03-Mar-2018 07:13 AM
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जमीन खोदकर चाहे लोहा-कोयला निकाला जाए या फिर रेत, खनन के धंधे में जितने नियम-कानून तोड़े जाते हैं, उसकी बराबरी कर पाना किसी और क्षेत्र के लिए नामुमकिन है। हाल तक अवैध खनन के मामले भ्रष्टाचार के झाड़ के पीछे छुपा लिए जाते थे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की कड़ाई के चलते खनन माफियाओं की पहले जितनी चल नहीं पा रही है। फिर भी मप्र में अवैध खनन जोरों पर है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अवैध खनन रोकने के लिए अब तक जितने भी जतन किए हैं वे सब फेल हो गए हैं।
प्रदेश में अवैध खनन किस हद तक हो रहा है इसका खुलासा हाल ही में राज्यसभा में रखी गई केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले चार सालों में अवैध खनन की सबसे ज्यादा सूचनाएं महाराष्ट्र में प्राप्त हुईं। मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है, जहां खनन माफिया कई मौकों पर सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की जान ले चुके हैं।
प्रदेश में खनन माफियाओं की सक्रियता कितनी बढ़ चुकी है, ये बात इसी तथ्य से साफ हो जाती है कि अकेले मध्य प्रदेश में वर्ष 2015-16 के दौरान 13541 से ज्यादा (अब तक का सर्वाधिक) अवैध उत्खनन के मामले सामने आए है। इनमें करीब 13420 मामलों में केस भी दर्ज किया गया है। इतनी तादाद में मामलों के सामने आने पर आप हैरान हों उससे पहले ये बात भी जान लीजिए कि प्रदेश में अवैध रेत उत्खनन को रोकने के लिए टास्क फोर्स और कड़े कानून पहले ही बना रखे हैं।
अवैध खनन को लेकर मध्य प्रदेश की स्थिति इसलिए भी निराशाजनक है, क्योंकि यहां कानून बनाने का अधिकार व टास्क फोर्स के गठन के बाद भी इनमें कोई गिरावट नहीं दर्ज हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक स्थिति यह है कि पिछले तीन सालों में प्रदेश में अवैध खनन बढ़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में वर्ष 2013-14 में अवैध खनन के कुल 6613 मामले सामने आए थे, जबकि वर्ष 2014-15 में यह संख्या बढ़कर 8067 हो गई, वहीं वर्ष 2015-16 में यह संख्या 13541 हो गई है। इससे साफ है मध्य प्रदेश में खनन माफिया बेखौफ है।
मप्र में अवैध खनन और परिवहन रोकने मई 2017 में कानून को सख्त किया गया था। प्रदेश की नदियों और खदानों से हो रहे अवैध खनन व उसके अवैध परिवहन को रोकने के लिए मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम में संशोधन किया। यह संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिए गए हैं। अब अवैध खनन और परिवहन के मामले में पकड़े गए व्यक्ति पर सरकार खनिज पदार्थ की रॉयल्टी का 30 से 70 गुना तक राशि बतौर जुर्माना वसूल सकेगी। इसके अलावा अवैध खनन और परिवहन के मामले में पकड़े गए खनिज पदार्थ और वाहन को कलेक्टर सीधे राजसात कर सकेंगे। इस संशोधन में खास बात यह है कि वाहन जितनी बार पकड़े जाएंगे, उन पर उतना जुर्माना बढ़ता जाएगा। इसके बावजूद प्रदेश में अवैध खनन निरंतर जारी है।
अब पत्थर पटिया खदानों की नीलामी भी होगी ऑनलाईन
्रसब कुछ योजना के तहत हुआ तो माइंस की मुख्य परियोजनाओं की तरह अब पत्थर-पटिया की भी खदानें नीलाम की जाएंगी। सरकार खजाने में अधिक से अधिक राजस्व जुटाने और सामान्य लोगों की भी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए नई गाइड लाइन लागू करने जा रही है। खदानों की स्वीकृति के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे नई व्यवस्था में खास बात यह है कि शासकीय भूमि की तरह अब निजी भूमि पर भी खदानों की स्वीकृति के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। खनिज संचालक विनीत आस्टिन के आदेश के तहत अधिकारी योजना को अमली जामा पहनाने में जुट गए हैं। उधर, सरकार की नई व्यवस्था लागू होने के बाद खदानें निरस्त हो जाएंगी। डेडलाइन पूरी हो चुकी खदानों की नई सिरे से नीलामी की जाएगी। नई व्यवस्था में पत्थर-पटियां की खदानों के लिए घर बैठे ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। लीज स्वीकृति के लिए कलेक्टर कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। सरकार की नई व्यवस्था में कलेक्टर के स्वीकृति की आश्वयकता नहीं पड़ेगी। आनलाइन आवेदन के बाद निलामी की प्रक्रिया पूरी करने के बाद लीज फाइनल कर दी जाएगी।
-विकास दुबे