03-Mar-2018 08:59 AM
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प्र में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल हुए 14 साल से अधिक का समय हो गए हैं, लेकिन अभी तक उसके लिए सत्ता दूर की कौड़ी ही नजर आ रही है। इसकी वजह यह है कि पार्टी को सत्ता में लाने की जिम्मेदारी जिन नेताओं पर हंै, वे ही बेपटरी है। हैरानी की बात यह है कि विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर कांग्रेस में बैठकों का दौर लगातार चल रहा है, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकल रहा है। हां, प्रदेश प्रभारी बावरिया की बौखलाहट जरूर देखने को मिल रही है। अभी हाल ही में जबलपुर, भोपाल और इंदौर में आयोजित बैठक में उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों के लिए जिस गाइड लाइन का जिक्र किया उससे पार्टी में आक्रोश पनपने लगा है।
युवा चेहरों को चुनावी मैदान
में उतारेगी कांग्रेस
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस युवा एवं ऊर्जावान चेहरों पर दांव लगाएगी। पार्टी ने जिस तरह गुजरात चुनाव में नए चेहरे और युवाओं को मौका दिया, वही फार्मूला मप्र में भी अपनाया जाएगा। पार्टी के उम्रदराज और चार-पांच बार टिकट ले चुके नेताओं की भूमिका बदली जाएगी। इस दौरान उन्होंने पार्टी की युवा, महिला विंग के अलावा प्रवक्ताओं से भी अलग-अलग चर्चा की। कांग्रेस ने मप्र में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए गुजरात की तर्ज पर अपनी रणनीति बनाई है। जिस तरह गुजरात में पार्टी ने अलग-अलग समाज और वर्गों को रिझाने के लिए कार्यक्रम बनाए थे, वही प्रयोग मप्र में भी दोहराया जाएगा। चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने के लिए नए व ऊर्जावान युवाओं को ज्यादा टिकट दिए जाएंगे।
प्रदेश प्रभारी ने दो टूक कहा कि एआईसीसी और पीसीसी के पास फंड नहीं है। इसलिए प्रत्याशी चुनने के पहले यह देखा जाएगा कि वह अपने स्त्रोत से फंड का इंतजाम कर सकेगा या नहीं। टिकट के लिए जो आवेदन करना चाहता है उसके लिए फीस भी तय है। एससी-एसटी उम्मीदवार के लिए 5000 रुपए, अन्य उम्मीदवारों के लिए 25000 रुपए से 50000 रुपए तक के कूपन लेने होंगे। कूपन खरीदना टिकट की गारंटी नहीं है। चयन के लिए चार स्तर पर सर्वे होगा। अलग-अलग रिपोर्ट में देखा जाएगा कि आवेदकों के नाम सर्वे सूची में हैं या नहीं। इसके अलावा उनके नाम जिला कमेटी, पीसीसी और वरिष्ठ नेताओं की ओर से भी आना चाहिए। तब समन्वय समिति निर्णय करेगी। बावरिया ने संकेत दिया है कि जो कांग्रेस नेता चुनाव हार चुके हैं इसके अलावा जिनकी उम्र 60 साल से अधिक हो गई है उन्हें टिकट नहीं दिया जाएगा। कांग्रेस में 60 उम्र पार करने वालों के टिकट नहीं देने का फार्मूला लागू हुआ तो मध्यप्रदेश में पार्टी के 7 मौजूदा विधायक टिकट के दौड़ से बाहर हो जाएंगे। इसमें नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और गोविंद सिंह जैसे विधायक भी शामिल होंगे। इसके साथ ही 20 ऐसे पूर्व मंत्री या पूर्व विधायक भी टिकट की लड़ाई में दूर हो जाएंगे।
प्रदेश में इस साल होने वाल विधानसभा के आम चुनावों मेें लगातार चौथी बार जीत हासिल करने के लिए जहां भाजपा अभी से पूरी ताकत लगा रही है, तो वहीं कांग्रेस भी सत्ता के सूखे को समाप्त करने के लिए रणनीति बनाने में जुट गई है। दीपक बावरिया ने बताया कि करीब 6 माह पहले जिनको टिकट देना है उन्हें इशारा कर दिया जाएगा। इसके लिए मापदंड बनेगा उसके तहत ही उन्हें मौका दिया जाएगा।
टिकट के लिए देनी होगी चार स्तर पर परीक्षा
विधानसभा चुनाव अभी दूर है लेकिन कांग्रेस में अभी से टिकट को लेकर हलचल दिखाई देने लगी है। उधर, बावरिया ने संकेत दिया है कि कांग्रेस इस बार गुजरात की तर्ज पर टिकट वितरण करेगी। इसके लिए चुनाव प्रचार के लिए राशि उम्मीदवारों से ही जुटाई जाएगी। हालांकि, यह टिकट मिलने की गारंटी नहीं होगी। टिकट से पहले चार स्तरों पर कठिन परीक्षा होगी तभी टिकट मिलेगा। प्रदेश प्रभारी ने कांग्रेस नेताओं को चेतावनी भी दी कि व्यक्ति के लिए नहीं, कांग्रेस के लिए काम करें। शक्ति प्रदर्शन मंजूर नहीं। पदाधिकारी भी काम करें या पद छोड़ें। चुनाव में कांग्रेस नेता निर्दलीय खड़े होकर भाजपा उम्मीदवारों की मदद करते हैं और धन कमा रहे हैं। ऐसे नेताओं को चिन्हित कर पार्टी से बाहर करेंगे। कांग्रेस का नुकसान करने वाले नेता पार्टी में मंजूर नहीं हैं।
- भोपाल से अजय धीर