16-Jan-2018 08:16 AM
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मप्र में रेरा कानून लागू हुए आठ माह हो चुके हैं। रेरा अधिनियम के अनुसार रियल एस्टेट एजेंट (ब्रोकर) बिना पंजीयन के प्रॉपर्टी से संबंधित कारोबार नहीं कर सकता। इसके बाद भी अब तक प्रदेश के सिर्फ 208 एजेंट ही रेरा में पंजीकृत हुए हैं, जबकि प्रॉपर्टी एजेंटों की संख्या प्रदेश में करीब 11 हजार है। 10792 एजेंट बिना पंजीयन ही व्यवसाय कर रहे हैं। रियल एस्टेट एजेंटों द्वारा धोखाधड़ी के मामलों की संख्या हजारों में है। इसी कारण रेरा में रियल एस्टेट एजेंटों के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान किया गया। अधिनियम की धारा 6 के तहत रेरा में पंजीयन के बाद ही एजेंट प्रापर्टी की बिक्री कर सकता है। यदि कोई एजेंट बिना रजिस्ट्रेशन के प्रापर्टी का सौदा करवाता है तो उसके खिलाफ भी जुर्माने और सजा का प्रावधान है, लेकिन न ही अधिकांश एजेंटों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है और न ही अपने प्रोजेक्ट का। फिलहाल 1502 प्रोजेक्ट का ही पंजीयन रेरा के तहत किया गया है।
रेरा पंजीयन में प्रॉपर्टी ब्रोकर की रुचि नहीं होने का प्रमुख कारण जागरूकता की कमी है। अधिकांश एजेंटों को रेरा कानून के विषय में जानकारी ही नहीं है। प्रदेश में निवेशक और खरीदार भी रेरा प्रावधानों के प्रति जागरूक नहीं है। इसी कारण रेरा में एजेंटों की शिकायत और पंजीयन की संख्या न के बराबर है। मिली जानकारी के मुताबिक 89 शिकायतों का निराकरण किया जा चुका है। वहीं एजेंटों से संबंधित 12 मामलों पर सुनवाई जारी है। जानकार मानते है कि रेरा में एजेंट रजिस्ट्रेशन फीस भी पंजीयन के लिए बड़ी अड़चन है। कम्पनी या फर्म बतौर काम वाली संस्था के लिए 50 हजार और व्यक्तिगत एजेंट के तौर पर 10 हजार रुपए फीस निर्धारित हैं। शिकायतों के आधार पर सुनवाई के बाद दोषी पाए जाने पर रियल एस्टेट एजेंट पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान रेरा कानून में किया गया है। ऐसे एजेंट पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही 1 साल तक की सजा का भी प्रावधान है।
रियलटर्स एसोसिएशन भोपाल के अध्यक्ष प्रदीप करम्बलेकर कहते हैं कि रेरा पंजीयन में जागरूकता की कमी के कारण एजेंट पंजीयन में रुचि नहीं ले रहे हैं। शासन-प्रशासन को रेरा कानून के प्रति जागरूकता के लिए अभियान चलाने की आवश्कयता है। अपंजीकृत प्रॉपर्टी ब्रोकर से लोगों को भी डील करना बंद कर देना चाहिए। रेरा सचिव चंद्रशेखर वालिम्बे कहते हैं कि रेरा में अपंजीकृत एजेंट प्रॉपर्टी से संबंधित कारोबार नहीं कर सकता। रेरा अध्यक्ष को मामले की जानकारी दी जाएगी। विचार-विमर्श के बाद ही प्राधिकरण उचित कदम उठाएगा।
रेरा की स्थिति का आंकलन इसी से लगाया जा सकता है कि प्रदेशभर के रियल एस्टेट क्षेत्र में मनमानी और धोखाधड़ी पर कार्रवाई करने वाला न्यायिक प्राधिकरण रेरा स्टाफ की कमी से जूझ रहा है। इससे रेरा में होने वाली सुनवाइयों सहित रजिस्ट्रेशन संबंधित कार्य प्रभावित हो रहे हैं। रजिस्ट्रेशन कार्य के चलते कर्मचारियों को देर रात तक काम करना पड़ रहा है। प्राधिकरण ने इस समस्या के हल के लिए पत्राचार का निर्णय लिया है। फिलहाल 1502 प्रोजेक्ट का पंजीयन रेरा के तहत किया गया है। पहले 31 दिसंबर 2017 को रेरा रजिस्ट्रेशन के लिए अंतिम तिथि तय थी। इस दौरान रेरा में करीब ढाई हजार से ज्यादा बिल्डरों और कालोनाइजर्स ने प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया। पूरी कागजी प्रक्रिया की जांच के लिए रेरा में पर्याप्त स्टाफ ही नहीं हैं। इसी कारण बीते एक सप्ताह से रेरा दफ्तर में 18 घंटे तक काम किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार रेरा में 70 कर्मचारियों की आवश्यकता है लेकिन फिलहाल यहां तमाम पदाधिकारियों को मिलाकर 28 लोगों का स्टाफ है। ऐसे में रेरा का काम लगातार प्रभावित हो रहा है।
अब 31 अप्रैल तक करा सकेंगे रेरा पंजीयन
1 मई 2016 से देश-प्रदेश में रेरा कानून लागू कर दिया गया है। अब 30 अप्रैल तक विलंब शुल्क के साथ बिल्डर और कॉलोनाइजर को अपने निर्माणाधीन अथवा नए प्रोजेक्टों का पंजीयन कराने की सुविधा दी गई है। मध्यप्रदेश रेरा प्राधिकरण के अध्यक्ष एंटोनी जेसी डीसा के मुताबिक 30 अप्रैल के बाद अगर कोई अपंजीकृत प्रोजेक्ट जानकारी में आते हैं तो फिर संबंधित बिल्डर या कालोनाइजर के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होगी, जिसके लिए रेरा कानून में धारा 59 के अलावा अन्य प्रावधान किए गए हैं। रेरा में पंजीयन नहीं कराने वाले प्रोजेक्टों को अवैध माना जाएगा। रेरा प्राधिकरण ने अपनी वेबसाइट पर पंजीकृत प्रोजेक्टों की जानकारी भी दी है और शिकायतकर्ताओं को भी कहा है कि वे ऑनलाइन अपनी शिकायतें कर सकते हैं और प्राधिकरण खुद भी समय-समय पर इन शिकायतों की सुनवाई कर निराकरण करता रहा।
- सुनील सिंह