03-Mar-2018 07:24 AM
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मप्र ने 8 माह बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसलिए अपना पांचवां बजट पेश करते हुए वित्तमंत्री जयंत मलैया ने उन सभी वर्गों का ख्याल रखा जो प्रदेश में सबसे बड़े वोट बैंक हैं। यानी इस बार के बजट में किसान, कर्मचारी और युवा वर्ग को ध्यान में रखते हुए घोषणाएं कीं। वित्तमंत्री ने 2018-19 के लिए 2 लाख 4 हजार 642 करोड़ रुपए का बजट पेश किया, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में मप्र का बजट 1 लाख 98 हजार 594 करोड़ रुपए का था। इस तरह इस बार 6 हजार 48 करोड़ रुपए अधिक का बजट पेश किया गया है। वित्तमंत्री ने 26 हजार 780 करोड़ रुपए के घाटे का भी जिक्र है।
शिवराज सरकार ने चुनावी साल में अपने बजट में कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। किसानों को निहाल करने 18 फीसदी बजट राशि कृषि बजट के नाम कर दी। कर्मचारियों और पेंशनर्स की नाराजी भी दूर की गई है। निगम-मंडल कर्मचारियों को सातवां वेतनमान व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को वृत्तिकर में छूट संबंधी राहत दी गई है। अध्यापकों को रिझाने शिक्षा संवर्ग में संविलयन का एलान किया है। बिजली संबंधी वादे और दावों के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर में भोपाल-इंदौर सिक्सलेन रोड व मेट्रो ट्रेन का प्रथम चरण शुरू करने की घोषणा भी है। बजट में उद्योग, विकास, शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य एवं ऊर्जा क्षेत्र के लिए भी कई वादे और दावे किए गए हैं। स्मार्टसिटी के लिए 700 करोड़ का प्रावधान करते हुए भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, सागर और सतना में सुविधाएं जुटाने की घोषणा की गई है। वहीं भोपाल-इंदौर सिक्स लेन एक्सप्रेस हाईवे के लिए बजट में 5 हजार करोड़ का प्रावधान किया है। जबलपुर, विदिशा और ग्वालियर में कैंसर उपचार की बेहतर सुविधा देने का भी एलान किया गया है।
निस्संदेह प्रदेश के वर्ष 2018-19 के बजट में वित्त मंत्री जयंत मलैया कृषि व ग्रामीण विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देते नजर आए। केंद्र सरकार की तरह वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य घोषित करते हुए वित्त मंत्री ने किसानों व खेती के लिए बजट में घोषणाओं की झड़ी लगा दी। इस तरह प्रदेश सरकार ने बजट के माध्यम से किसानों को साधने की हरसंभव कोशिश की है।
इस बजट में गरीबों के कल्याण पर भी जोर है। नए वित्त वर्ष में दीनदयाल रसोई योजना के तहत प्रारंभ में प्रदेश के चार बड़े शहरों के गरीब लोगों को 5 रुपए में भोजन उपलब्ध कराने की योजना है। इस योजना को कॉर्पोरेट सामाजिक जवाबदेही (सीएसआर) कोष से संचालित किया जाएगा। बाद में योजना का विस्तार पूरे प्रदेश में किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत पेंशन की राशि 150 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए की है, जो आज के समय के हिसाब से नाकाफी लगती है। समाज में विधवाओं की कमजोर स्थिति को देखते हुए शासन ने सेवारत और पेंशनभोगियों को छोड़कर सभी विधवाओं को पेंशन देने का निर्णय लिया है। इसके लिए बजट में 1,501 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इस बजट में गरीबों एवं पिछड़े वर्ग की छोटी योजनाओं पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। इसमें आदिवासी, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए खासतौर पर नई योजनाओं को शामिल किया गया है। इन वर्गों के लिए स्वरोजगार की ऐसी नई योजनाएं बजट में प्रस्तुत की गई हैं, जिसमें सरकार थोड़ा पैसा देकर हितग्राही की आमदनी बढ़ा सके। स्वरोजगार के लिए बजट आवंटन दोगुना किया गया है। मुख्यमंत्री ऋणी सेवाधार योजना भी शुरू की गई है। यद्यपि प्रदेश के खजाने की खस्ता हालत है, फिर भी सरकार चुनावी साल में कर्मचारियों को साधने के लिए खजाने का मुंह खोलने से पीछे नहीं हटी है। प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को खुशियां देने के प्रावधान भी नए बजट में किए गए हैं।
इस बजट में शिक्षित-अशिक्षित व अल्पशिक्षित युवाओं की रोजगार जरूरतों के लिए कौशल-प्रशिक्षण के प्रयासों को अमलीजामा पहनाने के लिए विशेष बजट आवंटन किया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना आगामी वित्त वर्ष से शुरू की जाएगी व इसके लिए 1,000 करोड़ रुपए की राशि का पृथक कोष स्थापित किया जाएगा। इस कोष हेतु 500 करोड़ रुपए का प्रावधान इस बजट में रखा गया है। इस योजना के तहत 12वीं की परीक्षा में न्यूनतम 85 प्रतिशत अंक लाने वाले विद्यार्थी पात्र होंगे।
यद्यपि यह बजट हमारे प्रदेश के गांव, किसान, गरीब समेत विभिन्न वर्गों को राहत पहुंचाता है, लेकिन इसमें कुछ कमियां भी दिखाई दे रही हैं। इस बजट में उद्योग-कारोबार और निर्यात वृद्धि के लिए पर्याप्त आवंटन और योजनाएं नहीं हैं, जो कि अखरने वाली बात है। रोजगार और स्वरोजगार के मद्देनजर भी वित्त मंत्री से और अधिक कदमों की उम्मीद की जा रही थी। प्रदेश सरकार के कई स्वप्निल लक्ष्यों के लिए इस बजट में आवंटन बहुत छोटी-छोटी राशियां लिए हुए हैं। यानी इस बजट में चुनावी फायदे के लिए मशक्कत की गई है।
प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में 9.06 प्रतिशत का इजाफा
विधानसभा में प्रस्तुत राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में इस साल लगभग 6 हजार 639 रुपए यानी 9.06 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। अग्रिम अनुमानों के हिसाब से राज्य की शुद्ध प्रति व्यक्ति आय 73 हजार 268 रुपए से बढ़कर 79 हजार 907 रुपए हो गई है। 2011-12 के स्थिर भावों से देखें तो यह आय 52 हजार 406 रुपए से बढ़कर 55 हजार 442 रुपए हो गई, जो पिछले साल की तुलना में 5.79 प्रतिशत अधिक है। आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में बताया गया कि प्रदेश में लगातार राजस्व आधिक्य की स्थिति बनी हुई है। मार्च 2017 की स्थिति में शुद्ध लोक ऋण 92 हजार 320 करोड़ रुपए रहा। खनिज क्षेत्र में 19.35 फीसदी की राजस्व वृद्धि हुई। नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा राशि में भी बढ़ोतरी हुई है। 2015-16 की तुलना में 2017-18 में जमा राशि में 6.58 प्रतिशत और कर्ज लेने में 11.86 फीसदी का इजाफा हुआ है। प्रदेश में बेरोजगारी का आलम रोजगार कार्यालयों के आंकड़ों से समझा जा सकता है। रोजगार के लिए 11.22 लाख शिक्षित आवेदकों ने रोजगार कार्यालयों में पंजीयन कराया। इनमें से सिर्फ 422 को विभिन्न कार्यालयों में रोजगार दिलाया गया।
मप्र में गरीब को मकान, पढ़ाई, दवाई और रोजगार प्राथमिकता: आनंदीबेन
मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अपने अभिभाषण में सरकार की उपलब्धियों को गिनाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता में गरीब के लिए मकान, पढ़ाई, दवाई और रोजगार प्रमुख है। राज्यपाल ने आगे कहा, राज्य सरकार सबका साथ, सबका विकास की अवधारणा पर काम कर रही है। जाति, धर्म और वर्ग से परे सभी को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश व समाज विकास के अभियान में राज्य सरकार हमकदम बनी हुई है। आने वाले समय में सभी क्षेत्रों में मध्यप्रदेश देश का अग्रणी राज्य बनेगा। राज्यपाल ने नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि 3350 किलोमीटर की 144 दिनों तक चली इस यात्रा ने समाज में जागृति लाने का काम किया है। सरकार ने नर्मदा सेवा मिशन बनाकर नदी के आसपास के क्षेत्र को नदी के अनुरूप बनाने की योजना बनाई है। यह सरकार समावेशी विकास पर भी जोर दे रही है। इसके तहत 313 विकासखंडों में स्वप्रेरणा और जन-भागीदारी से समाज के सभी वर्गो में नेतृत्व विकसित करने के लिए मुख्यमंत्री सामुदायिक नेतृत्व पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। राज्य सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कैशलेस प्रणाली को विकसित करने के लिए राज्य में 73 प्रतिशत ई-पेमेंट किया जा रहा है। पेंशन प्रकरणों के निराकरण के लिए पूरी व्यवस्था को ऑनलाइन किया गया है। नवीन कर प्रणाली जीएसटी के लागू होने से करदाताओं को राहत मिली है।
बजट में किसानों पर पूरी तरह से मेहरबान हुई सरकार...
बजट में किसानों को लुभाने का पूरा इंतजाम किया गया है। भावांतर योजना के सहारे सरकार अपना चुनावी बेड़ा पार करना चाह रही है और यही वजह है कि सरकार के वित्त मंत्री जयंत मलैया ने सदन में कहा कि इस पूरे साल इस योजना के सरकार ने हजार करोड़ रुपए का बजट तय किया है। जबकि अभी तक सरकार 1500 करोड़ रुपए बांट चुकी है। जबकि प्याज उत्पादक किसानों के लिए अलग से 250 करोड़ रुपए का इंतजाम किया गया है। दरअसल, मंदसौर किसान आंदोलन के बाद से सरकार किसानों को लुभाने का मौका तलाश रही है। पहले भावांतर योजना लागू कर सरकार ने किसानों के मन की टोह लेने की कोशिश की और जब उसमें कामयाब हो गई तो फिर सरकार ने अपनी इस योजना को आगे बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। जबकि पहले इस योजना को सिर्फ एक फसल के लिए लागू किया गया था, लेकिन अब सरकार ने इसे आगे बढ़ा दिया है और इसके लिए बजट में इस साल एक हजार करोड़ रुपए का इंतजाम किया है। जबकि सरकार का दावा है कि अभी तक इस योजना के तहत दस लाख 50 हजार किसानों को करीब 1500 करोड़ रुपया दिया गया है।
किसानों के लिए ऐसे खोला सरकार ने पिटारा
— वहीं, गेहूं पर सरकार ने 200 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस देने का ऐलान किया था, उसके लिए भी सरकार ने 3650 करोड़ रुपए का इंतजाम किया है।
— प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए दो हजार करोड़ रुपए का इंतजाम किया गया है। सरकार दावा है कि पिछले साल में करीब सौलह सौ करोड़ रुपया किसानों को बांटा गया है।
— 9278 करोड़ रुपए विभाग की योजनाओं को जारी रखने के लिए। यह योजनाएं किसानों की आय दोगुनी करने पर भी काम कर रही हैं।
— पशुपालन के लिए 1038 करोड़ रुपए का इंतजाम।
— 1627 करोड़ रुपए सहकारिता विभाग को दिए गए हैं जो साख सहकारी समितियों के लिए काम करेंगी।
— सिंचाई के लिए नर्मदा के पानी को
उपयोग करने के लिए 24 नई परियोजनाएं शुरू होंगी।
— सिंचाई का क्षेत्र विकसित करने के लिए 10600 करोड़ रुपए का इंतजाम।
-राजेश बोरकर