17-Feb-2018 09:42 AM
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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्ष की नेता खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के एक केस में दोषी पाया गया। कोर्ट ने उन्हें 5 साल की सजा सुनाई है। 72 साल की जिया को ये सजा विशेष अदालत ने ढाका में सुनाई है। खालिदा पर ढेड़ करोड़ 61 हजार रुपये के गबन का आरोप था। ये पैसा जिया अनाथालय ट्रस्ट के लिए विदेश से चंदे के रूप में आया था। इसी केस में जिया के बेटे तारीक रहमान और चार अन्य को भी 10 साल की सजा सुनाई है।
खालिदा जिया ने 30 नवंबर 2014 को खुद पर लगे आरोपों को चुनौती देने वाली याचिका दायर की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था और उन्हें निचली अदालत में भेज दिया था। इसके पहले हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही भी ठहराया था। निचली अदालत ने 19 मार्च 2014 के अपने आदेश में खालिदा को भ्रष्टाचार के दो मामलों में दोषी ठहराया था। ये आरोप भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने लगाए थे।
आयोग का आरोप था कि जिया अनाथालय ट्रस्ट और जिया चैरिटेबल ट्रस्ट सिर्फ कागजों पर हैं और खालिदा के शासनकाल में इनके नाम पर बड़ी रकम की गडबड़ी की गई थी। जिया 2001 से 2006 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रही हैं।
बांग्लादेश के अनाथ बच्चों की मदद के लिए विदेशों से लाखों डॉलर आए। पैसे के सही इस्तेमाल के लिए एक ट्रस्ट बनाया गया। लेकिन विदेशों से आया पैसा ट्रस्ट के खाते के बजाए दूसरे खाते में रखा गया। दो बार प्रधानमंत्री रह चुकी खालिदा जिया पर आरोप लगा कि उन्होंने 2,52,00 डॉलर की रकम डकारी। करीब 2,10,00,000 टका का इस्तेमाल अनाथ बच्चों के लिए नहीं किया गया। बल्कि इस पैसे से जमीन खरीदी गई।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख खालिदा जिया को इस मामले में दोषी करार देते हुए निचली अदालत ने पांच साल की सजा सुनाई। पूर्व पीएम के बेटे तारिक रहमान को भी भ्रष्टाचार का दोषी करार दिया गया। कोर्ट ने तारिक रहमान और उसके चार साथियों को 10 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट के फैसले से पहले ही राजधानी ढाका में बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था। प्रशासन को आशंका थी कि खालिदा जिया के समर्थक फैसले के बाद हिंसक प्रदर्शन करेंगे। यह आशंका सही साबित हुई। खालिदा को सजा होते ही ढाका में बीएनपी के कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प शुरू हो गई। बांग्लादेश के न्यूज चैनलों के मुताबिक बीएनपी के समर्थकों ने कुछ जगहों पर पुलिस पर पथराव किया। प्रदर्शनकारियों ने कुछ वाहनों को भी आग लगा दी। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ 72 साल की खालिदा जिया हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजे खटकटा सकती हैं। उनके वकील ने अगले हफ्ते हाई कोर्ट में अपील का ऐलान किया है।
बांग्लादेश में इसी साल संसदीय चुनाव होने हैं। दोषमुक्त होने तक खालिदा जिया चुनाव नहीं लड़ सकती हैं। बीएनपी ने अदालती कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया है। बीएनपी का आरोप है कि यह सब बांग्लादेश आवामी लीग की नेता और प्रधानमंत्री शेख हसीना के इशारों पर हो रहा है। खालिदा के सत्ता से बाहर जाने पर केयरटेकर सरकार को देश संभालने का जिम्मा मिला। इस दौरान खालिदा पर भ्रष्टाचार के कई मामले दर्ज हुए। 2001 में सरकार बनाने के लिए खालिदा ने देश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी से भी हाथ मिलाया। ये पार्टी अपने शुरुआती दिनों में अलग बांग्लादेश का विरोध करती थी। तर्क था कि ये इस्लाम विरोधी है। 1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई में इस पार्टी के कई नेताओं पर अत्याचार के संगीन आरोप लगे। इस पार्टी से करीबी के चलते भी खालिदा को मतभदों का सामना करना पड़ा। इस इस्लामी पार्टी का भारत से भी कनेक्शन है। अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद पार्टी के नेताओं पर बांग्लादेश में हिंदू विरोधी दंगे भड़काने का भी आरोप लगा था। 2015 में भ्रष्टाचार के मामले में खालिदा कोर्ट में हाजिर नहीं हुईं। इसके बाद कोर्ट ने खालिदा की गिरफ्तारी के आदेश दिए। गुस्साई खालिदा ने इसी साल अपने समर्थकों से रेल और सड़क यातायात ठप करने की अपील की थी। इस चक्काजाम के बाद भड़की हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।
तानाशाही के खिलाफ बेगमों की जोड़ी
1982 में अब्दुस सत्तार को सत्ता से बाहर कर खुद को राष्ट्रपति घोषित करने वाले हुसैन मोहम्मद इरशाद की तानाशाही बढ़ चली थी। इस दौरान खालिदा को कई बार हिरासत में लिया गया। 1990 के दौर में मुजीबुर रहमान की बेटी शेख हसीना और खालिदा एकजुट हुईं और इरशाद को सत्ता को अलविदा कहना पड़ा। 1991 में बांग्लादेश में हुए आम चुनावों में खालिदा जिया पांच सीटों से चुनाव लड़ीं और तीन में जीत हासिल की। इन चुनावों में बीएनपी सबसे बड़ी पार्टी बनी। 20 मार्च 1991 को बांग्लादेश को अपनी पहली महिला प्रधानमंत्री मिली, खालिदा जिया। खालिदा ने वो कानून पास किया, जिससे बांग्लादेश का सर्वोच्च नेता राष्ट्रपति की बजाय प्रधानमंत्री हो गया। 2001 में हुए चुनावों में जीत मिलने के बाद खालिदा ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और 2006 में केयरटेकर सरकार को कुर्सी सौंपकर सत्ता से बाहर हुईं। 2000, 2005 और 2006 में दुनिया की 100 सबसे ताकतवर महिलाओं की फोब्र्स लिस्ट में खालिदा को जगह मिली।
-अक्स ब्यूरो