मौसम हड़ताल का
03-Mar-2018 08:32 AM 1234868
चुनावी साल है। इसकी अहमियत कितनी है, इस बात को राजनीतिक दल के नेता, जनप्रतिनिधि या अधिकारी-कर्मचारी बहुत अच्छे से जानते हैं। इसी को मद्देनजर रखते हुए इन दिनों प्रदेशभर में विभिन्न विभागों में काम कर रहे संविदा कर्मचारी, अतिथि, सहकारिता कर्मी, स्वास्थ्य कर्मी और अन्य संगठन अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इससे सेवाएं भी प्रभावित तो हो रही हंै, लेकिन हड़ताली इससे बेपरवाह मांग न माने जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी तक दे रहे हैं। राजधानी से लेकर जिला मुख्यालयों तक प्रदर्शन, ज्ञापन, रैली, सद्बुद्धि यज्ञ, पूजन, शपथ के माध्यम से अपनी मांगों को उठाया जा रहा है। दरअसल चुनावी वर्ष में आंदोलन करने की परंपरा प्रदेश में तेजी से बढ़ी है। इस साल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अध्यापकों की मांगों को मानकर आग में घी डालने का काम कर दिया है। इसके बाद लगभग सभी कर्मचारी संगठन आंदोलन की राह पकड़ रहे हैं। प्रदेश में फिलहाल वाणिज्यक कर विभाग के तीन संघों द्वारा, संविदा कर्मचारियों, सहकारिता समिति कर्मचारियों, स्वास्थ्य कर्मियों आदि द्वारा आंदोलन किया गया है। वहीं करीब दर्जनभर कर्मचारी संगठनों ने सरकार को आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है। उनकी मांगों में सातवें वेतन मान, समयमान वेतनमान, समानकार्य समान वेतन और नितमितीकरण आदि प्रमुख हैं।  संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष सौरभ सिंह चौहान कहते हैं कि नियमितीकरण की मांग को लेकर पूरे प्रदेश में अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है। वहीं गुना में संगठन के सभी प्रदेश पदाधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन को जोर दिया है। कारण है गुना से सटे अशोकनगर और शिवपुरी जिले में विधानसभा उपचुनाव है। जहां विरोध प्रदर्शन करने से सरकार और संगठन पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। कर्मचारी नेता वीरेंद्र खोंगल कहते हैं कि कर्मचारियों को अपनी मांगे मनवाने के लिए यह समय सही है। हर संगठन की अलग-अलग कर्मचारी हितैषी मांगें होती हैं। पिछले सालों से सरकार ने इन मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया है। चुनावी साल में आंदोलन होने से निश्चित ही सरकार पर दबाव बनता है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव कहते हैं कि प्रदेश सरकार कर्मचारियों के साथ लगातार छल कर रही है। इसलिए मजबूर होकर उन्हें आंदोलन करना पड़ रहा है। कर्मचारियों के आंदोलन इस बात के संकेत हैं कि भाजपा शासन में किसी का भला नहीं हुआ है। चाहे वह किसान हो या कर्मचारी। चुनावी साल और सरकार पर दबाव आए दिन होने वाले विरोध प्रदर्शन और आंदोलनों की प्रमुख वहज चुनावी वर्ष का होना है। इसी कारण कर्मचारियों ने कहीं अनिश्चितकालीन हड़ताल का रास्ता अपनाया तो कहीं चरणबद्ध तरीके से आंदोलन किया जा रहा है। वहीं कुछ संगठनों ने सरकार को आगामी आंदोलन की चेतावनी जारी की है। कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारियों ने बताया कि कर्मचारियों द्वारा कई बार सरकार को अलग-अलग माध्यमों के जरिए मांगों से अवगत कराया जाता है, लेकिन नजीता सिफर ही निकलता है। इसी कारण इस चुनावी वर्ष में सरकार पर दबाव बनाने के लिए ही आंदोलन किए जा रहे है। इस समय संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ, मप्र सहायक वाणिज्यक कर अधिकारी संघ, मप्र वाणिज्यक कर निरीक्षक संघ, मप्र कराधान सहायक संघ, संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ, अध्यापक संघर्ष समिति, मप्र सहकारिता समिति कर्मचारी महासंघ, सेमी गवर्मेंट एम्पलाईज फेडरेशन, निवृत्त कर्मचारी 1995 (राष्ट्रीय) समन्वय समिति, मप्र शासकीय गैंगमैन श्रमिक संघ, मध्यप्रदेश गौसेवक संघ, मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, मप्र अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मौर्चा, मप्र शासकीय कर्मचारी परिसंघ, बैंक एम्पाइज एसोसिएशन आंदोलन की राह पर है। -इंदौर से विशाल गर्ग
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