02-Feb-2018 06:57 AM
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आज की स्थिति में देखा जाए तो अध्यापकों की मनमानी के कारण प्रदेश की स्कूली शिक्षा रसातल में जा रही है। आलम यह है कि 1998 ये लेकर अभी तक अध्यापकों ने करीब 500 से अधिक धरना-प्रदर्शन कर सरकारों को झुकने के लिए मजबूर किया है। सरकार इनकी मांग मांगती रही है ये हर बार नई मांग के साथ मैदान में उतर जाते हैं।
दरअसल, अध्यापकों की मनमानी का यह सिलसिला 1997 में उस समय से शुरू हुआ जब तत्कालीन सरकार ने त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं को सशक्त बनाने तथा स्वशासन की इकाई के रूप में विकसित करने के लिए 73वें एवं 74वें संविधान संशोधन के उपरांत प्राथमिक, माध्यमिक एवं सेकेण्डरी शालाओं के प्रबंधन एवं संचालन का कार्य स्थानीय निकायों को सौंपा गया है। इस व्यवस्था के प्रभावशील होने के बाद शिक्षक संवर्ग में नियुक्तियां 1 जनवरी 1998 से बंद कर दी गईं और शालाओं में शिक्षाकर्मी के पद पर नियुक्तियां स्थानीय निकायों द्वारा की जाने लगी हैं। 1 अप्रैल 2007 से अध्यापक संवर्ग का गठन किया गया और नियुक्त किए गए शिक्षाकर्मियों का संविलियन अध्यापक संवर्ग के अंतर्गत समकक्ष पद क्रमश: सहायक अध्यापक, अध्यापक तथा वरिष्ठ अध्यापक के पद पर किया गया। प्रारंभिक नियुक्ति से लेकर अभी तक इस संवर्ग को राज्य शासन द्वारा समय-समय पर स्वीकृत वेतनमानों का लाभ दिया जा रहा है।
वर्ष 2001 के बाद शिक्षाकर्मी संवर्ग में नियुक्ति के स्थान पर संविदा शिक्षक की नियुक्ति निश्चित मानदेय क्रमश: 2500, 3500 एवं 4500 पर प्रारम्भ की गई। वर्तमान में यह मनदेय क्रमश: 5500, 7000 एवं 9000 है। संविदा शिक्षक नियम- 2008 के प्रावधान अनुसार संविदा शिक्षक के रूप में 3 वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण होने तथा निर्धारित अर्हता धारित करने पर इनका संविलियन अध्यापक संवर्ग में किए जाने का प्रावधान है। वर्तमान में अध्यापक संवर्ग में कार्यरत अध्यापकों की कुल संख्या लगभग 2.26 लाख है। 1 जनवरी 2016 से अध्यापक संवर्ग को छठवां वेतनमान स्वीकृत किया गया है। हाल ही में अध्यापक संवर्ग के विभिन्न संघों द्वारा अध्यापकों का संविलियन स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत किए जाने की मांग की गई। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2013 में एक सितम्बर 2017 से अध्यापकों को छठवां वेतनमान देने की घोषणा की थी। इस दौरान हर साल चार अंतरिम राहत देने का भी प्रावधान किया गया जो दिया भी गया। लेकिन इतना कुछ मिलने के बाद भी अध्यापकों ने 2016 में फिर आंदोलन किया। मुख्यमंत्री ने फरवरी 2016 में एक जनवरी 2016 से छठा वेतनमान देने की घोषणा की ओर 25 फरवरी को आदेश भी निकाल दिया गया। तब से लेकर अब तक छठे वेतनमान को लेकर चार आदेश निकल चुके हैं लेकिन अध्यापक हर बार कोई न कोई विसंगति निकालकर उसका विरोध कर रहे हैं। पहला आदेश 31 मई 16 को, दूसरा आदेश 15 अक्टूबर 16 को, तीसरा आदेश 7 जुलाई 17 और चौथा आदेश 22 अगस्त 2017 को निकाला गया। लेकिन अध्यापक इसके बाद भी नहीं माने। आखिर में 22 दिसम्बर 17 को सरकार ने इनकी सारी मांगों को उनके अनुसार मानने की घोषणा कर दी। इससे अध्यापकों के आंदोलन का मामला शांत ही हुआ था कि वे एक बार फिर आंदोलन की राह पर उतर गए और मुंडन कराकर विरोध जताया।
एक बार फिर सरकार इनके आगे झुकने को मजबूर हुई। मुख्यमंत्री ने इनके संविलियन की घोषणा कर दी। अब अध्यापकों ने 1 जनवरी 2016 से सातवें वेतनमान की मांग शुरू कर दी है। यानी चुनावी वर्ष में ये सरकार के सामने अभी और बड़ी समस्या खड़ी करने की तैयारी कर रहे हैं। उधर अध्यापकों के संविलियन से नाखुश नियमित शिक्षकों ने भी आंदोलन की राह पकड़ ली है। उन्होंने ज्ञापन देकर इसका विरोध जताया है। यह इस बात का संकेत है कि अगर सरकार बार-बार अध्यापकों के सामने झुकती रही तो आने वाले समय में सरकार के सामने परेशानी और बढऩे वाली है।
संख्या बल का दबाव
प्रदेश में जहां हर स्तर के शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों की संख्या 5 लाख है वहीं 2.24 लाख अध्यापक, 1 लाख अतिथि शिक्षक और 50 हजार संविदा शिक्षक हैं। इस तरह अध्यापकों की कुल संख्या 3.74 लाख होती है। अपने इस संख्या बल के आधार पर ये सरकार पर निरंतर दबाव डाल रहे हैं। अब अगर मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार अध्यापक संवर्ग का संविलियन स्कूल शिक्षा विभाग में नियमित संवर्ग में किया जाता है तो सरकार पर करीब 15 करोड़ का भार आएगा। अभी सरकार इन पर 8 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है। शासकीय सेवकों के समान 1 जनवरी 2016 से 7वॉ वेतनमान स्वीकृत किए जाने से 1434 करोड़ वार्षिक का अतिरिक्त व्ययभार तथा 3153 करोड़ का एरियर की राशि का भार सरकार पर आएगा। इसके अलावा चिकित्सा प्रतिपूर्ति मद में प्रतिवर्ष 15 करोड़ का व्ययभार अनुमानित है। मकान भाड़ा भत्ता मद में प्रतिवर्ष 180 करोड़, यात्रा भत्ता मद में प्रतिवर्ष 10 करोड़ का व्ययभार अनुमानित है। सातवे वेतनमान में ग्रेच्युटी मद में प्रतिवर्ष रूपये 559 करोड़ का भार पड़ेगा।
- सुनील सिंह