल ने इसे मुद्दा नहीं बनाया और कमल ने सिर्फ इतना कहा कि वो उन्हें स्कूल जाने से रोक सकते हैं, लेकिन सीखने से नहीं रोक सकते। वैसे यह फैसला सही था कि एक स्कूल का अर्ध-राजनीतिक चर्चा के लिए इस्तेमाल ठीक नहीं है, लेकिन एआईएडीएमके सरकार भूल गई कि वह खुद हाल ही में एमजीआर के शताब्दी समारोह में स्टूडेंट्स को घंटों लाइन में खड़ा करने की दोषी है। तमिलनाडु में राजनेताओं और अभिनेताओं को भारी-भरकम उपाधियों से संबोधित किए जाने की परंपरा का पालन करते हुए उलागानायकन (ब्राह्मांड का हीरो) कमल हासन के राजनीतिक अवतार को नया नाम दिया जा रहा है- नम्मावर (हमारा आदमी)। संयोग से नम्मावर उनकी 1994 की फिल्म का भी नाम था, जिसने सर्वश्रेष्ठ तमिल फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था। कमल हासन के समर्थकों ने सुनिश्चित किया कि उनके पोस्टर मदुरई की हर दीवार पर दिखाई दें, लेकिन असल चुनौती अब शुरू होती है- ईंट से जोड़ कर पार्टी को खड़ा करने की।
साथ आएंगे रजनी-कमल?
दक्षिण भारत के दो लोकप्रिय सितारे, रजनीकांत और कमल हासन ने तमिलनाडु की राजनीति को एक बार फिर से दिलचस्प बना दिया है। रविवार को कमल हासन रजनीकांत से मिलने उनके घर गए थे। दोनों के बीच हुई मुलाकात से राज्य में सियासी अटकलें इस बात को लेकर तेज हो गयी थीं कि क्या दोनों एक साथ आएंगे। जिसका जवाब फिलहाल नहीं ही माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि अभी दोनों अपने-अपने रास्तों पर चलेंगे। लेकिन भविष्य में दोनों साथ आ सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि राजनीति में प्राय: ये देखा गया है कि कब क्या हो ये कोई नहीं कह सकता। इसका एक उदाहरण तो हमें खुद तमिलनाडु में ही देखने को मिला था जब ओ। पन्नीरसेल्वम और पलानिस्वामी एक साथ आये थे। कमल हासन, रजनीकांत, तमिलनाडु, राजनीति कमल हासन और रजनीकांत के एक साथ आ जाने से भविष्य में तमिलनाडु की राजनीति और भी दिलचस्प हो जाएगी।
जाति-धर्म के खेल से परे होगी हमारी पार्टी
अभिनेता से नेता बने कमल हासन ने अपनी पार्टी मक्कल नीधि मय्यमÓ की धूम धड़ाके के साथ शुरुआत की। उन्होंने पार्टी का झंडा भी पेश किया। मक्कल नीधि मय्यमÓ के मुताबिक पार्टी का झंडा एकता की शक्ति की निशानी है। पार्टी के नाम का अर्थ है जन न्याय का केंद्रÓ। पार्टी का नाम घोषित करने से पहले हासन ने कहा, मैं आपका नेता नहीं... आपका जरिया हूं... इस सभा में सब नेता हैं। पार्टी का नाम रखने से ठीक पहले इसका झंडा पेश किया गया। सफेद रंग के झंडे पर आपस में गोलाई में गुंथे छह हाथ बने हैं। तीन हाथ लाल और तीन सफेद रंग के हैं। इसके बीच एक सितारा बना है। हासन की मानें तो पार्टी बनाना जनता के शासन की दिशा में पहला कदम है। इस कार्यक्रम में अरविंद केजरीवाल के अलावा आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सोमनाथ भारती, किसान नेता पी आर पांडियान भी मंच पर मौजूद थे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तमिलनाडु के लोगों से अपील की है कि वे कमल हासन की नई पार्टी को वोट दें और कथित भ्रष्टÓ पार्टियां एआईएडीएमके व डीएके को बाहर का रास्ता दिखाएं। केजरीवाल ने कहा, मैं देख सकता हूं कि तमिलनाडु के लोग डीएमके और एआईएडीएमके को बाहर करने और कमल हासन को सत्ता में लाने के लिए तैयार हैं।Ó कमल हासन ने कहा कि उनकी पार्टी ऐसी राजनीति के लिए है जो जाति-धर्म के खेलÓ से परे और सुशासन पर ध्यान देगी। हासन ने अपने भाषण में तमिलनाडु से जुड़े अहम मुद्दों मसलन कावेरी जल विवाद, कथित भ्रष्टाचार और नोटा फॉर वोट को शामिल किया। अपनी पार्टी के झंडे के बारे में उन्होंने कहा, आप करीब से देखेंगे तो इसमें दक्षिण भारत का नक्शा पाएंगे। इसमें छह हाथ छह दक्षिणी राज्यों के लिए हैं। बीच में जो सितारा है वह जनता के लिए है।Ó
-रजनीकांत