17-Feb-2018 09:26 AM
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पिछले साल दिसंबर के मध्य में मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने जब सिंध जलावर्धन योजना के तहत जल शोधन संयंत्र सतनबाड़ा का लोकार्पण और फिर पानी छोडऩे के लिए बटन भी दबवाया तो ऐसा लगा था कि शिवपुरी शहर को पानी की समस्या से मुक्ति मिल गई। लेकिन योजना के निर्माण में लगी गुजरात की दोशियान कंपनी की खामियों और लेतलाली के कारण शहर आज भी प्यासा है। कंपनी की लापरवाही से 65 करोड़ की योजना आज 114 करोड़ की हो गई है, लेकिन पानी कब मिलेगा यह तय नहीं है।
सिंध का पानी 31 दिसंबर को ही शहर तक आ गया है लेकिन डेढ़ महीने से अधिक दिन बीतने के बाद भी पानी शहर के अंदर तक नहीं पहुंंच सका है। हालात यह है कि अभी तक शहर में बनीं पानी की 4 टंकियां पाइप लाइन से कनेक्ट नहीं हुई हैं। जो तीन टंकियां कनेक्ट हो चुकी हैं उनमें भी पानी नहीं भरा गया है। दोशियान कंपनी का कहना है कि हमारे पास बजट नहीं है, जबकि जनवरी के शुरुआती सप्ताह में ही कंपनी ने 2.50 करोड़ का भुगतान लिया है। इधर भोपाल में गजट नोटिफिकेशन नहीं होने की वजह से घरों में भी नल-कनेक्शन देने की प्रक्रिया चालू नहीं हो सकी है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र में यूपीए की सरकार से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2008 में सिंध जलावर्धन योजना स्वीकृत कराई। 2009 में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर गुजरात की दोशियान कंपनी को काम सौंपा गया जो 2011 में पूरा हो जाना था, लेकिन साल 2017 बीतने को है, अब तक शहर में पानी नहीं पहुंचा। हर साल आश्वासन और दिलासा दी जाती रही। जनता की उम्मीदें पानी पर टिकीं हैं। आरंभ में योजना 65 करोड़ में स्वीकृत हुई थी, लेकिन 2013 में काम बंद हुआ और जब 2014 में फिर से योजना आगे बढ़ी तो राशि बढ़कर 95 करोड़ हो गई और साल 2016 में कंपनी ने फिर से खर्च बढऩे की बात कही, जिसके बाद अब योजना 114 करोड़ की हो चुकी है। इसमें से जिला प्रशासन अब तक योजना पर 95 करोड़ का खर्च भी कर चुका है, लेकिन जनता को पानी नसीब नहीं हो सका।
हर साल के अंत में दोशियान शहर तक पानी आने का भरोसा दिलाती है, लेकिन पानी नहीं आता और जनता के कंठ सूखे रह जाते हैं। एक बार फिर दोशियान ने भरोसा दिलाया था कि शहरवासियों को साल 2017 में ही पानी मिल जाएगा। उम्मीद आगे भी बढ़ी जब 13 दिसंबर को मंत्री यशोधरा ने जल शोधन संयंत्र सतनबाड़ा का लोकार्पण किया ठीक उसी मौके पर दोशियान ने शहर के बायपास पर पानी छोडऩे के लिए बटन भी दबवाया, लेकिन पाईप में लीकेज हो गया। इसी के साथ जनता के मंसूबों पर एक बार फिर पानी फिर गया। दरअसल, मड़ीखेड़ा डैम से लेकर शिवपुरी शहर तक 95 फीसदी पाइप लाइन फाइबर के जीआरपी पाइप की डाली गई है। जिसे लेकर योजना शुरू होने के दिन से ही सवाल उठते रहे हैं। लोग कहते रहे हैं कि यह पाइप पूरी तरह घटिया है और लोकार्पण के समय ही महज सिंगल मोटर का प्रेशर न झेल पाने से जीआरपी पाइप की गुणवत्ता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
इस समय दोशियान कंपनी शहर के बाहर के इलाके में टंकियों को जोडऩे का काम कर रही है। जबकि शहर में 10 से ज्यादा टंकियों को जोडऩे का काम बचा हुआ है। शहर में करीब सवा लाख की आबादी निवास करती है लेकिन इन सब क्षेत्रों को छोड़कर दोशियान कंपनी पहले इन इलाकों में टंकियों को जोडऩे का काम कर रही है जहां आबादी कम है। जैसे-तैसे दोशियान कंपनी ने कोर्ट रोड, कलेक्टोरेट के पीछे, गांधी पार्क की टंकी को पाइप लाइन से जोड़ दिया है। दोशियान का दावा है कि चीलोद और ठाकुरपुरा क्षेत्र की टंकियों को जोडऩे का काम चल रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि जिन टंकियों को कनेक्ट किया गया है उनसे शहर में सप्लाई शुरु नहीं हुई है। यहां के लोग अब भी टैंकरों से पानी भर रहे हैं। नपा का कहना है कि अभी तीन टंकियों को जोडऩे के बाद हम 4 और टंकियों को जोड़ेंगे। शहर में कुल 7 टंकियां जुड़ जाएंगी। जिले में कोलारस उपचुनाव की आचार संहिता लगी है ऐसे में गजट नोटिफिकेशन नहीं हो पाने की वजह से कंपनी लोगों को कनेक्शन नहीं दे पा रही है। शहर तक आने के बाद भी पानी लोगों के घरों में नहीं पहुंच पा रहा है। अब देखना यह है कि यह योजना लोगों की प्यास कब बुझाती है।
कैसे मिले सिंध का पानी, काम की गति धीमी
नगर में जलसंकट ने दस्तक दे दी है, लोग रात दिन पानी की तलाश में भटकने लगे हैं। नपा ने जलसंकट से निपटने के लिए वार्डों में छोटे टैंकर दौड़ाना शुरू कर दिए हैं तो वहीं कुछ बड़े टेंकरों से ओवरहैड़ टैंक व संपवैल भरे जा रहे हैं। इसी बीच मड़ीखेड़ा सिंध जलावर्धन योजना का पानी घर-घर तक जल्द मिलने की उम्मीद योजना के काम की, धीमी गति के चलते कम नजर आ रही है। मंत्री यशोधरा राजे ने डैम से शिवपुरी तक तो रात दिन एक करके पानी ला दिया, लेकिन उसके बाद से शहरी इलाके में पानी मिलने का सपना अधूरा दिखाई दे रहा है। इसके अलावा अब शहर के 50 हजार घरों में कैसे पानी पहुंचेगा, इसे लेकर नपा और दोशियान के लोगों के पास कोई प्लान नहीं है। अब दोशियान कंपनी एक बार फिर से अपनी नाकामी को छिपाने के लिए लोक निर्माण विभाग पर आरोप लगा कर बचने की कोशिश कर रही है।
द्य राजेश बोरकर