17-Feb-2018 10:03 AM
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एक तरफ मप्र सरकार किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुना करने के मिशन पर काम कर रही है। वहीं दूसरी तरफ यहां के किसानों के साथ लगातार छल किया जा रहा है। ऐसा ही छल नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा के किसानों से एनटीपीसी ने किया है। इसको लेकर किसान पिछले छह माह से आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलनरत किसानों को न्याय दिलाने के लिए पूर्व केन्द्रीय वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा को भी धरना देना पड़ा, वहीं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा भी आंदोलन में शरीक हुए। हालांकि जिला प्रशासन के आश्वासन के बाद फिलहाल आंदोलन रोक दिया गया है, लेकिन अगर किसानों को न्याय नहीं मिला तो आंदोलन उग्र हो सकता है।
किसान नेता कक्का जी कहते हैं कि मध्यप्रदेश नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा की जमीन काफी उपजाऊ जमीन है। यहां के किसान साल में तीन फसल लेते हैं। एनटीपीसी ने यहां पावर प्लांट स्थापित करने के लिए सात सौ किसानों की लगभग अठारह सौ एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। किसानों को जमीन के बदले पंद्रह लाख रुपए प्रति एकड़ राशि देने का प्रस्ताव रखा गया था। किसानों ने राशि बढ़ाने के लिए आंदोलन किया। केन्द्र सरकार के तत्कालीन ऊर्जा राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रति एकड़ राशि बढ़ाकर अठारह लाख रुपए कर दी थी।
किसानों को हर साल तीस हजार रुपए प्रति एकड़ का बोनस दिए जाने का लिखित वादा भी किया था। बोनस की राशि तीस साल तक दी जानी है। प्लांट में परिवार के एक सदस्य को स्थाई नौकरी दिए जाने का वादा भी किया गया था। किसानों को वादे के अनुसार न तो बोनस का भुगतान किया गया और न ही परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी गई है। किसान नेता जंडेल सिंह कौरव कहते हैं कि एनटीपीसी की वादाखिलाफी के कारण कई परिवारों को मजदूरी कर गुजारा करना पड़ रहा है। एनटीपीसी प्रबंधन पूरे विवाद से यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि उसने मुआवजे की पूरी राशि सरकार के पास जमा करा दी है। मध्यप्रदेश सरकार इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए है।
सरकार की खामोशी के कारण नरसिंहपुर जिले के डोंगरगांव सहित आधा दर्जन गांवों में एनटीपीसी को लेकर किसानों का असंतोष बढ़ता जा रहा है। यहां स्थापित किए गए प्लांट के लिए सैकड़ों किसानों की कीमती कीमतें जमीनें तो ले ली गईं पर शर्त के मुताबिक आज तक एक भी परिवार को नौकरी नहीं दी गई न ही बोनस दिया जा रहा है। जिससे किसानों में शासन, प्रशासन और एनटीपीसी प्रबंधन के खिलाफ भारी आक्रोश है। यहां लगाए गए एनटीपीसी प्लांट के लिए डोंगरगांव, चोर बरेहटा, गांगई, घाट पिपरिया, कुड़ारी, उमरिया आदि गांवों के 700 किसानों की करीब 1800 एकड़ कृषि भूमि का अधिग्रहण किया गया है। डोंगरगांव के डालचंद कौरव और उनके पांच भाइयों की 30 एकड़ जमीन प्लांट के लिए ले ली गई। एनटीपीसी से उन्हें केवल जमीन की कीमत मिली। न तो आज तक बोनस मिला और न ही पांचों भाइयों के परिवारों में से किसी को नौकरी दी गई। किसान नेता जंडेल सिंह कौरव बताते हैं कि उन्होंने 45 दिन तक नौकरी और बोनस के लिए संघर्ष किया पर प्रशासन और एनटीपीसी ने कोई सुनवाई नहीं की। क्षेत्र के युवा अभी भी नौकरी के लिए भटक रहे हैं। कक्का जी कहते हैं कि अधिग्रहण के समय किसानों की जमीनों की कीमत 15 लाख रुपए प्रति एकड़ तय की गई थी पर किसानों के आंदोलन और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के हस्तक्षेप के बाद 18 लाख रुपए प्रति एकड़ निर्धारित की गई थी। किसानों को इस दर से भुगतान करने के बाद कहा गया कि इसी में बोनस और नौकरी की क्षतिपूर्ति शामिल है। जिससे किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। अगर किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो यह आंदोलन बड़ा रूप ले सकता है।
लगातार विवादों में रहा है प्लांट
गाडरवारा का एनटीपीसी पावर प्लांट शुरु से ही भिन्न-भिन्न कारणों के चलते विवादों में रहा है,और यह शिलशिला लगातार जारी है,निर्माण कार्यों में गुणवत्ता हीनता राजनीतिक संरक्षण के चलते यहाँ अनेकों कार्यों में ठेकेदारों द्वारा बड़ी मात्रा में प्रशासन को पलीता लगाया जा रहा है,और साथ ही मजदूरों एवं किसानों का हक डकारने में भी,एनटीपीसी प्रबंधन पीछे नही है,जिसके चलते किसान एवं मजदूर बार-बार प्रदर्शन कर रहे हैं। एनटीपीसी के ग्रुप जीएम एके पांडेय कहते हैं कि किसानों की जमीनों का मुआवजा, सालाना बोनस और प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को नौकरी देना आदि ये सब शासन की जिम्मेदारी है। हमने मुआवजा राशि और बोनस राशि शासन के पास जमा करा दी थी। अब हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। सरंपच ग्राम पंचायत कुड़ारी के सरंपच अजमेर कौरव कहते हैं कि एनटीपीसी ने हमारे खेत ले लिए और हमारे युवाओं को मजदूरी करने के लिए बाध्य कर दिया। न बोनस दिया जा रहा है और न प्लांट में नौकरी।
- धर्मेन्द्र सिंह कथूरिया