बेरोजगारों से ठगी
16-Jan-2018 08:28 AM 1235012
मध्यप्रदेश के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा भर्ती अभियान पटवारी भर्ती परीक्षा सरकार के लिए परेशानी का सबब बन गई है। दरअसल, प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) द्वारा कराई गई पटवारी भर्ती परीक्षा बेरोजगारों को लूटने का माध्यम बनकर रह गई। परीक्षा के दौरान जिस तरह की कोताही सामने आई है और लाखों उम्मीदवार परीक्षा से वंचित रह गए उससे पीईबी की व्यवस्था संदेह के घेर में आ गई। एक अनुमान के अनुसार इस परीक्षा में युवाओं ने करीब 500 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। उल्लेखनीय है कि चुनावी तैयारियों में जुटी शिवराज सिंह चौहान सरकार की रणनीति थी कि चुनावी साल में भर्ती परीक्षाओं का आयोजन करके उसे फायदा होगा। लोगों को नौकरियां मिलेंगी और भाजपा को वोट, लेकिन पटवारी परीक्षा मामले में कुछ उल्टा ही हो गया। सरकार से करीब 5 लाख लोग नाराज हो गए। इस दौरान कोई बड़ा हंगामा नहीं हुआ इसलिए सरकार समझती रही कि सबकुछ अच्छा चल रहा है लेकिन जो उम्मीदवार पैर पटकते हुए वापस लौटे, वो और उनके परिवारों का गुस्सा सोशल मीडिया पर साफ दिखाई दिया। हालांकि, सरकार ने खानापूर्ति के लिए महज करीब ढाई हजार लोगों की परीक्षा दोबारा ली है, ताकि लोगों की नाराजगी कुछ हद तक दूर की जा सके। वैसे रिकार्ड देखा जाए तो पहले व्यापमं और अब पीईबी द्वारा आयोजित परीक्षाएं बेरोजगारों केे साथ ठगी का कारोबार बन गई हैं। इसका ताजा उदाहरण पटवारी परीक्षा है। इसमें 9235 पदों के लिए रिकार्ड तोड़ 10 लाख आवेदकों से 500 करोड़ रुपए लूटे गए। आंकड़ों के अनुसार औसतन एक परीक्षार्थी ने 4 से 5 हजार रुपए की राशि पटवारी परीक्षा की प्रक्रिया के दौरान खर्च की। इस परीक्षा को आयोजित करने वाली घोटालेबाज और बदनाम संस्था रही व्यापमं (अब बदला नाम पीईबी) ने ही महज आवेदन फार्मों से 50 करोड़ रुपए से अधिक कमा लिए हैं। प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड ने अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के लिए 320 रुपए तथा सामान्य वर्ग के लिए 700 रुपए का आवेदन शुल्क तय किया है। इसका औसत प्रति आवेदक 500 रुपए निकलता है, जिससे 10 लाख आवेदकों ने 50 करोड़ रुपए की राशि तो व्यापमं को ही कमवा दी, तो कोचिंग संस्थाओं के साथ-साथ प्रकाशकों ने भी मॉडल पेपर, किताबें छापकर करोड़ों कूट लिए। एमपी ऑनलाइन कियोस्क संचालकों की भी खूब चांदी रही। पटवारी परीक्षा में कोचिंग संस्थानों ने भी जमकर चांदी काटी। भोपाल सहित प्रदेश के बड़े शहरों में चल रहे कोचिंग सेंटरों में पटवारी परीक्षा की तैयारी करवाई गई। तीन से चार हजार रुपए प्रति परीक्षार्थी कोचिंग का खर्चा भी जोड़ा जाए तो 300 करोड़ से अधिक का कारोबार तो कोचिंग संस्थाओं ने ही कर लिया है। वैसे भी कोटा से लेकर भोपाल की तमाम कोचिंग संस्थाएं करोड़ों-अरबों रुपया इस तरह की परीक्षाओं की तैयारी करवाने के लिए कमाती रही है, मगर पटवारी परीक्षा के रिकार्डतोड़ परीक्षार्थियों ने तो तमाम कोचिंग संस्थाओं के संचालकों को भी मालामाल कर दिया। इतना ही नहीं प्रकाशकों ने भी तगड़ा मुनाफा बटोरा। पटवारी परीक्षा के लिए भोपाल सहित प्रदेशभर में लाखों की संख्या में किताबें और मॉडल पेपर बिक गए। 50 से 100 रुपए तक की कीमत वाली इन किताबों और मॉडल पेपर से ही करोड़ों रुपए कमाए गए। ग्रामीण अर्थ व्यवस्था और पंचायती राज की दो किताबों के अलावा मॉडल पेपर सेट भी प्रकाशकों ने छापे और जमकर बेचे। इसके लिए प्रोफेनल एक्जामिनेशन बोर्ड यानी पीईबी ने कोई सिलेबस भी घोषित नहीं किया। नतीजतन प्रकाशकों ने अपने अनुभवों के आधार पर किताबें और मॉडल पेपर छापकर बेचे और 100 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार इसी में हो गया। इतना ही नहीं हजारों की संख्या में एमपी ऑनलाइन कियोस्क मौजूद हैं, जिनके माध्यम से आवेदक को इस परीक्षा के लिए ऑनलाइन अपना आवेदन पीईबी में जमा करवाना पड़ा। इसके लिए शासन ने हालांकि निर्धारित फीस तय कर रखी है, मगर एमपी ऑनलाइन कियोस्क संचालकों ने बढ़ती भीड़ को देखते हुए मनमाना शुल्क वसूल किया। नतीजतन एक अनुमान के मुताबिक पटवारी भर्ती परीक्षा ने 500 करोड़ रुपए का कारोबार बाजार को उपलब्ध करवा दिया। डेढ़ लाख वंचित परीक्षा दी ढाई हजार ने इस परीक्षा में 10 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। लेकिन 8 लाख 67 हजार उम्मीदवार ही परीक्षा दे पाए। 1 लाख 53 हजार उम्मीदवार परीक्षा नहीं दे पाए। परीक्षा न दे पाने वालों में 1 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों की संख्या ऐसी है जो शिवराज सिंह सरकार की परीक्षा व्यवस्थाओं से नाराज हैं। बायोमेट्रिक सत्यापन में काफी समस्याएं आईं। कुछ लोग शिकायतें लेकर पीईबी तक भी आए लेकिन उनकी शिकायतें ही नहीं ली गईं। पीईबी के अधिकारी बार-बार ये कहकर उम्मीदवारों को भगाते रहे कि वो परीक्षा केंद्र में देरी से आए थे। इसलिए उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया। लापरवाही बायोमेट्रिक सत्यापन में हुई और यही कारण है कि पीईबी ने ढाई हजार उम्मीदवारों की परीक्षा दोबारा ली। इससे बाकी परीक्षाथियों और उनके परिजनों में सरकार के खिलाफ आक्रोश है। उधर नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि गरीब छात्रों को इस परीक्षा से बड़ी उम्मीद थी लेकिन उम्मीद भी टूट गई। इसलिए लोगों की नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। - अजय धीर
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