03-Mar-2018 09:23 AM
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उत्तर प्रदेश के रास्ते भाजपा मिशन 2019 की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने थ्री सी प्लान बनाया है। थ्री सी में पहला सी है क्राइम कंट्रोल दूसरा करेंसी और तीसरा क्रेडिबिलिटी। इन्हीं तीन सी के सहारे यूपी में भाजपा 2019 का चुनाव जीतने की रणनीति बना रही है। यूपी में क्राइम कंट्रोल के लिए अपराधियों का धड़ाधड़ एनकाउंटर हो रहा है। अपराधी हाथ जोड़े फिर रहे हैं। वहीं प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन कर सरकार ने करेंसी यानी कमाई की बुनियाद रख दी है।
लखनऊ में हुए दो दिवसीय निवेशक सम्मेलन में जो उत्साह देखा गया उससे उम्मीद पैदा हुई है कि राज्य अब बेमानी मुद्दों के मुकाबले वैसी पहल कदमी के लिए तैयार है, जिससे वहां की तस्वीर बदल सके। न सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र में, बल्कि निजी क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर न मिलने से आम लोगों के बीच निराशा का भाव है। इस लिहाज से देखें तो लखनऊ में हुए निवेशक सम्मेलन में पहली बार भारी पैमाने पर निवेश के प्रस्तावों पर सहमति के साथ औद्योगिक विकास की राह खुलने की उम्मीद जगी है। गौरतलब है कि सम्मेलन में रिलायंस, अडाणी, आदित्य बिड़ला और टाटा समूह सहित देश के बड़े औद्योगिक घरानों ने उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए उत्साह दिखाया है। निश्चित रूप से यह राज्य सरकार के लिए खुश होने की बात होगी कि इस आयोजन में चार लाख अ_ाईस हजार करोड़ रुपए के निवेश की घोषणाएं हुईं।
अब उम्मीद जताई जा रही है कि इन प्रस्तावों पर अमल के बाद काफी संख्या में रोजगार पैदा होंगे। जिस रक्षा उद्योग कॉरिडोर की घोषणा हुई है, वह कई जिलों को छूता हुआ होगा। सेना के काम में आने वाले सामानों के निर्माण के लिए जो छोटे-बड़े उद्योग विकसित होंगे, उनके शुरू होने पर ढाई लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सकेगा। इसके अलावा, देश में पूर्वी और पश्चिमी कॉरिडोर बन जाने से उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। दरअसल, पिछले कुछ सालों में नोटबंदी से लेकर कई बड़े आर्थिक फैसलों की वजह से लगभग हर क्षेत्र में बड़ी तादाद में लोगों की नौकरियां जाने या बेरोजगार होने की खबरें आईं। यहां तक कि केंद्र सरकार की सीधी भर्ती वाली नौकरियों में भी भारी कमी दर्ज की गई। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस दौर में युवाओं की संख्या का हवाला देकर देश को महाशक्ति बनाने की बातें की जा रही हों, उसमें अगर रोजगार के हालात इस कदर बिगड़े रहे तो उसका अंजाम क्या हो सकता है! इसलिए केवल उत्तर प्रदेश नहीं, बल्कि केंद्र और सभी राज्यों की सरकारों को इस मसले पर गंभीरता से विचार करने और नया रास्ता निकालने की जरूरत है।
देखा गया है कि बहुत सारे एमओयू यानी सहमति-पत्र घोषित तो हो जाते हैं, पर कार्यान्वित नहीं हो पाते। सम्मेलन में जितनी बड़ी रकम के निवेश के प्रस्तावों पर सहमति की घोषणाएं हुई हैं, उन पर न केवल गंभीरता से अमल सुनिश्चित कराने की जरूरत है, बल्कि इसके साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों के ढांचे को भी मजबूत और कारगर बनाने पर शिद््दत से ध्यान देना होगा। लेकिन यह तभी संभव हो सकेगा, जब कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर कोताही नहीं बरती जाए और सामान्य आपराधिक गतिविधियों से लेकर अलग-अलग समुदायों के बीच तनाव और हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सरकार पूरी सख्ती बरते। यूपी के उद्योग मंत्री सतीश महाना के मुताबिक हम एक सफल शिखर सम्मेलन के साथ राज्य के बारे में धारणा को बदल सकते है। शिखर सम्मेलन को आयोजित करना बड़ी चुनौती नहीं थी बल्कि मुख्य चुनौती एमओयू को लागू करने की होगी। यूपी सरकार सभी आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने मे सहयोग प्रदान करेगी।
बढ़ेंगे रोजगार के अवसर कम होगा अपराध
उत्तरप्रदेश में भाजपा सरकार जिस थ्री सी प्लान के साथ काम कर रही है उससे प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे साथ ही अपराध कम होंगे। पिछले साल विधानसभा चुनाव में यूपी में गुंडाराज बड़ा मुद्दा था। अब योगी सरकार ने एनकाउंटर करके कानून व्यवस्था को दुरुस्त करना शुरू कर दिया है। यानि जब 2019 के चुनाव में बीजेपी उतरेगी तो इस छवि को भुनाने की कोशिश करेगी। अब गुंडागर्दी पर लगाम लगने का नतीजा ये हुआ है कि प्रदेश में निवेश का माहौल बन रहा है यानी करेंसी की कमी नहीं रहने वाली है। देश के बड़े उद्योग पतियों ने राज्य में विकास का द्वार खोल दिया है। कुल मिलाकर पीएम मोदी और सीएम योगी की क्रेडिबिलिटी यानी विश्वसनीयता, एनकाउंटर के जरिये क्राइम कंट्रोल और निवेश के जरिये लोगों की जेब में पैसा भरकर बीजेपी 2019 का चुनाव जीतने की तैयारी कर रही है।
-मधु आलोक निगम