03-Mar-2018 08:06 AM
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जाब नेशनल बैंक में पाए गए भारी-भरकम घोटाले के बाद सरकारी बैंकों की बदहाली का मुद्दा चर्चा में है। इस बात को लेकर आम सहमति बनती जा रही है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक गहरे संकट का शिकार हैं और वे किसी असाधारण उपाय से ही सुधर सकते हैं। इसके लिए सरकार को सख्त होना पड़ेगा। वर्ना भारतीय बैंकों को इस तरह लूटा जाता रहेगा और यहां की आमजनता इसका खामियाजा भुगतती रहेगी। इस देश की जनता के लिए सबसे हैरानी की बात यह है कि आखिर नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक से 11,400 करोड़ रुपए कैसे लूट ले गए। अगर एक आम आदमी की बात की जाए तो एक कार लोन या मोटरसाइकिल लोन लेने के लिए भी उसे ढेर सारी कागजी जरूरतें पूरी करनी होती हैं और साथ में सबूत भी पेश करने होते हैं। ऐसे मामूली लोन लेने के लिए भी पैन, आधार, वोटर आईडी, एंप्लॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट और 6 महीने का बैंक स्टेटमेंट देना पड़ता है।
इसलिए यह कल्पना से भी परे है कि कोई शख्स हजारों करोड़ रुपयों का कर्ज ले सकता है। ऐसा कैसे हो सकता है जबकि बैंक एंट्रेस एग्जाम तो बहुत ही कठिन लेते हैं, आवेदन करने वाले को एग्जाम देने से पहले ही सब कुछ आना चाहिए? सभी जांच एजेंसियां कहां हैं? इतने बड़े पैमाने के फ्रॉड मामलों में भारतीय रिजर्व बैंक सहयोगी है या विरोधी? जवाब है ऐसे मामलों की जांच नहीं होना और हर स्तर तक भ्रष्टाचार का व्याप्त होना। एक सामान्य बैंकर को पैन, आधार और वोटर आईडी जैसे टूल्स की जरूरत होती है। एक बड़ा बैंक फ्रॉड करने के उद्देश्य से अपने आप को तैयार करने के लिए सिर्फ 10 लाख रुपए का छोटा सा निवेश करना होगा। इस फ्रॉड के लिए सबसे जरूरी है एक बहुत अच्छा चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए), फाइनेंशियल वल्र्ड में जमा खर्चा कहे जाने वाली चीज का एक एक्सपर्ट, जिसमें कभी ना हुए ट्रांजेक्शन को भी दिखाने की काबिलियत हो, जिसे हिंदी में इधर का पैसा उधर, उधर का पैसा इधर कहते हैं। एक सीए सबसे पहले बहुत सारी कंपनियों को कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय में रजिस्टर करना शुरू कर देगा (नीरव मोदी के मामले में ईडी नीरव से जुड़ी करीब 200 कंपनियों की जांच कर रही है), जो सारा काम बिना किसी शख्स से सवाल जवाब किए आसानी से ऑनलाइन ही हो सकता है। अगर आपको बहुत जल्दी है तो सीए जादू से एक शेल्फ कंपनी पैदा कर देगा- वह कंपनी जो सीए ने पहले से ही रजिस्टर की हुई है, जिसके डायरेक्टर, ऑर्टिकल ऑफ एसोसिएशन, बैंक खाते, पैन, प्रोफेशनल टैक्स रजिस्ट्रेशन सब कुछ मौजूद होगा, जिनका इस्तेमाल करके आप कुछ ही हफ्तों में फर्जी ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं।
इसकी शुरुआत डायरेक्टर के नंबर या डीआईएन, हाई टेक डिजिटल सिग्नेचर और फिर आपकी मर्जी के फ्रॉड की कंपनी रजिस्टर करवाने से होगी, जिसके बारे में सीए आपको सलाह भी देगा। एक शेल्फ कंपनी का काम शुरू होता है डीआईएन लेने से। इसके बाद बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को ज्वाइन करने के लिए अप्लाई किया जाता है, इसके बाद सभी डायरेक्टर इस्तीफा दे देते हैं और फिर पूरा कंट्रोल नए डायरेक्टर के हाथ में आ जाता है। नया डायरेक्टर आर्टिकल्स को दोबारा लिखता है, सभी बैंक खातों पर कंट्रोल कर लेता है और मंत्रालय को भी ऑनलाइन पोर्टल के जरिए सूचना दे दी जाती है। इस नई कंपनी का दूसरा पहलू ये है कि इसका कोई पुराना रिकॉर्ड नहीं है। एक शेल्फ कंपनी में कुछ सपोर्टिंग फाइनेंशियल एक्टिविटी होती रहती हैं- आप जितने पैसे खर्च करना चाहें उतने पैसों के ट्रांजेक्शन होते हैं, यह सब कुछ हजार रुपए सालाना से लेकर लाखों रुपयों तक हो सकता है। यहां यह बात ध्यान देने की है कि यह सब पूरी तरह से कानूनी है। यहां एक कड़वा सच है कि ऊपर जो भी स्टेप्स और एक्टिविटीज की गई हैं वह सब कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की देख-रेख में होते हैं। हर बार सभी दस्तावेज ऑनलाइन दिए जाते हैं और किसी की भी बहुत बारीकी से जांच नहीं होती है। सरकारी व्यवस्था की ऐसी ही खामियों का फायदा उठाकर बैंकों को चपत लगाई जा रही है।
सैकड़ों मोदियों और कोठारियों का पकड़े जाना अभी बाकी है
हीरा व्यापारी नीरव मोदी और पैन व्यापारी विक्रम कोठारी कितने रुपए खा गए? सिर्फ 14095 करोड़ रु.! मैं इस राशि को सिर्फÓ क्यों कह रहा हूं? क्योंकि पिछले साढ़े पांच साल में हमारी बैंकों के 3 लाख 68 हजार करोड़ रु. खाए गए हैं। यह इतनी बड़ी राशि है कि दुनिया के ज्यादातर देशों के कुल बजट से भी ज्यादा है। भारत के हर गांव पर इस राशि में से 50 लाख रु. लगाए जा सकते हैं। यानी भारत नंदनवन बन सकता है। लेकिन रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार इतनी राशि डूबतखाते में लिख दी गई है। देश के 27 सरकारी बैंकों और 22 निजी बैंकों की इस राशि को देश के पूंजीपति जीम गए हैं। निजी बैंकों के मुकाबले सरकारी बैंकों को पांच गुना ज्यादा लूटा गया है, क्योंकि इन बैंकों की लूट में नेताओं और पूंजीपतियों की मिलीभगत होती है। नेता लोग दबाव डालते हैं और पूंजीपतियों की 10 करोड़ की संपत्ति को 100 करोड़ में गिरवी रखवा देते हैं। पंजाब नेशनल बैंक की ठगी से मालूम पड़ा है कि उच्च पदस्थ प्रबंधकों को भी नियमित कमीशन (रिश्वत) मिलता है। रिजर्व बैंक की रपट के बाद मोदी और कोठारी के दो मामले खुले हैं। देश में सैकड़ों मोदियों और कोठारियों को अभी रंगे हाथ पकड़ा जाना है। कहीं ऐसा न हो कि ये सब बैंकें दीवालिया घोषित हो जाएं।
-अक्स ब्यूरो