3 साल में अढ़ाई कोस
17-Feb-2018 08:40 AM 1234781
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार के तीन साल 14 फरवरी को पूरे हो गए। अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली पार्टी ने दिल्ली की जनता से कई वायदे किए थे। आप ने सत्तर वायदे दिल्ली की जनता से किया थे। जिसमें सस्ती बिजली, साफ पानी से लेकर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी मसले शामिल थे। दिल्ली की जनता ने आप पर भरोसा किया और प्रंचड बहुमत की सरकार दी, जिसमें विपक्ष को पांच फीसदी से कम सीटे मिली। मोदी सुनामी को केजरीवाल ने दिल्ली में रोक दिया। 15 साल दिल्ली में सरकार चलाने वाली कांग्रेस का सफाया हो गया, जिससे अभी तक कांग्रेस उभर नहीं पाई है। हाल में बवाना में हुए उपचुनाव में फिर से आप ने बाजी मारी है। अभी 20 सीटों पर उपचुनाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता का सही आंकलन उपचुनाव में होना है। तीन साल में आप की सरकार का लेखा-जोखा जनता के सामने है। आप की सरकार ने वायदा किया था कि 900 पीएचसी (प्राइमरी हेल्थ सेंटर) खोलेंगे। दिल्ली के अस्पतालों में 30,000 बेड बढ़ाए जाएंगे। जिसमें 4,000 बेड मैटरनिटी के लिए होंगे। आप की सरकार ने ऐतिहासिक फैसला किया। जिसमें मोहल्ला क्लीनिक खोलने की बात की गई। कई जगह मोहल्ला क्लीनिक खुले भी है। तकरीबन 162 मोहल्ला क्लीनिक काम कर रहे हैं। दिल्ली के जोगाबाई (ओखला) में मोहल्ला क्लीनिक में मरीजों की संख्या कम दिखाई दी है। लोगों से बात करने पर पता चला है कि लोगों को पता नहीं है कि मोहल्ला क्लीनिक कहां चल रहा है। दिल्ली सरकार ने कई पैथॉलाजिकल टेस्ट भी फ्री किए हैं। दवाएं भी फ्री मिल रही हैं। जिसमें लोग जा रहे हैं और फायदा उठा रहे हैं। इस तरह कई इलाकों में मोहल्ला क्लीनिक खुल नहीं पाए हैं। दिल्ली के मदनपुर खादर वेस्ट में नागरिकों ने बताया कि यहां कोई मोहल्ला क्लीनिक नहीं खुला हैं। कई जगह क्लीनिक खुले लेकिन बंद भी हो गए हैं। हालांकि दिल्ली सरकार की योजना है कि 1000 मोहल्ला क्लीनिक खोले जाएंगे, जबकि जगह के अभाव में मोहल्ला क्लीनिक का काम रुक गया है। लेकिन अब वक्त कम बचा है कैसे होगा इसका जवाब दिल्ली सरकार के पास नहीं है। लेकिन 2017 में फैले डेंगू को रोकने में सरकार नाकाम रही है। हालांकि दिल्ली सरकार इस पर आरोप एमसीडी पर मढ़ती रही है। लेकिन मोहल्ला क्लीनिक से लोगों को फायदा मिल रहा है। खासकर गरीब लोगों को, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। दिल्ली सरकार के हेल्थ मिनिस्टर सतेंदर जैन का कहना है कि जिस टेस्ट के लिए आम आदमी को दो से तीन हजार रूपये खर्च करने पड़ रहे थे, वो सरकार ने फ्री कर दिए है। लेकिन सवाल ये है कि 30,000 बेड बढ़ाने के वादे के साथ आई सरकार 2018 तक 3200 नए बेड ही जोड़ पाएगी। हालांकि मैनिफेस्टो के हिसाब से दिल्ली सरकार को काफी काम करना पड़ेगा क्योंकि वक्त सिर्फ 2 साल का बचा है। हालांकि दिल्ली सरकार ने फरवरी 2018 में अस्पतालों में 2500 और बेड जोडऩे की मंजूरी दी है। इसके अलावा 170 करोड़ की लागत से 94 पॉलीक्लीनिक खोलने की भी योजना को हरी झंडी दी है। दिल्ली में साफ पानी पीने की समस्या है। दिल्ली में आप ने वादा किया था। हर घर को साफ पानी देंगे। हालांकि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का दावा है कि 2018 के अंत तक हर घर को पानी मिल जाएगा। लेकिन अभी भी कई अनाधिकृत कॉलोनियां साफ पीने का पानी से महरूम हैं। वहीं दिल्ली सरकार ने दावा किया है 1200 अनाधिकृत कॉलोनियों को पानी दिया जा चुका है। 200 नई कालोनी को जोडऩे की योजना है। जैतपुर जैसी अनाधिकृत कॉलोनी में जाने पर पता चला कि यहां दिल्ली जल बोर्ड के पानी का कोई अता पता नहीं है। जैतपुर बदरपुर विधानसभा का हिस्सा है। वहीं खादर में लोग बता रहे हैं कि पुरानी पाइपलाइन में ही नयी लाइन जोड़ दी गयी है जिससे साफ पीने के पानी की जगह सीवर का पानी भी आने लगा है। हालांकि दिल्ली सरकार ने बताया है कि 20 किलोलीटर मुफ्त पानी की योजना का लाभ साढ़े बारह लाख परिवार को मिला है। वहीं यमुना नदी की सफाई पर ज्यादा काम नहीं हो पाया है। एनजीटी ने दिल्ली सरकार को कई बार फटकार लगाई है। हालांकि आप के मैनिफेस्टो में यमुना को साफ करने और रिवर फ्रंट बनाने का वादा किया गया था। आप ने दिल्ली की जनता से बेहतर शिक्षा मुहैया करने का वादा किया था, जिसमें प्राइवेट स्कूल की फीस को रेगुलेट करना सबसे अहम था, जिसमें केजरीवाल सरकार कामयाब नहीं हो पाई है। यानी कई मायनों में सरकार असफल रही। वादों पर खरी नहीं उतरी आप आप ने वायदा किया था कि बिजली का बिल आधा हो जाएगा। बिजली वितरण कर रही कंपनियों का सीएजी ऑडिट कराया जाएगा। दिल्ली में खुद पॉवर जनरेशन यूनिट लगेगी। सोलर पॉवर पर जोर दिया जाएगा। जहां तक बिजली का बिल है- 400 यूनिट से कम इस्तेमाल करने वालों को लाभ मिल रहा है। जिनकी संख्या ज्यादा नहीं है। एक बार 400 यूनिट पार होने पर मैक्सिमम टैरिफ देना पड़ रहा है। हालांकि पहले सब्सिडी का स्लैब था। पहला 0 -200, दूसरा 200-400 और 400-800 का अलग स्लैब था, जिससे मिडिल क्लॉस को भी राहत मिल रही थी। खासकर गर्मियों में एसी का इस्तेमाल करने वाले घरों को राहत थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। कांग्रेस के पवन खेड़ा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के समय बिजली का बिल ना भरने की दुहाई देने वाले केजरीवाल ने वास्तव में बिजली महंगी कर दी है। जिससे उपभोक्ता को नुकसान हो रहा है। - रजनीकांत
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