17-Feb-2018 08:06 AM
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वाकई एमपी अजब है, एमपी गजब है। एक तरफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आपदा पीडि़त किसानों के लिए सरकार का खजाना खोल दिया है, साथ ही उनको राहत पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर फंड की मांग की है, वहीं बीजेपी के पूर्व विधायक रमेश सक्सेना ने सलाह दे डाली है कि किसानों के पास प्राकृतिक आपदा से बचने का एक ही उपाय है कि उन्हें हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। ऐसे में सवाल उठता है कि जब भगवान से ही गुहार लगानी है तो फिर सरकार की क्या जरूरत है।
एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न्यू इंडिया का सपना दिखा रहे हैं, दूसरी तरफ उनकी अपनी पार्टी के नेता यह साबित करने में लगे हैं कि सब भगवान भरोसे है। मध्यप्रदेश में किसानों की बद्तर स्थिति किसी से छिपी नहीं है। किसानों का प्रदर्शन पिछले साल मंदसौर में खूब देखने को मिला था। सैकड़ों किसान सड़कों पर उतर आए थे, जिससे सरकार की चिंता बढ़ गई थी। किसानों की नाराजगी का असर गुजरात के चुनाव में भी देखने को मिला था। इसके बाद भी एमपी के नेता कोई सबक नहीं लेना
चाहते हैं। बीजेपी नेता का ताजा बयान इसी की बानगी कर रहा है। मध्यप्रदेश में कुछ दिनों पूर्व बारिश हुई और ओले पड़े।
किसानों की परेशानी दूर करने की बजाए बीजेपी नेता ने ऐसा आइडिया दिया है, जिसके बाद किसानों के पास शिकायत करने का कोई मौका नहीं रहेगा। सक्सेना ने किसानों के साथ हमदर्दी व्यक्त करते हुए कहा कि किसानों को हर रोज एक घंटा सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। उन्होंने कहा, हनुमानजी साक्षात वायु पुत्र हैं। फिर ना हवा चलेगी और ना पानी गिरेगा।Ó
किसानों की रोजी रोटी उनकी खेती पर ही निर्भर करती है। प्राकृतिक आपदा को कोई सरकार नहीं रोक सकती लेकिन कम से कम उनसे पैदा हुई मुश्किलों को कम करने में मदद जरूर कर सकती है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस प्रयास में लगे हैं। लेकिन सक्सेना ने बिना मांगे सलाह देकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। ज्ञातव्य है कि इस साल बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली का फोकस किसानों पर ही रहा। बजट भाषण शुरू होते ही उन्होंने सबसे पहले किसानों के लिए अपनी योजनाओं का ऐलान किया। उन्होंने कहा था कि किसानों को अब लागत का ढाई गुना एमएसपी मिलेगा।
एक तरफ केंद्र सरकार अपनी योजनाओं के जरिए किसानों का गुस्सा शांत करने की कोशिश कर रही है, तो दूसरी तरफ उसकी पार्टी के ही नेता यह कहकर मजाक उड़ा रहे हैं कि किसानों को बारिश और ओले से बचने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। मध्यप्रदेश के रमेश सक्सेना बीजेपी के अकेले ऐसे नेता नहीं हैं जो किस्मत और भाग्य पर इस कदर भरोसा करते हैं। कुछ महीने पहले असम के हेल्थ मिनिस्टर हेमंत बिस्व शर्मा ने भी कैंसर की बीमारी को लेकर ऐसा ही बयान दिया था। उन्होंने कहा था, पिछले जन्म के गुनाहों की वजह से लोगों को कैंसर जैसी बीमारियां झेलनी पड़ती हैं। यानी अगर किसी को कैंसर है तो यह उसकी शारीरिक स्थिति नहीं बल्कि पिछले जन्म का पाप है। बिस्व शर्मा ने इसे दैवीय न्याय बताया था। असम की बीजेपी सरकार ने बिस्व शर्मा को लोगों की सेहत का ख्याल रखने का जिम्मा सौंपा है। किसी राज्य के हेल्थ मिनिस्टर अगर हर बीमारी या दुर्घटना को पिछले जन्म का पाप मानेंगे तो भला इस मंत्रालय की ही क्या जरूरत रह जाएगी। खैर, मप्र में सरकार ने कलेक्टरों से सर्वे कर किसानों को राजस्व परिपत्र पुस्तिका (आरबीसी) के तहत सर्वे कराकर राहत मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं।
सवा दस लाख किसानों को 1670 करोड़ रुपए का तोहफा
चुनावी साल में बजट से पहले ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के लिए खजाना खोल दिया। राजधानी के जंबूरी मैदान पर हुए किसान महासम्मेलन में सबसे बड़े मतदाता वर्ग किसानों को साधने के लिए कई घोषणाएं की गईं। प्रदेश में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं और धान बेच चुके 10 लाख 21 हजार से ज्यादा किसानों को 1 हजार 670 करोड़ रुपए का तोहफा (एरियर) बांटा जाएगा। प्रति क्विंटल किसानों को 200 रुपए सरकार अतिरिक्त तौर पर देगी। आगामी गेहूं और धान खरीदी में भी भाव दो हजार रुपए क्विंटल से कम नहीं होने दिए जाएंगे। 17.78 लाख किसानों को सरकार 2 हजार 600 करोड़ रुपए की ब्याज माफी देगी। इसके लिए कृषक ऋण सहायता योजना लागू होगी। किसान महासम्मेलन में मुख्यमंत्री ने अलग तरह से किसानों से संवाद किया। एक-एक घोषणा किसानों की सहमति लेकर की। उन्होंने कहा कि एक एकड़ में किसान को कम से कम 25 हजार रुपए बचने चाहिए। 2016-17 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 7.38 लाख से ज्यादा किसानों ने 67.25 लाख मीट्रिक टन गेहूं बेचा था, उन सभी को दो सौ रुपए प्रति क्विंटल और दिए जाएंगे।
-श्याम सिंह सिकरवार