अब तानो ऊंची बिल्डिंगें
02-Feb-2018 07:15 AM 1234828
शहर के बढ़ते दायरे और जनसंख्या की सघनता को देखते हुए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग टीओडी (ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट) पॉलिसी भी ला रहा है, जिसमें चौड़ी सडक़ों पर ज्यादा एफएआर की अनुमति रहेगी। अब जनता के साथ सरकार भी एफएआर बेचेगी। इससे मिलने वाला पैसा मेट्रो प्रोजेक्ट की फंडिंग में इस्तेमाल किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इंदौर में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट पर भी शीघ्र अमल किया जाना है। मेट्रो ट्रेन इंदौर जैसे शहर में चलाने के लिए उतनी घनी आबादी भी जरूरी है, अन्यथा प्रोजेक्ट व्यावहारिक रूप से सफल ही साबित नहीं हो सकेगा। देश में दिल्ली सहित अन्य शहरों में जो मेट्रो प्रोजेक्ट चल रहे हैं, वे भी इसीलिए घाटे में हैं, क्योंकि मेट्रो का निर्माण और संचालन महंगा पड़ता है। उतनी तादाद में रोजाना यात्री मिलना चाहिए। अभी इंदौर में सिटी बसों में एक लाख यात्री रोजाना सफर करते हैं और मेट्रो के लिए तो कम से कम 5 से 10 लाख यात्री होना चाहिए। इंदौर की आबादी भी अभी 30-35 लाख के आसपास ही है, लिहाजा आबादी का घनत्व बढ़ाने के लिए शहर के भीतर ही ऊंची बिल्डिंगें निर्मित करवाना पड़ेंगी, ताकि वाणिज्यिक और रहवासी गतिविधियां शहर से दूर न जाएं। हालांकि इंदौर के मास्टर प्लान को होरिजोंटल डेवलपमेंट के मुताबिक बनाया गया है, जिसके चलते एफएआर कम निर्धारित किया गया, जबकि इंदौर जैसे व्यावसायिक शहर में वर्टिकल डेवलपमेंट के तहत गगनचुम्बी इमारतें बनना चाहिए। हजारों करोड़ रुपए के मेट्रो प्रोजेक्ट को इसीलिए अभी तक मंजूरी नहीं मिल पाई है, क्योंकि शासन के पास फंड का इंतजाम नहीं है, लिहाजा अब इसके लिए शासन टीओडी पॉलिसी लाने जा रहा है। नगरीय विकास एवं प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल का कहना है कि अगर इंदौर में मेट्रो ट्रेन चलाना है तो टीडीआर के साथ टीओडी पॉलिसी भी लाना पड़ेगी। उनका विभाग इन दोनों पॉलिसी पर अपना काम लगभग पूरा कर चुका है, सिर्फ थोड़े-बहुत नियम बनाना बाकी हैं। पूरे प्रयास किए जाएंगे कि महीनेभर के अंदर ये पॉलिसी नोटिफिकेशन के साथ लागू हो जाए। टीडीआर पॉलिसी के तहत मध्य क्षेत्र के लोग अपने एफएआर को बेच सकेंगे और इसके लिए उन्हें नगर निगम से टीडीआर सर्टिफिकेट मिलेगा। उल्लेखनीय है कि मास्टर प्लान के मुताबिक शहर के मध्य क्षेत्र की अधिकांश सडक़ें संकरी हैं, जिन्हें नगर निगम 80 से लेकर 100 फीट चौड़ी कर रहा है, जिसका रहवासियों ने जमकर विरोध भी किया है और हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक दरवाजा खटखटाया, मगर नगर निगम को रोड चौड़ीकरण के अधिकार चूंकि बिना नकद मुआवजा दिए ही हैं और वह मुआवजे के एवज में टीडीआर सर्टिफिकेट दे सकता है, जिसका उपयोग कर जमीन मालिक किसी बिल्डर-डेवलपर को बेचकर अपनी मुआवजा राशि हासिल कर सकता है। अभी बियाबानी, सिलावटपुरा, टोरी कॉर्नर, गणेशगंज, मच्छी बाजार या ऐसे तमाम क्षेत्रों में कई लोगों के पूरे के पूरे मकान और दुकानें ही साफ हो गईं। उन्हें टीडीआर पॉलिसी का बेहतर लाभ मिल जाएगा। राजबाड़ा और उससे जुड़े घने क्षेत्रों के लोग अपने मकान, दुकान के बदले टीडीआर सर्टिफिकेट हासिल करेंगे और उसे बाजार दर पर एमजी रोड, एबी रोड, रिंग रोड, बायपास से लेकर सुपर कॉरिडोर और अन्य चौड़ी सडक़ों पर ऊंची इमारतों के निर्माण के लिए बेच सकेंगे। अरबों की जमीनें बिना फायदा दिए हड़पी एबी रोड पर जो बीआरटीएस कॉरिडोर बनाया गया है उसके लिए नगर निगम ने रोड चौड़ीकरण के नाम पर ही निजी जमीनें हासिल की हैं। इस कॉरिडोर का निर्माण तो इंदौर विकास प्राधिकरण से बतौर एजेंसी करवाया और राशि केन्द्र सरकार ने जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत दी थी। एबी रोड पर चूंकि नगर निगम ने ही नक्शों की मंजूरी मास्टर प्लान के मुताबिक दी थी, लिहाजा बीआरटीएस निर्माण के दौरान उसे कोर्ट-कचहरी का सामना भी करना पड़ा और बदले में टीडीआर के सर्टिफिकेट भी दिए गए। वाघमारे परिवार से लेकर एबी रोड पर स्थित व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, होटल और निजी बंगलों की जमीनें भी ली गईं, जिनका बाजार मूल्य 700 करोड़ रुपए से ज्यादा होता है और किसी को भी एक रुपए का नकद मुआवजा नहीं दिया गया। अब टीडीआर और टीओडी पॉलिसी आने के बाद बीआरटीएस पर भी जिन लोगों ने सर्टिफिकेट लेकर रख लिए हैं वे इसका इस्तेमाल अतिरिक्त एफएआर के रूप में कर सकेंगे। - इंदौर से विशाल गर्ग
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^