17-Feb-2018 09:30 AM
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राजस्व रिकार्ड में कस्बा इन्दौर के तहत जो आबादी एरिया चिह्नित किया गया है, वहां व्यावसायिक गतिविधियां पाई जाने पर अब प्रशासन धारा 60 के तहत प्रकरण दर्ज कर टैक्स की वसूली शुरू करेगा। जूनी इन्दौर का अधिकांश क्षेत्र जहां आबादी चिह्नित है, उसके अलावा सराफा, राजबाड़ा, एमजी रोड, जेल रोड, स्नेहलतागंज से लेकर मधुमिलन, आरएनटी मार्ग, रेसकोर्स रोड, साउथ तुकोगंज, मनोरमागंज व अन्य क्षेत्रों में मौजूद व्यावसायिक सम्पत्तियों की जांच-पड़ताल में प्रशासन का राजस्व अमला जुटा है। कलेक्टर के निर्देश पर इन क्षेत्रों में मौजूद बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, होटल, पेट्रोल पम्प, कोचिंग इंस्टिट्यूशन, नर्सिंग होम सहित अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की जांच एसडीएम-तहसीलदार की टीमें कर रही हैं। आवासीय के विपरीत व्यावसायिक गतिविधि आबादी क्षेत्र में पाई जाने पर
नोटिस जारी कर टैक्स की वसूली की जाएगी। पूर्व में तत्कालीन कलेक्टर मनोज श्रीवास्तव ने भी 200 से अधिक प्रकरणों में धारा 60 के तहत प्रकरण दर्ज कर करोड़ों रुपए का राजस्व अर्जित किया था।
इन्दौर को जो भारी-भरकम 700 करोड़ का लक्ष्य मिला है, वह प्रशासनिक अमले के लिए ही समझ से बाहर है, क्योंकि अभी तक 50-60 करोड़ रुपए ही डायवर्शन टैक्स की वसूली हो सकी है और 31 मार्च तक 100 करोड़ भी मिलना संभव नहीं है। लिहाजा कलेक्टर निशांत वरवड़े ने पिछले दिनों भू-राजस्व संहिता की धारा 60 के तहत आबादी एरिया में हुए व्यावसायिक उपयोग पर नोटिस देकर टैक्स वसूलने के निर्देश सभी एसडीओ, एसडीएम और तहसीलदारों को दिए हैं। इसके प्रभारी अपर कलेक्टर कैलाश वानखेड़े बनाए गए हैं। वानखेड़े का कहना है कि कस्बा इन्दौर के तहत जूनी इन्दौर सहित उससे लगे हुए तमाम क्षेत्र राजस्व रिकार्ड में आबादी भूमि के रूप में दर्ज हैं। यानी इन भूमियों पर सिर्फ आवास, यानी रहा जा सकता है, लेकिन विगत वर्षों में इनमें से अधिकांश जमीनों का उपयोग व्यावसायिक रूप में किया जाने लगा है। लिहाजा सभी राजस्व अधिकारियों को उनके क्षेत्र में स्थित आबादी एरिया की जांच कर मौके पर मौजूद व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की जानकारी तैयार करने और उसके आधार पर नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। अभी राजबाड़ा, सराफा, एमजी रोड सहित जूनी इन्दौर से जुड़े कई क्षेत्रों में जांच-पड़ताल चल रही है और जल्द ही धारा 60 के नोटिस उल्लंघनकर्ताओं को दे दिए जाएंगे। पूर्व कलेक्टर मनोज श्रीवास्तव के कार्यकाल में भी 200 से अधिक प्रकरण धारा 60 में बनाए गए थे और प्रशासन ने करोड़ों रुपए का डायवर्शन टैक्स मय जुर्माने के साथ वसूल भी किया था। उस वक्त इस कार्रवाई से शहरभर में हड़कंप मचा और कार्रवाई बाद में रुक भी गई। अभी कलेक्टर निशांत वरवड़े ने छोटे व्यापारियों को छोडऩे और बड़े उल्लंघनकर्ताओं को ही नोटिस देने के निर्देश अपने अमले को दिए हैं।
कुछ राजस्व अधिकारी धारा 60 के तहत की जा रही कार्रवाई से पूरी तरह सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि निजी के साथ आबादी क्षेत्र में सरकारी जमीनें भी हैंं, जो पट्टे पर दी गई हैं। हालांकि कलेक्टर कहते हैं कि आबादी क्षेत्र में बड़े-बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, होटल, पेट्रोल पम्प, नर्सिंग होम, कोचिंग इंस्टिट्यूट और अन्य गतिविधियां चल रही हैं और ये सारे मामले धारा 60 के तहत आते हैं। उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में प्रमुख सचिव की बैठक में सभी कलेक्टरों को ट्रेनिंग दी गई थी कि टैक्स भरने से अवैध निर्माण वैध नहीं हो सकते। अत: इंदौर के साथ ही प्रदेश के अन्य जिलों में रहवासी क्षेत्रों में अवैध व्यावसायिक गतिविधियां चलाने वालों से टैक्स वसूला जाएगा।
आवासीय भूखंडों पर भी व्यावसायिक अनुमतियां
अभी दिल्ली में आवासीय पर व्यावसायिक उपयोग को लेकर बड़ी कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चल रही है। एबी रोड स्थित सीएचएल समूह का 100 बिस्तरों वाला कैंसर हॉस्पिटल भी निजी आवास की अनुमति लेकर तान दिया गया तो बसंत विहार कॉलोनी में कई आवासीय भूखंडों पर व्यावसायिक निर्माण कर लिए गए हैं। ग्राम निरंजनपुर में राजस्व कर्मचारी गृह निर्माण संस्था ने 8 भूूखंड एक ही खुराना परिवार को आवंटित कर दिए और उसके बाद नगर तथा ग्राम निवेश से इन आवासीय भूखंडों का अलग-अलग संयुक्तिकरण करवाया। अब वाणिज्यिक उपयोग के लिए संयुक्तिकरण करने की प्रक्रिया की जा रही है। गृह निर्माण संस्था ने एक ही परिवार को इतने भूखंड कैसे आवंटित कर दिए, जो कि जांच के बाद निरस्त किए जाना चाहिए। वहीं नगर तथा ग्राम निवेश आवासीय उपयोग के भूखंडों को संयुक्तिकरण कर कैसे वाणिज्यिक उपयोग की अनुमति दे सकता है?
- इंदौर से विशाल गर्ग