02-Feb-2018 11:01 AM
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आनंदीबेन पटेल ने मध्य प्रदेश के राजभवन में जिस तरह आमद दी है उससे यह साफ हो गया है कि वह महज शोभा की वस्तु बनकर नहीं रहेंगी और ना ही वह राजभवन की चारदीवारी में कैद होंगी। वह खुद मैदान में जाकर चीजों को देखेंगी और समझेंगी। अपने परिजनों के साथ करीब 11 घंटे का रोड शो करते हुए महाकाल की नगरी उज्जैन में दर्शन पश्चात भोपाल पहुंची आनंदी बेन की धमाकेदार एंट्री चर्चा का विषय बनी हुई है।
गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल मप्र के राज्यपाल का पद संभालने के लिए अपने परिवार के 14 सदस्यों के साथ अहमदाबाद से चार्टर बस में सवार होकर निकली और उन्होंने झाबुआ जिले के पिटौल से मध्यप्रदेश में प्रवेश किया। यहां कलेक्टर आशीष सक्सेना और एसपी महेश चंद्र जैन ने उनकी आगवानी कर प्रतीक के रूप में तीर कमान भेंट किया। चार्टर बस से आ रही आनंदी बेन से यहां आग्रह किया कि वे राजभवन के वाहन में बैठ जाएं, लेकिन उन्होंने इससे इंकार कर दिया। यहां उनके स्वागत के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं का हुजूम रहा। करीब 12 घंटे का यह सफर किसी रोड शो से कम नहीं रहा।
राजधानी में आनंदीबेन ने की मप्र के राज्यपाल का पदभार संभालते ही पहले दिन उनकी सक्रियता के मायने खोजे जा रहे हैं। राजनीतिक पंडित मानते हैं कि आनंदीबेन पटेल न तो शोभा की वस्तु बनेंगी और ना ही वह रबर स्टैंप की तरह काम करेंगी। वह हर चीज को जांचेंगी, परखेंगी। उसके बाद कोई फैसला लेंगी। खुद बीजेपी के नेता मानते हैं कि आनंदीबेन आम राज्यपालों की तरह काम नहीं करेंगी। यह भी तय है कि उनकी सक्रियता सरकार पर भारी पड़ सकती है। एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक आनंदीबेन कर्मठ कार्यकर्ता हैं। उनके पास दीर्घ अनुभव है। अगर वह इसी तरह सक्रिय रहीं तो उनके अनुभव का पूरा लाभ मध्य प्रदेश को मिलेगा। वह यह बताना भी नहीं भूलते कि आनंदीबेन जिस तरह से मध्य प्रदेश आयी हैं इस तरह से पहले कोई राज्यपाल नहीं आया।
पहले दिन की गतिविधियों को देखते हुए यह भी माना जा रहा है कि आनंदीबेन मध्य प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जल्दी ही कदम उठाएंगी। उल्लेखनीय है कि कुलपतियों की नियुक्ति एवं विश्वविद्यालयों से जुड़े फैसले लेने का अधिकार राज्यपाल के पास होता है। हर राज्यपाल अपनी पसंद के कुलपति नियुक्त करता रहा है। बीच में कुछ समय ऐसा रहा जब मध्य प्रदेश में सरकार की पसंद के कुलपतियों को विश्वविद्यालयों में बैठाया गया। माना जा रहा है कि आनंदीबेन पटेल सबसे पहले विश्वविद्यालय शिक्षा में सुधार की ओर कदम उठाएंगी।
ऐसा भी कहा जा रहा है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आनंदीबेन की आंखों से मध्य प्रदेश को देखेंगे। वह उनकी भरोसेमंद साथी रहीं हैं। इसी वजह से दिल्ली जाते समय उन्हें गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया था। मध्य प्रदेश, संघ और मोदी दोनों के लिये ही महत्वपूर्ण है। इस साल विधानसभा चुनाव भी हैं। करीब सवा साल से लगभग सुप्तावस्था में चल रहा राजभवन अब गुलजार रहेगा। आनंदी बेन पटेल ने शपथ ग्रहण के बाद राजभवन में पदस्थ अफसरों को इस बात के संकेत दे दिए हैं कि वे अपनी नई पारी की शुरुआत गुजरात से प्रतिनियुक्ति पर बुलाए जाने वाले आईएएस-आईपीएस अफसरों के साथ करेंगी। गौरतलब है कि गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का विश्वास पात्र माना जाता है। गुजरात में जिन परिस्थितियों में आनंदीबेन को मुख्यमंत्री के पद से हटाया गया था उसके बाद से यह माना जा रहा था कि उनके असंतोष के सुर देखने को मिलेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं, जिसके फलस्वरूप आनंदी बेन को मध्य प्रदेश के राज्यपाल की कुर्सी पर बैठा दिया गया है। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गुजरात की संघ पृष्ठभूमि की कद्दावर नेता का राजभवन में पदस्थ होना कई राजनीतिक मायनों को जन्म दे रहा है।
शपथ लेते एक्शन मोड
शपथ लेने के बाद आनंदी बेन एक्शन मोड में आ गईं। उन्होंने यूनिवर्सिटीज को काम का कैलेंडर बनाने के निर्देश दिए। आनंदीबेन महिला बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी, बाल निकेतन और बिड़ला मंदिर भी गईं। वहां उन्होंने व्यवस्थाओं का जायजा लिया। लिंक रोड स्थित आंगनवाड़ी में किशोरियों और बच्चों को फल और मिठाई बांटकर उनसे स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ली। इस दौरान राज्यपाल ने सभी से स्वास्थ्य और स्वच्छता से संबंधित सवाल भी किए। उन्होंने यहां शौर्या दल व सबला योजना की भी जानकारी ली। आंगनवाड़ी की सुपरवाइजर पूनम सोनी ने बताया कि राज्यपाल ने लाड़ली लक्ष्मी योजना की हितग्राही अक्षिता और लावण्या को सर्टिफिकेट भी वितरित किए। वह हमीदिया रोड स्थित बाल निकेतन पहुंची राज्यपाल ने बच्चों से पढ़ाई की जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने बालगृह के 61 बच्चों और टीचर्स को फल और चॉकलेट बांटी।
-भोपाल से अजय धीर