02-Feb-2018 11:06 AM
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मप्र में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में हर नेता की इच्छा है कि उसे पार्टी का टिकट मिले, लेकिन भाजपा ने बगैर चुनाव लड़े ही सत्ता का सुख भोगने वाले अपने बड़े नेताओं को टिकट नहीं देने का फैसला कर लिया है। इससे पार्टी में खलबली मच गई है। इस नीति के बनने के बाद विभिन्न निगम मंडलों और आयोग में पदाधिकारी बनकर सत्ता का सुख भोगने वाले नेताओं के चुनाव लडऩे के अरमानों पर पानी फिरना तय हो गया है। इस नई नीति के कारण निगम मंडलों में पदस्थ नेता अपना कार्यकाल पूरा होते ही पद छोडऩे का मन बना रहे थे कि प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा राजनीतिक कदम उठाते हुए निगम, बोर्ड और प्राधिकरणों में पदस्थ अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ा दिया है। इनमें से कई अध्यक्ष व उपाध्यक्ष विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार भी माने जा रहे हैं।
पार्टी के इस कदम से दर्जनभर से अधिक नेताओं की विधायकी की आस पर पानी फिर गया है। खास बात यह है कि इस मामले में जिला संगठनों को भी साफ-साफ बता दिया गया है कि वे उनके यहां चुनाव के दौरान संभावित प्रत्यााशियों के पैनल में ऐसे नेताओं के नाम न भेजें। वहीं प्रदेश संगठन द्वारा इन नेताओं ने स्पष्ट कर दिया गया है कि वे न तो टिकट मांगे और न ही टिकट पाने के लिए किसी से राजनैतिक दबाव ही डलवाएं। इसके अलावा टिकट वितरण के दौरान किसी भी तरह के शक्ति प्रदर्शन को भी संगठन द्वारा गंभीरता से लिया जाएगा, जिसमें संबंधित नेता के खिलाफ सीधे कार्यवाही की जाएगी और उनके निगम मंडल के पद भी छीने जा सकेंगे।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के कई कद्दावर नेता निगम मंडल की कुर्सियों पर काबिज हैं। एक दर्जन से ज्यादा ऐसे नेता हैं, जो निगम मंडल के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष जैसे पदों पर काबिज रहते हुए अगला विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष तपन भौमिक भोपाल के गोविंदपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। वे पिछले 2 सालों से विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यमों से मतदाताओं के बीच सक्रिय है, लेकिन सरकार ने उनका कार्यकाल बढ़ाकर यह संकेत दे दिया है कि उनको टिकट नहीं मिलेगा। इसी तरह विजेन्द्र सिंह सिसोदिया अध्यक्ष ऊर्जा विकास निगम शुजालपुर (शाजापुर), डॉ. हितेश वाजपेयी अध्यक्ष नागरिक आपूर्ति निगम होशंगाबाद, प्रदीप पटेल अध्यक्ष पिछड़ा वित्त विकास निगम मऊगंज, रीवा, भुजबल अहिरवार उपाध्यक्ष अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम बैरसिया, भोपाल, नारायण प्रसाद कबीरपंथी अध्यक्ष हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम नरियावली, सागर से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे है। वहीं पिछले करीब तीन दशक से विधानसभा टिकट की राह ताक रहे मधु वर्मा को अब जब टिकट मिलने का अंतिम मौका है तो उन्हें फिर तरीके से टिकट की दौड़ से अलग करते हुए इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम का अध्यक्ष बना दिया गया, मगर मधु वर्मा इससे नाखुश हैं। कार्यकर्ता भी पूरी तरह नाराज हैं और वे हर हाल में रास्ते से हटाए जाने वाले इस प्रपंच के खिलाफ लड़ाई लडऩा चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि मधु वर्मा भी 1983 के उस वक्त के पार्षद हैं, जब कैलाश विजयवर्गीय, ललित जैन, महेंद्र हार्डिया, तुलसी सिलावट, सज्जन वर्मा एक साथ पहली बार पार्षद बने थे। 89 में कैलाश विजयवर्गीय चार नंबर से टिकट लेने में कामयाब हुए, जबकि उस समय मधु वर्मा और लक्ष्मणसिंह गौड़ इस क्षेत्र से टिकट के सशक्त दावेदार थे। अगले चुनाव में विजयवर्गीय तो अपने गृहक्षेत्र दो नंबर लौट गए, लेकिन चार नंबर टिकट लक्ष्मणसिंह गौड़ की झोली में चला गया। तब से लगातार मधु वर्मा विधानसभा टिकट की दौड़ में थे। उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा की सरकार आई तो उन्हें आईडीए के अध्यक्ष का जिम्मा दिया गया। पार्टी संगठन ने उनको दावेदारी से हटाने के लिए चुनाव से कोई 10 महीने पहले इलेक्ट्रॉनिक विकास निगम का झुनझुना थमा दिया है, लेकिन वे इस झुनझुने को पकडऩा नहीं चाहते हैं। इसी तरह कई और नेता है जो अध्यक्षी के झुनझुने से नाखुश हैं।
इनका कार्यकाल बढ़ाया गया
निगम मंडलों और निगमों में पदस्थ जिन अध्यक्षों और उपाध्यक्षों का कार्यकाल बढ़ाया गया है उनमें राधेलाल बघेल राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, शिवप्रकाश चौबे खनिज विकास निगम, सूरज सिंह आर्य खादी ग्रामोद्योग बोर्ड, डॉ.हितेश वाजपेयी नागरिक आपूर्ति निगम, राजेंद्र सिंह राजपूत राज्य भंडार गृह निगम, रामकिशन चौहान मप्र स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेव्लपमेंट कार्पोरेशन, सैय्यद इमादउद्दीन मदरसा बोर्ड, लता वानखेड़े महिला आयोग, सुल्तान सिंह शेखावत असंगठित कामगार बोर्ड, प्रदीप पटेल पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम, गुरू प्रसाद शर्मा राज्य वन विकास निगम, ब्रजेंद्र सिंह सिसोदिया ऊर्जा विकास निगम, प्रभात साहू महाकोशल विकास प्राधिकरण, रायसिंह सेंधव राज्य पाठ्य पुस्तक निगम, अवधेश नायक राज्य पाठ्य पुस्तक निगम, भुजवल अहिरवार अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम, एसके मुद्दीन मप्र पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम, तपन भौमिक मप्र पर्यटन विकास निगम, राजेश डोंगरे मप्र पर्यटन विकास निगम, बाबूलाल सेन केश शिल्पी मंडल, गोविंद सेन केश शिल्पी मंडल, अतुल गौड़ केश शिल्पी मंडल सरोज तमर केश शिल्पी मंडल, रामदयाल प्रजापति राज्य माटी कला बोर्ड, नरेंद्र सिंह तोमर नर्मदा हाइड्रो इलेक्ट्रिक डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन, मधु वर्मा स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कार्पोरेशन, राममोहन सिंह बघेल राज्य वन विकास निगम, घासीराम पटेल खजुराहो विकास प्राधिकरण आदि शामिल हैं। इनमें से कई नेता आगामी विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं।
-नवीन रघुवंशी