17-Feb-2018 09:53 AM
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पाठा के बीहड़ (विंध्य क्षेत्र की तराई) में खूंखार दस्यु ददुआ, ठोकिया, रागिया, बलखडिय़ा, ललित पटेल, राजा ठाकुर को मार गिराने के बाद खाकी और स्थानीय वाशिंदों को यह भरोसा था कि अब बीहड़ों से दहशत की बूटों की आहट खत्म हो जाएगी। लेकिन उनका यह भरोसा सिर्फ एक गलत फहमी के आलावा और कुछ साबित नहीं हुआ। विंध्य क्षेत्र की तराई में इन दिनों 4 गिरोह सक्रिय हैं। जिनमें कुख्यात दस्यु सरगना साढ़े पांच लाख का इनामी बबली कौल, एक लाख 30 हजार के इनामी गौरी यादव, 80 हजार के इनामी महेंद्र पासी और 80 हजार का ईनाम दस्यु नवल धोबी आदि गैंगों ने अपनी जघन्य वारदातों से खाकी को यह एहसास करा दिया कि पाठा के बीहड़ों में डकैत उस रक्त बीज राक्षस की तरह है, जो एक के खात्मे के बाद दूसरे गैंग के रूप में प्रकट हो जाते हैं।
यह पुलिस की सबसे बड़ी विफलता है। अगर पुलिस ईमानदारी से अपना कार्य करती तो यह क्षेत्र भी चंबल की तरह दस्यु मुक्त हो सकता था। ज्ञातव्य है कि कांगे्रस शासनकाल में स्व. श्रीनिवास तिवारी की पहल पर इस क्षेत्र में हमेशा एक बटालियन तैनात रहती थी जिसे बाद में हटा लिया गया। यही नहीं मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने भी कई बार डकैतों को लेकर मुख्यमंत्री तक से शिकायत की है। यही नहीं मुख्यमंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में कई बार पुलिस की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर की है। वहीं गत दिनों डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला ने भी इस क्षेत्र की दस्यु समस्या को लेकर समीक्षा की। उन्होंने अफसरों को डकैतों के सफाए के लिए निर्देश भी दिए। जो इस बात का संकेत हैं कि क्षेत्र में दस्यु समस्या विकराल रूप ले चुकी है।
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सीमाई इलाकों में इस समय एक अजीब सा खौफनाक सन्नाटा दस्यु गैंगों की चहलकदमी को साफ बयां कर रही हैं। बबली कौल, गौरी यादव, महेंद्र पासी, नवल धोबी के साथ ही अंजनी मल्लाह, रजुआ गैंग बीहड़ में उभरते वे खूंखार गैंग हैं, जिन्होंने अपनी आहट से दहशत की इबारत लिखनी शुरू कर दी है। पिछले कुछ महीनों के दौरान बीहड़ के ग्रामीण इलाकों में दस्यु गैंगों की तेज होती चहलकदमी ने दोनों राज्यों की पुलिस के माथे पर बल उत्पन्न कर दिए हैं। नतीजतन यह कि मध्य प्रदेश पुलिस के आईजी और डीआईजी स्तर के अधिकारी तक जंगल में उतरते हुए डकैतों की लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश कर रहे हैं। गैंगों की तलाश में चित्रकूट और सतना पुलिस बीहड़ों की खाक छान रही है।
उल्लेखनीय है कि ये दस्यु गैंगों ने रीवा, सतना, चित्रकूट, बांदा, करबी और इलाहाबाद के आसपास वारदात कर रहे हैं। बबली कौल, गौरी यादव, महेंद्र पासी, नवल धोबी ये ऐसे नाम हैं, जो इस समय बीहड़ में अपनी गैंग लेकर विचरण करते हुए देखे गए हैं। इन सभी सरगनाओं ने आधा दर्जन से लेकर एक दर्जन सदस्यों और हथियारों के साथ पाठा के बीहड़ में खौफनाक दस्तक दी है। रीवा रेंज के आईजी 2009 बैच के आईपीएस अफसर उमेश जोगा कहते हैं कि क्षेत्र में डकैतों के खिलाफ निरंतर मुहिम चल रही है। इस वक्त बबली गिरोह, धोनी गिरोह, गौरी यादव गिरोह, नवल धोबी गिरोह का मूवमेंट सतना और रीवा में है। इन गिरोहों के सफाए के लिए सतना और रीवा के पुलिस अफसर दस्यु उन्मूलन अभियान में लगे पुलिस अफसरों के साथ बैठक कर रणनीति बनाई गई है। उल्लेखनीय है कि रीवा एसपी रहते जोगा की अगुवाई में पुलिस ने डकैतों से कई मुठभेड़ की। 7 लाख के इनामी सुन्दर पटेल के मुठभेड में भी तत्कालीन आईजी गाजीराम मीणा के साथ जोगा थे।
जानकारी के अनुसार एमपी-यूपी की सीमा में आतंक का पर्याय बने चुके डकैतों को बीते दो दशक में सतना पुलिस 51 डकैतों को मार चुकी है। आंकड़ों की बात करें तो एमपी में सबसे ज्यादा एनकांउटर भिंड, मुरैना, चंबल, शिवपुरी, सतना, रीवा में हुए है।
पुलिस के निशाने पर बबली और गौरी
अगस्त 2017 में इनामी डकैत ललित पटेल के एनकाउंटर के बाद अब एमपी पुलिस के निशाने पर गौरी यादव और बबली कौल गैंग है। इन्हें पकडऩे के लिए सतना के जंगल में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। पहले किडनैपिंग फिर मनमाफिक फिरौती मांगने वाले इन डकैत गिरोहों ने पुलिस की भी नींद उड़ा रखी है। बबली कौल गैंग करीब दस डकैतों की गैंग का सरगना है। उत्तर प्रदेश के मारकंडी गांव के रहने वाले बबली पर एमपी पुलिस ने 30 हजार और यूपी पुलिस ने 5 लाख का इनाम रखा है। गैंग में 8 से 10 हार्डकोर डकैत सक्रिय हैं। सतना पुलिस के रिकॉर्ड में बबली कौल गैंग पर डकैती, फिरौती, अपहरण के 9 मामले दर्ज हैं। वहीं गौरी यादव एमपी-यूपी के सीमावर्ती इलाके के बिलहरी का रहने वाला है। एमपी पुलिस ने 30 हजार और यूपी पुलिस ने 1 लाख रुपए का इनाम रखा है। गैंग में 6 हार्डकोर डकैत सक्रिय हैं। इस गैंग पर डकैती, लूट, फिरौती और हत्या के दर्जनों मामले दर्ज हैं।
- विकास दुबे