किसानों के साथ छल
03-Mar-2018 08:50 AM 1234881
मप्र में इस बार धान खरीदी के आंकड़े देखकर ही अनुमान लगाया जा रहा था कि खरीदी में फर्जीवाड़ा हुआ होगा। एक शिकायत के बाद कराई गई जांच में धान उपार्जन के दौरान खरीदी संस्थाओं द्वारा आर्थिक अनियमितता करने का मामला अब व्यापक रूप में सामने आया है। प्रारंभिक स्तर पर यह फर्जीवाड़ा 9 जिलों में सामने आया था। अब जांच का दायरा बढऩे पर इसकी आंच सभी जिलों तक पहुंच गई है। खरीदी संस्थाओं द्वारा किए गए फर्जीवाड़े में 77702 किसानों के साथ छल की बात सामने आ रही है। इसके लिए 34717 बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया है। जानकारी के अनुसार, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित छतरपुर एवं उससे संबद्ध प्राथमिक सेवा सहकारी समितियों में किसानों से हुई धोखाधड़ी की शिकायत पर जांच की गई। जांच में पाया गया कि धान खरीदी करने वाली संस्थाओं ने किसानों के पंजीयन के दौरान किसानों द्वारा दिए गए व्यक्तिगत खाते के स्थान पर संस्था के बचत खाते का नंबर अंकित कर दिया। ऐसे में फसल बिक्री के बाद उपार्जन एजेंसी से जो राशि किसानों के व्यक्तिगत खाते में जानी थी, वह संस्थाओं के बचत खाते में चली गई। रकम प्राप्त कर संस्थाओं ने किसानों को राशि भुगतान में व्यापक पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की। मामले को आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाओं ने गंभीरता से लिया। वर्ष 2017-18 में धान उपार्जन पोर्टल पर पंजीयन की जांच एनआईसी को सौंपी। प्रारंभिक पड़ताल में 9 जिलों में फर्जीवाड़ा होना पाया गया। हालांकि अब पूरा प्रदेश इस फर्जीवाड़े की गिरफ्त में आ गया है। आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक रेणु पंत ने इस मामले में अपेक्स बैंक के प्रबंध संचालक को पत्र जारी कर मामले की जांच के आदेश दिए हैं। इस अनियमितता के उजागर होने से ई-उपार्जन को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। आखिर किसान के नाम पर पंजीयन किसने करवा लिया। कहीं दलालों ने तो समिति स्तर पर सांठगांठ कर अपना या पड़ोसी राज्यों का अनाज उपार्जन में तो नहीं खपा दिया। समिति के खाते में जो राशि गई, उसे किसे और कैसे बांटा गया। उपार्जन नीति के अनुसार उपज बेचने वाले किसानों के पसर्नल खाते ही पोर्टल पर दिए जाना था, इसकी जगह कुछ संदिग्ध खातों का ब्यौरा देकर समितियों ने इसमें भुगतान कराया। नागरिक आपूर्ति निगम या मार्कफेड से इन खातों में पेमेंट भी हो गया। समितियों के जरिए कई किसानों की उन जमीनों की बही लगाकर धान बेचा गया, जिन पर कभी धान पैदा ही नहीं हुआ, मतलब बाजार में नंबर दो की धान को भी सरकारी दर पर बेचकर मुनाफा कमाया गया। जिला सहकारी बैंक होशंगाबाद के अध्यक्ष भरत सिंह राजपूत कहते हैं कि इससे इंकार नहीं कर सकते कि व्यापारियों ने किसानों की आड़ में अपनी उपज बेची होगी, किसानों के पंजीयन तो समितियों में ही हुए हैं। इन जिलों में सामने आया फर्जीवाड़ा मामले की जांच रिपोर्ट आई तो पता चला कि प्रदेश के सभी जिलों में इस तरह का खेल किया गया है। सबसे ज्यादा किसानों की संख्या होशंगाबाद में 7428 पाई गई है। उनके नाम 3599 खातों में अंकित किए गए हैं। अन्य जिलों की स्थिति देखें हरदा में 6512 किसानों के नाम 3097 खातों में अंकित किए गए, सीहोर में 1567 किसान 747 खाते, सीधी में 213 किसान 106 खाते, सिवनी में 3023 किसान 1448 खाते, सिंगरौली में 790 किसान 334 खाते, सागर में 6935 किसान 3135 खाते, सतना 1736 किसान 732 खाते, शिवपुरी 3810 किसान 1547 खाते, शाजापुर 648 किसान 312 खाते, शहडोल 723 किसान 236 खाते, श्योपुर 970 किसान 473 खाते, विदिशा 2060 किसान 979 खाते, रीवा 1858 किसान 890 खाते, रायसेन 3013 किसान 1442 खाते, राजगढ़ 355 किसान 166 खाते, रतलाम 399 किसान 197 खाते, मुरैना 588 किसान 286 खाते, मंदसौर 1676 किसान 621 खाते, मंडला 853 किसान 413 खाते, भोपाल 522 किसान 255 खाते, भिण्ड 794 किसान 387 खाते, बालाघाट 189 किसान 90 खाते, बुरहानपुर 100 किसान 50 खाते, बैतूल 551 किसान 255 खाते, बड़वानी 77 किसान 38 खाते, पन्ना 1392 किसान 664 खाते, नीमच 342 किसान 168 खाते, नरसिंहपुर 2300 किसान 1104 खाते, धार 981 किसान 477 खाते, देवास 898 किसान 437 खाते, दमोह 1533 किसान 719 खाते, दतिया 969 किसान 355 खाते, डिंडोरी 116 किसान 55 खाते, टीकमगढ़ 1734 किसान 733 खाते, झाबुआ 275 किसान 134 खाते, जबलपुर 3845 किसान 1856 खाते, छिंदवाड़ा 1130 किसान 543 खाते, ग्वालियर 1900 किसान 894 खाते, गुना 779 किसान 354 खाते, खरगौन 329 किसान 162 खाते, खंडवा 428 किसान 206 खाते, कटनी 2989 किसान 995 खाते, उमरिया 445 किसान 120 खाते, उज्जैन 1674 किसान 811 खाते, इंदौर 1038 किसान 505 खाते, आगर मालवा 263 किसान 128 खाते, अशोकनगर 994 किसान 407 खाते, अलीराजपुर 179 किसान 88 खाते और अनूपपुर में 37 किसानों के नाम 14 खातों में अंकित कर धोखाधड़ी की गई है। -भोपाल से अरविंद नारद
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