16-Jan-2018 08:13 AM
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प्र में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसको लेकर भाजपा और कांग्रेस ने सभी स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को जीतना दोनों पार्टियों का लक्ष्य है। इसके लिए चुनावी बिसात बिछाई जा रही है। संगठन से लेकर मैदानी स्तर तक जमावट की जा रही है। ऐसे में दोनों पार्टियों ने अपने वर्तमान प्रदेश अध्यक्षों पर विश्वास जताया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान को भाजपा सुप्रीमों अमित शाह ने यथावत रहने के आदेश दिए हैं। जबकि पीसीसी चीफ अरुण यादव पर भी कांग्रेस आलाकमान ने भरोसा जताया है। दोनों ही नेताओं की बादशाहत बरकरार रहेगी। हालांकि दोनों का कार्यकाल संतोषजनक नहीं रहा है। इसलिए भविष्य में बदलाव को नकारा नहीं जा सकता।
मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष के बदलाव को लेकर लंबे समय से कयास लगाए जा रहे हैं। बीते दिनों जब संघ प्रमुख मोहन भागवत उज्जैन की यात्रा पर थे और उनसे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के अलावा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान सहित अन्य नेताओं ने मुलाकात की तो यह चर्चा चल पड़ी थी कि नंदकुमार सिंह चौहान का बदला जाना तय है, और इसे लेकर अटकलों का दौर शुरु हुआ और कैलाश विजयवर्गीय के नाम की चर्चा तेज हो गई, मगर खुद विजयवर्गीय ने अपने आप को प्रदेश वापसी से दूर रहना बताया। विजयवर्गीय ने कहा कि वे वापस प्रदेश नहीं लौट रहे हैं। उधर खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह साफ कर दिया कि नंदकुमार सिंह चौहान हटाए नहीं जा रहे हैं। उन्होंने इस बात को खारिज करते हुए कहा कि वे अध्यक्ष बने रहेंगे। मुख्यमंत्री ने उनके इस्तीफे दिए जाने या फिर हटाए जाने की बातों को निराधार बताया।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी साफ कर दिया है कि सभी प्रदेशों के प्रदेश अध्यक्ष अपने-अपने पदों पर बने रहेंगे। इसके साथ ही कांग्रेस की क्षेत्रीय कमेटियां और अन्य कमेटियों के पदाधिकारी भी बने रहेंगे। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनते ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नए चेहरे की चर्चाएं सरगर्म होती चली थीं। लेकिन उस पर विराम लग गया है। गांधी ने साफ कर दिया है कि मप्र के प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव फिलहाल नहीं बदले जाएंगे।
यादव हैं भी भाग्य के धनी। प्रभावी पिता के बेटे थे, लिहाजा विरासत में सियासत मिल गई। पिता के असर से सांसद भी बन गए। कम उम्र के थे, इसलिए राहुल गांधी की टीम में शामिल हो गए। केंद्रीय मंत्री बने। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार विदा हुई तो मध्यप्रदेश इकाई में अध्यक्ष बना दिए गए। इन अटकलों को गर्भ में आए नौ महीने से अधिक का समय हो चुका है यादव कभी भी इस पद से हटाए जा सकते हैं। इन चर्चाओं के बाद से राज्य में कांग्रेस प्रसूति वाली असहनीय पीड़ा से गुजर रही है। लेकिन यादव को फिर अगले आदेश तकÓ अभयदान मिल गया है। राज्य में कांग्रेस भले ही आईसीसीयू में पहुंचने की कगार पर आ गई हो, उसे सियासी ऑक्सीजन की लगातार कमी हो रही हो, चाटूकारिता में पगी सियासी शकर के चलते वह टाइप-1 डाइबिटीज की चपेट में आ गई हो, लेकिन यादव फिलहाल सुरक्षित रहेंगे। इसे किस्मत नहीं तो और क्या कहते हैं?
बेचारे कमलनाथ का कोहेफिजा स्थित बंगला आज अपनी दशा पर आंसू बहा रहा होगा। यादव को हटाने की सुगबुगाहट होते ही इस बंगले को किसी दुल्हन की तरह सजा दिया गया था। इधर, ग्वालियर में महल की परिक्रमा करने वालों के जयकारे भी तेज हो गए थे। लेकिन बंगला तो बारात के लौटने वाली दुल्हन की तरह आहत है और ग्वालियर का महल निश्चित ही हाय हमारे श्रीमंत!Ó के चीत्कार से गूंज रहा होगा। लेकिन भाग्य को कौन टाल सकता है। अरुण यादव के भाग्य ने तमाम कयासों पर विराम लगा दिया है। अब देखना यह है कि क्या दोनों पार्टियां इन्हीं पुरानी मोहरों से लड़ाई लड़ेगी या कोई बदलाव होगा।
सिंधिया चुनाव जिताएंगे, सरकार दिग्विजय बनाएंगे
मध्यप्रदेश में आ रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सीन बदलता हुआ नजर आ रहा है। पिछले दिनों दिल्ली में हुई एक मीटिंग में तय किया गया कि कांग्रेस मप्र मेंं बिना सीएम कैंडिडेट के चुनाव लड़ेगी। अब सवाल यह है कि कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया का क्या होगा। माना जा रहा है कि सिंधिया को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया जाएगा। सीएम शिवराज सिंह से सीधा मुकाबला सिंधिया का ही होगा परंतु कांग्रेसी पंडितों का गणित कहता है कि कांग्रेस जीती तो सरकार दिग्विजय सिंह ही बनाएंगे। सीएम वही होगा जिसे दिग्विजय सिंह चाहेंगे। कांग्रेस में गुटबाजी ने अपना रंग दिखा दिया है। पिछले दिनों नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा था कि मप्र में सीएम कैंडिडेट घोषित करने की परंपरा नहीं है। इसके बाद एक कार्यक्रम में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को सीएम कैंडिडेट बनाने की मांग की गई। यह उस वक्त हुआ जब माना जा रहा था कि अरुण यादव को पद से हटाया जा सकता है। इस मांग के बाद खबर आई कि यादव प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे। मप्र में कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया सीएम कैंडिडेट के लिए बड़े दावेदार थे परंतु अब सीन बदलता नजर आ रहा है।
-रजनीकांत