03-Feb-2018 05:56 AM
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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिये नई आबकारी नीति का निर्धारण कर दिया है। इस नीति के जरिये बसपा सरकार में वर्ष 2008-09 से पिछली सपा सरकार तक चली आ रही करीब एक दशक की एकाधिकार (मोनोपोली) तोडऩे की पहल की गई है। सरकार ने न केवल स्पेशल जोन, मेरठ समाप्त कर दिया है बल्कि पूरे प्रदेश के लिये एक समान व्यवस्था लागू कर दी है। थोक के भाव में दुकानों के लाइसेंस पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। अब ऑनलाइन आवेदन होगा और एक जिले से दो से ज्यादा लाइसेंस एक व्यक्ति को नहीं मिल सकेंगे।
उप्र में अब तक आबकारी का जो एकाधिकार चल रहा था, उसे तोड़ते हुए पारदर्शी व्यवस्था की गई है। राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार ने पहल की है कि इस नई नीति से वित्तीय वर्ष में 4673 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुनाफा होगा। यह राजस्व की 29.71 प्रतिशत की वृद्धि होगी। बताया कि 2008-09 में कुछ विशेष लोगों के लिए तबकी सरकार ने मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर और बरेली मंडल को मिलाकर एक विशेष जोन बनाया था। तब जोन बनाकर ठेका दिया जाता था लेकिन, अब कैबिनेट ने इसे समाप्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब ऑनलाइन आवेदन होगा और ई-लॉटरी के जरिये आवंटन होगा।
सरकार ऐसी पारदर्शी व्यवस्था करने जा रही है कि लोग छद्म नामों से दुकान हासिल नहीं कर सकेंगे। नई नीति में प्रॉक्सी रोकने को आधार की व्यवस्था शुरू होगी। सरकार ने मदिरा की अवैध बिक्री को रोकने के लिए होलोग्राम की व्यवस्था समाप्त करने का फैसला किया है। नकली होलोग्राम के जरिये अवैध बिक्री की बाढ़ आ गई थी। अब नई व्यवस्था में ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम चालू किया जाएगा।
आबकारी विभाग में राजस्व वृद्धि के लिए नई व्यवस्था की जा रही है। वित्तीय वर्ष 2018-19 में अधिक उठान करने वाले कारोबारियों को लाइसेंस में वरीयता मिलेगी। देसी शराब का छह प्रतिशत, अंग्रेजी का 40 प्रतिशत और बीयर का 30 प्रतिशत अधिक उठान करने वाले को लाइसेंस नवीनीकरण में सरकार प्राथमिकता देगी। डिजिटल इंडिया के तहत अब इलेक्ट्रानिक पेमेंट की व्यवस्था की जाएगी।
सरकार ने दुकानों के लिए स्थल निर्धारण से लेकर समय भी तय किया है। यह व्यवस्था बनाई जा रही है कि दिन में 12 बजे के बाद ही दुकान खुले और रात में भी समय से बंद हो जाए। मंत्री ने कहा कि समय का प्रारूप पूरी तरह तय कर बता दिया जाएगा। इसके अलावा यह भी व्यवस्था बन रही है कि स्कूल, धर्मस्थल और अस्पताल आदि सार्वजनिक स्थलों से दूर बिक्री हो। यह सवाल उठा कि एक तरफ तो सरकार मद्य निषेध पर जोर देती है और दूसरी तरफ मदिरा की बिक्री बढ़ाने पर भी। इस विरोधाभास पर प्रमुख सचिव आबकारी कल्पना अवस्थी का कहना था कि अभी तक मद्य निषेध विभाग समाज कल्याण विभाग से संचालित होता है लेकिन उसे आबकारी विभाग में लेने की तैयारी चल रही है। यह व्यवस्था होने से मद्य निषेध होगा और संतुलन बनाया जाएगा।
सरकार को 5,000 करोड़ का नुकसान
राष्ट्रीय और राजकीय राजमार्गों के आसपास तय दूरी के भीतर शराब की दुकानों पर प्रतिबंध लगाए जाने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को करीब 5,000 करोड़ रुपए राजस्व का नुकसान हुआ है। प्रदेश के आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्गों तथा राजकीय राजमार्गों के किनारे शराब की सभी दुकाने बंद होने से वित्तीय वर्ष 2016-17 में राज्य सरकार को करीब 5,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश से ये दुकानें बंद किए जाने के बाद 19 हजार करोड़ रुपए के राजस्व वसूली लक्ष्य के सापेक्ष प्रदेश के आबकारी विभाग को 14,000 करोड़ रुपए ही प्राप्त हुए हैं। उच्चतम न्यायालय के आदेश की वजह से राजमार्गों पर खुली 8,591 शराब की दुकानें प्रभावित हुई हैं 2,000 दुकानों को अभी हटाया जाना है जबकि 3,000 शराब विक्रेताओं ने अपने लाइसेंस वापस कर दिए हैं। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल एक आदेश पारित किया जिसमें पूरे देश में राष्ट्रीय और राजकीय राजमार्गों के 500 मीटर और 220 मीटर संबंधित आदेश के अनुरूपद्ध के दायरे में मौजूद शराब की दुकानें बंद करने का आदेश दिया गया। न्यायालय ने गत 31 मार्च को अपने 15 दिसंबर 2016 के आदेश को दोहराते हुए ऐसी दुकानों को एक अप्रैल तक बंद करने को कहा था। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि राष्ट्रीय तथा राजकीय राजमार्गों से 500 मीटर की दूरी तक कोई भी शराब की दुकान नहीं होनी चाहिये।
-मधु आलोक निगम