चुप्पी धमाके से कम नहीं!
02-Feb-2018 07:05 AM 1234841
प्र में पिछले 14 साल में कागजी विकास हुआ है। सरकार ने विकास के दावे तो खूब किए लेकिन मैदान पर कुछ भी नहीं दिख रहा है। अभी तक यात्रा के दौरान मैं जिन क्षेत्रों से गुजरा हूं वहां समस्या ही समस्या नजर आई। किसान, आदिवासी, आम आदमी, व्यवसायी जो भी मिला वह सरकार से पीडि़त है। यह कहना है मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का। पूरी तरह आध्यात्मिक रंग में रंगे दिग्विजय सिंह ने हमारे सवालों का जवाब खुलकर दिया। आध्यात्मिक चमक के साथ राजनीतिक धमक भी अगर यह कहा जाए कि आगामी विधानसभा चुनाव में जीत हार नर्मदा किनारे के मतदाता तय करेंगे तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा में सियासत की धमक भी है और कांग्रेस की गूंज भी। दिक्कत ये है कि भाजपा के लोग भी इसका विरोध नहीं बल्कि समर्थन ही कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह कहते हैं कि यात्रा के दौरान मुझसे कई संघ प्रचारक भी आकर मिल चुके हैं। जब उनसे पूछा गया कि विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस में क्या रणनीति चल रही है तो वे कहते हैं मैं फिलहाल राजनीति से दूर हूं। जो नेता हैं वे अपना काम करें और जैसा लगता है उस तरह की रणनीति बनाए। उधर यात्रा में दिग्विजय सिंह के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही उनकी पत्नी अमृता सिंह कहती हैं कि इस यात्रा का अलग ही अनुभव है। मुझे गांव और ग्रामीणों से मिलने और देखने का अनूठा अनुभव मिल रहा है। वह कहती हैं कि इस यात्रा के दौरान लोग उन्हें पत्तियां और मिठाई भेंट करते हैं तथा नदी किनारे स्थित मंदिरों के पुजारी जब हमें अपनी तरफ आते देखते हैं तो ‘नर्मदे हर’ का नारा लगाकर स्वागत करते हैं तो सारी थकान मिट जाती है। सवाल : प्रदेश सरकार और आप की नर्मदा यात्रा में क्या अंतर है? जवाब : मेरी यात्रा पूरी तरह आध्यात्मिक है। सरकार ने आम जनता के पैसों पर वोट बैंक के मद्देनजर यात्रा निकाली थी। मैं पग मार्ग से यात्रा कर रहा हूं। पूरी यात्रा मैं पैदल ही तय करूंगा। जबकि सरकार की यात्रा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित अन्य मंत्री और नेता केवल कुछ जगह शामिल हुए। सवाल : यात्रा के दौरान आपकी दिनचर्या क्या रहती है? जवाब : सुबह स्नान ध्यान के बाद यात्रा शुरू होती है। रास्ते में लोग आते रहते हैं और अपनी समस्याएं बताते रहते हैं। एक दिन की पूरी यात्रा में करीब पांच हजार लोगों से मिल लेता हूं। सवाल : मप्र की जीवनदायिनी नर्मदा किस स्थिति में नजर आ रही है? जवाब : घाटों का लेवल नीचे चला गया है। इनका संरक्षण नहीं हो रहा है। अवैध खनन के निशान हर जगह दिख रहे हैं। बिना रायल्टी के अवैध खनन चारों तरफ चल रहा है। सरकार के तमाम दावों के बावजूद नर्मदा सिकुड़ती जा रही है। नदी में मशीनों से बेतहाशा रूप से रेत का अवैध खनन हो रहा है और इसके लिये नदी के अंदर ही रास्ता भी बन गया है। प्रदेश की जीवनरेखा मानी जानी वाली नर्मदा नदी के लिये यह चिंताजनक स्थिति है। सवाल : नर्मदा किनारे सरकार ने साढ़े छह करोड़ पौधों का रोपण कराया था उसकी क्या स्थिति है? जवाब : अभी तक करीब 1800 किलोमीटर की यात्रा के दौरान मुझे तीन जीवित पौधे नजर आए। इसी से आप अनुमान लगा लें पौधरोपण के दावों की स्थिति क्या है। नर्मदा किनारे के किसानों और आदिवासियों की माली स्थिति खराब है। भावांतर का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसी तरह नर्मदा में मछली पकडऩे का जहां कुल 400-500 करोड़ रुपये का व्यापार होता था, वह अब घटकर मात्र 80-100 करोड़ रुपये का रह गया है। सवाल : प्रदेश सरकार के विकास के दावों की क्या स्थिति है? जवाब : आप भाजपा के 14 साल के विकास का आंकलन मेरे 10 साल से करके देख लें। इस सरकार में केवल कागजी विकास हुआ है। वर्तमान सरकार के विकास की हकीकत यह है कि किसान और मजदूर यह कहने को मजबूर हो रहे हैं कि उनके गले में सरकार ने फांसी का फंदा डाल दिया है। - राजेंद्र आगाल
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^