02-Feb-2018 11:08 AM
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मप्र में इन-सीटू स्लम रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को मंजूरी प्रदान की गई है, जिनमें 2172 घर बनाने का प्रस्ताव है, लेकिन अभी तक 960 घर बनाने के टेंडर इनवाइट किए गए हैं। इस बारे में मध्य प्रदेश के अधिकारियों का कहना है कि इन प्रोजेक्ट्स को लेकर डेवलपर्स रूचि नहीं दिखा रहे हैं। जबकि केंद्र की तरफ से राज्य को पहली इंस्टॉलमेंट भी दी जा चुकी है।
प्रधानमंत्री आवास योजना को पूरा करने राज्य सरकार ने पूरी ताकत लगा रखी है और कलेक्टरों को इसके लिए काम करने लगातार निर्देश देती रहती है पर पीएम एक्सीलेंस अवार्ड 2018 के लिए जो रिपोर्ट अब तक सामने आई है, उससे पता चलता है कि केंद्र्र व राज्य की प्राथमिकता वाले इस काम में कलेक्टर रुचि नहीं ले रहे हैं। इसका अंदाजा इससे लगता है कि पहले तो कलेक्टरों को इस कैटेगरी में रजिस्ट्रेशन कराने के लिए शासन स्तर से बार-बार चि_ी लिखनी पड़ी। इसके बाद रजिस्ट्रेशन तो करा लिया पर अवार्ड के लिए दावा सिर्फ सात कलेक्टरों छतरपुर कलेक्टर रमेश भंडारी, छिंदवाड़ा कलेक्टर जेके जैन, धार कलेक्टर श्रीमन शुक्ला, झाबुआ कलेक्टर आशीष सक्सेना, सिंगरौली कलेक्टर अनुराग चौधरी, विदिशा कलेक्टर अनिल सुचारी, खरगौन कलेक्टर अशोक वर्मा ने ही किया है।
खास बात यह है कि प्रदेश का कोई भी ए और बी ग्रेड का बड़ा जिला इस दौड़ में शामिल नहीं है। प्रदेश में हर व्यक्ति को मकान और जमीन देने का सपना देख रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चाहते हैं कि एक साल में पांच लाख मकान बनकर तैयार हो जाएं और जिनके पास मकान, भूमि नहीं है, उन्हें इसका हक मिले पर कलेक्टर इसको लेकर गंभीर नहीं है। आलम यह है कि अफसरों की लापरवाही के कारण प्रदेश सरकार की लगातार चौथी बार सरकार बनाने की मुहिम तेज नहीं हो पा रही है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकानों के निर्माण में हो रही देरी पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस 16 जिलों के सीईओ को फटकार लगा चुके हैं। बैस ने काम में गति लाने के निर्देश दिए है। दरअसल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के एसीएस ने ग्रामीण अंचलों में प्रधानमंत्री आवास योजना की समीक्षा की तो यह सामने आया कि जोबट, रानापुर, चितरंगी, बाग, त्योंथर, सीधी, शाहपुर, मझगवा, मेंहदवानी तथा सैलाना जनपदों में प्रधानमंत्री आवास पूर्ण करने की गति काफी धीमी है। अलीराजपुर, अपूपपुर, छतरपुर, छिंदवाड़ा, धार, डिंडौरी, गुना, खरगौन, मंदसौर, नरसिंहपुर, रायसेन, सिवनी, शहडोल, शिवपुरी और सीधी जिलों में प्रधानमंत्री आवास निर्माण की गति काफी कम हो गई है। बैस ने इन सभी जिला पंचायत और जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को शेष निर्माणाधीन आवास जनवरी, फरवरी और मार्च के लक्ष्य के अनुरुप तैयार करने में तेजी लाने के निर्देश दिए। विभागीय जानकारी के अनुसार, प्रदेश स्तर पर जहां एक माह पहले तक तीन हजार आवास प्रतिदिन के औसत से बन रहे थे यह गति कम होकर अब एक हजार आवास प्रतिदिन पर आ गई है।
हाउसिंग फॉर ऑल में देरी से सीएम नाराज
सरकारी विभाग हो या फिर कोई निकाय सभी जगह अफसरों की लापरवाही से कोई भी काम समय पर पूरा नहीं हो पा रहा है। हालात यह है कि निर्माण के लिए तय समय सीमा निकलने के बाद भी काम पूरे नहीं हो पा रहे हैं। प्रदेश में अफसरशाही के हावी होने की वजह से सरकार भी ऐसे मामलों में लापरवाह अफसरों पर कोई कार्रवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती है। यही वजह है कि केन्द्र द्वारा गरीबों को दिए जाने वाले मकानों के निर्माण का काम राजधानी में काफी पीछे चल रहा है। यह साल चुनावी वर्ष होने की वजह से सरकार की इस मामले में चिंता बढ़ गई है। सरकार की मंशा है कि उसकी योजनाएं और काम लोगों को दिखे। पर कुछ प्रोजेक्ट में तो काम ही नहीं होता दिख रहा है। गरीब और मध्यम वर्ग का घर का सपना साकार करने की योजना हाउसिंग फॉर ऑल भी इसी तरह का शिकार होने वाली योजना में शामिल है। इससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की चिंता बढ़ गई है। उन्होंने महापौर आलोक शर्मा के साथ मिलने आई नगर निगम कमिश्नर प्रियंका दास को योजना के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। एचएफए में ईडल्यूएस, एलआईजी और एमआईजी मकान बनाए जाना हैं। भोपाल नगर निगम को पहले चरण में 31,726 मकान बनाने का लक्ष्य दिया गया। इसमें 20,372 ईडल्यूएस, 8,462 एलआईजी और 2,892 एमआईजी शामिल हैं। कुछ महीने पहले 20 हजार और मकानों का टारगेट दे दिया गया। ऐसे में निगम को भोपाल में 50 हजार से ज्यादा मकानों का निर्माण करना है।
-भोपाल से बृजेश साहू