रेत करोबारियों की मनमानी
16-Mar-2018 09:05 AM 1234832
तू डाल-डाल, मैं पात-पात की तर्ज पर प्रदेश में रेत का काला कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। कहीं लाइसेंस लेकर तो कहीं बिना लाइसेंस के अवैध खनन जारी है। रेत का यह अवैध कारोबार प्रशासनिक अमले की भी कमाई का जरिया बना हुआ है। इसी कारण कार्रवाई नहीं की जाती है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि प्रदेश की जीवनरेखा नर्मदा नदी हो या कोई अन्य नदी उनमें बेधड़क अवैध खनन चल रहा है। आलम यह है कि सरकार की नई रेत खनन नीति केवल कागजी शोभा बनकर रह गई है। प्रदेश में नर्मदा, चंबल, सोन सहित जितनी नदियां हैं उनमें अवैध रेत का खनन जोरों पर है। सोन नदी में रेत उत्खनन व परिवहन पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है। इसके बावजूद रेत की निकासी पर रोक नहीं लग पा रही है। रेत की वैध खदानों में भी नियमों को दरकिनार कर बीच नदी में टू-टेन मशीनों के माध्यम से धड़ल्ले से रेत की खुदाई की जा रही है। इससे नदियों के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है। रेत कारोबारी नदी का सीना चीरकर रेत का उत्खनन करने में व्यस्त है। जबकि खदान संचालन की अनुमति की शर्तों के अनुरूप जेसीबी या टू-टेन जैसी मशीनों से रेत का उत्खनन नहीं किया जा सकता है, बल्कि श्रमिकों से रेत का उत्खनन कराना है। मप्र में अवैध खनन और परिवहन रोकने मई 2017 में कानून को सख्त किया गया था। प्रदेश की नदियों और खदानों से हो रहे अवैध खनन व उसके अवैध परिवहन को रोकने के लिए मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम में संशोधन किया है। यह संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिए गए हैं। अब अवैध खनन और परिवहन के मामले में पकड़े गए व्यक्ति पर सरकार खनिज पदार्थ की रॉयल्टी का 30 से 70 गुना तक राशि बतौर जुर्माना वसूल सकेगी। इसके अलावा अवैध खनन और परिवहन के मामले में पकड़े गए खनिज पदार्थ और वाहन को कलेक्टर सीधे राजसात कर सकेंगे। इस संशोधन में खास बात यह है कि वाहन जितनी बार पकड़े जाएंगे, उन पर उतना जुर्माना बढ़ता जाएगा। प्रदेश की कई खदानों में रोक के बाद भी अवैध रेत खनन किया जा रहा है। खनन माफिया दिन में रेत का स्टॉक करते है और रात में लोगों तक पहुंचाते है। हालांकि जिला स्तर पर अवैध रेत खनन रोकने के लिए छुटपुट कार्रवाई होती रहती है। जो नाकाफी साबित हो रही है। वहीं रेत का इतना बड़ा कारोबार किया जा रहा है कि उन पर अब प्रशासन भी लगाम नहीं लगा पा रहा है। अब पहाड़ों से मुरम और पत्थर का अवैध परिवहन करना आम बात हो गई है। दरअसल, सरकार ने नई रेत खनन नीति तो जारी कर दी, लेकिन अफसरों की सांठ गांठ से अवैध खनन निरंतर हो रहा है। जहां एक ओर रेत के लिए नर्मदा के तटों को छलनी किया जा रहा था। वहीं, दूसरी ओर मिट्टी के खनन से नर्मदा तट उथले किए जा रहे हैं। रेत और मिट्टी के खनन से नर्मदा तटों की स्थिति दयनीय हो गई है। पहले तो सिर्फ रेत का ही खनन हो रहा था। अब मिट्टी का खनन होना भी शुरू हो गया है। खनिज विभाग द्वारा मिट्टी खदानों के लिए लायसेंस दिया जाता है। लेकिन अधिकांश जगह एक भी लायसेंसधारी मिट्टी खदान नहीं है। बावजूद इसके मिट्टी का अवैध खनन जारी है। रेत के लिए चीर रहे नदियों का सीना नदियों का सीना चीरकर हर दिन पनडुब्बी से (रेत खींचने वाली अवैध मशीन) एक दिन में लगभग 54 लाख रुपए की रेत निकाली जा रही है। इन पर लगाम लगाने माइनिंग, प्रशासन और पुलिस लगातार कार्रवाई कर पनडुब्बी नष्ट कर रही है। इसके बावजूद खनन बंद नहीं हो पाया है। स्थिति यह है 6 लाख रुपए में बनने वाली एक पनडुब्बी के नष्ट होने पर माफिया दूसरे दिन ही नई पनडुब्बी नदी में डालकर प्रतिदिन 10 से 12 डंपर रेत निकालने में लग जाते हैं। पनडुब्बी बनाने का तरीका और इससे निकाला जा रहा रेत शत प्रतिशत अवैध है, इसके बाद भी प्रशासनिक अधिकारी पनडुब्बी नष्ट करते समय न तो मशीन में लगे इंजन के नंबर के आधार पर जांच करते हैं और न ही मरम्मत और असेंबलिंग करने वाले लोगों को पकडऩे की कोशिश कर रहे हैं। पनडुब्बी तैयार करने के लिए ट्रक का इंजन इस्तेमाल किया जाता है, जिसको कंडम गाडिय़ों का बताते हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि रेत खींचने में इस्तेमाल हो रहे इंजन चोरी के भी हो सकते हैं। अंडरलोड डंपर 18 से 20 हजार, ओवरलोड राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हरियाणा जाकर 70 से 80 में भी बिक रहा है। दूसरे राज्यों में जा रहे ओवरलोड वाहन 1 हजार फीट माल के बदले में 40 हजार रुपए तक खर्च कर रहे हैं। -विकास दुबे
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