17-Feb-2018 10:00 AM
1234851
पिछले तीन महीने से इस क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार दौरे और जनसभाएं कर रहे थे। मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में यशोधरा राजे सिंधिया मौजूद नहीं रहतीं थीं, लेकिन मुख्यमंत्री ने ऐन मौके पर यशोधरा राजे सिंधिया के समर्थक देवेंद्र जैन को कोलारस से टिकट दे दिया है। इससे यशोधरा राजे सिंधिया सक्रिय हो गई हैं। अगर राजनीतिक आइने से देखें तो ये उपचुनाव महज दो सीटों के लिए हो रहे हैं, लेकिन लगते है जैसे शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के आन, बान और शान की जंग हों। चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री चौहान और कांग्रेस नेता सिंधिया के रोड शो देख कर ऐसा लगता है जैसे सड़क पर शक्ति प्रदर्शन चल रहा हो।
साफ समझा जा सकता है कि दोनों नेता 2019 के क्वालिफाईंग मैच के लिए मैदान में उतरे हों और चूक गये तो कप्तानी से हाथ धो बैठेंगे। दरअसल, दोनों पर परफॉर्म करने का दबाव तो है ही, अपने-अपने राजनीतिक विरोधियों को पछाड़ते हुए मुकाबले और मैदान में डटे रहना जरूरी हो गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के रोड शो का असर कहें या कुछ और कम से कम एक मामले में तो शिवराज सिंह चौहान को घुटने टेकने ही पड़े हैं। चौहान पिछले तीन महीने से उपचुनावों के लिए लगातार दौरे और पब्लिक मीटिंग कर रहे हैं। बावजूद इसके यशोधरा राजे सिंधिया चुनाव प्रचार से दूर रहीं। वजह तो यशोधरा से शिवराज के मतभेद ही हैं। यशोधरा राजे मध्य प्रदेश की शिवराज कैबिनेट में खेल एवं युवा कल्याण मंत्री हैं। पहले उनके पास इससे ज्यादा अहम विभाग रहे लेकिन मुख्यमंत्री ने वापस ले लिये।
31 जनवरी को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रोड शो किया था जिसके बाद बीजेपी पर ज्यादा भीड़ जुटाने का दबाव हो गया। समझा जा रहा है कि सिंधिया घराने के गढ़ में शिवराज का उतना असर नहीं हो रहा था - और यशोधरा को अलग रखने के चलते बीजेपी नेतृत्व को जवाब देना भी मुश्किल हो रहा था। वैसे यशोधरा के रोड शो ज्वाइन करने का असर भी दिखा। यशोधरा के चुनाव प्रचार में उतरते ही कार्यकर्ताओं का बढ़ा हुआ जोश देखा गया। कोलारस में बीजेपी उम्मीदवार देवेंद्र जैन भी यशोधरा राजे के ही समर्थक माने जाते हैं। यशोधरा के चुनाव प्रचार में कूदने से मुकाबला सिंधिया बनाम सिंधिया जैसा हो चला है। यशोधरा राजे कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुआ हैं - और राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया की सगी बहन। वसुंधरा के राजस्थान में अभी-अभी कांग्रेस ने बीजेपी को उपचुनावों में भारी शिकस्त दी है। जहां तक रिश्ते की बात है तो यशोधरा और ज्योतिरादित्य में न सिर्फ बरसों से बातचीत बंद है बल्कि संपत्ति का विवाद भी कोर्ट में चल रहा है।
जिस तरह बीजेपी में शिवराज सिंह चौहान के विरोधी मौके की तलाश में हैं उसी तरह कांग्रेस में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरोधी ताक में बैठे हैं। कोई मामूली सी चूक भी मुश्किलें हजार कर सकती है। 17 जनवरी को मध्य प्रदेश में नगर निकाय और पंचायतों के आम और उपचुनाव हुए थे। नतीजे आये तो मालूम हुआ मुकाबला बराबरी पर छूटा है। बीजेपी को ऐसे नतीजों की कतई उम्मीद नहीं रही होगी। शिवराज के शासन में बीजेपी की शानदार जीत देखी गयी है। मगर, इस बार कांग्रेस ने न सिर्फगुजरात जैसी कड़ी चुनौती दी, बल्कि बीजेपी के कई अभेद्य किले ढहा भी दिये। ऐसे में इन उपचुनाव नतीजों से आगामी रणनीति तय की जाएगी। इसलिए इन दोनों उपचुनावों को जीतने के लिए शह-मात का खेल खेला जा रहा है। अब देखना है बाजी किसके हाथ लगती है।
हर वर्ग को लुभाने में लगे हैं शिवराज सिंह चौहान
पहले अटेर और फिर चित्रकूट विधानसभा के उप चुनाव में मिली पराजय के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोलारस एवं मुंगावली के हर वर्ग के मतदाता को साधने की कवायद तेज कर दी है। क्षेत्र में सहरिया आदिवासी निर्णायक स्थिति में हैं। उन्हें हर माह हजार रूपए नगद देने की योजना लागू कर दी गई है। चित्रकूट के उप चुनाव में पंचायत कर्मियों की नाराजगी से हुए नुकसान को कोलारस-मुंगावली में साधने की कोशिश की गई है। पंचायत सचिव को दस हजार रूपए प्रतिमाह वेतन देने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की है। मुख्यमंत्री अब तक दो सौ करोड़ रूपए से अधिक की विकास योजनाओं को शुरू करने की घोषणा कर चुके हैं। क्षेत्र में बीस से अधिक मंत्री डेरा डाले हुए हैं।
-नवीन रघुवंशी