तैयारी 2019 की!
16-Jan-2018 08:11 AM 1234814
भारतीय राजनीति के लिहाज से साल 2018 काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। इस साल देश के अलग-अलग आठ राज्यों में विधानसभा का चुनाव होने वाला है। इन विधानसभा चुनाव परिणाम का सीधा असर देश की राजनीति पर पड़ेगा। क्योंकि 2019 की बड़ी लड़ाई से ठीक पहले इन चुनाव नतीजों से देश के लोगों के मूड का पता चल जाएगा। 2018 में बह रही बयार अगले साल आने वाली आंधी की आहट का एहसास करा देगी। हालांकि 2017 के आखिर में बीजेपी के लिए गुजरात और हिमाचल प्रदेश से बेहतर परिणाम आया है। बीजेपी के लिए 2018 की चुनौती का सामना करने के लिए 2017 के परिणाम ने ताकत भी दी है। लेकिन, इस ताकत का बीजेपी ने कितना बेहतर इस्तेमाल किया यह तो इस साल में ही पता चलेगा। दूसरी तरफ, कांग्रेस की कमान संभालने के बाद राहुल गांधी के लिए भी इन आठ राज्यों का चुनाव एक कड़ा इम्तिहान लेकर आएगा। गुजरात में पार्टी पहले की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद राहुल गांधी के बढ़े मनोबल के साथ बीजेपी पर हमलावर लग रहे हैं। कांग्रेस की टीम राहुल की रणनीति भी बीजेपी को उसी की रणनीति से मात देने की हो रही है, जिसमें वो सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल रहे हैं। लेकिन, इसका कितना असर होगा यह 2018 के विधानसभा चुनाव परिणाम से तय हो जाएगा। जिन आठ राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें चार उत्तर पूर्व राज्य हैं। मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड में मार्च में विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके पहले यहां चुनाव संभव है। जबकि, कर्नाटक में 28 मई को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में कर्नाटक में अप्रैल-मई में चुनाव कराए जा सकते हैं। दूसरी तरफ, मिजोरम, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी इस साल के आखिर में विधानसभा का चुनाव होना है। आईए एक-एक कर हर राज्य में चुनावी संभावनाओं का आंकलन करते हैं। नागालैंड में नागाल पीपुल्स फ्रंट की सरकार है। टी आर जेलियांग के नेतृत्व में बनी इस सरकार को बीजेपी का भी समर्थन है। यानी नागालैंड में एनडीए का ही मुख्यमंत्री है। 2013 में एनसीपी के चार विधायकों में से तीन विधायकों ने बीजेपी में शामिल होने का फैसला कर लिया था और बीजेपी सरकार को समर्थन दे रही है। नागालैंड में नागालैंड लोकतांत्रिक गठबंधन नाम से इस वक्त बीजेपी का गठबंधन है। इस बार भी बीजेपी की कोशिश है कि नॉर्थ-ईस्ट के इस राज्य में भगवा परचम लहराया जाए। दरअसल बीजेपी के एजेंडे में नॉर्थ ईस्ट काफी उपर है। बीजेपी की रणनीति लोकसभा चुनाव को लेकर भी यही है कि ज्यादा तादाद में इन इलाकों से सीटें जीती जाएं। फिलहाल, असम, अरूणाचल प्रदेश और मणिपुर में बीजेपी की सरकार है। पार्टी को लगता है कि बाकी राज्यों में भी अगर उसकी सरकार बन जाए तो लोकसभा चुनाव में उसको सीधा फायदा मिलेगा। कर्नाटक में तो अप्रैल-मई में चुनाव होने हैं लेकिन, बीजेपी ने चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है। दो नवंबर से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कर्नाटक में 75 दिनों तक चलने वाली नव कर्नाटक निर्माण परिवर्तन रैली की शुरुआत कर दी है। इसका नेतृत्व प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बी एस येदुरप्पा कर रहे हैं जिन्हें अगले चुनाव में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया गया है। पांच साल बाद बीजेपी सिद्धरमैया के नेतृत्व में चलने वाली कांग्रेस की सरकार से सत्ता छीनने की तैयारी में है। मध्यप्रदेश में 2003 से ही लगातार बीजेपी की सरकार है। यहां नवंबर-दिसंबर में चुनाव संभव है। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले 12 सालों से लगातार मुख्यमंत्री हैं। मामा के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान की लो प्रोफाइल छवि और उनके कामों को लेकर पार्टी से लेकर जनता के बीच उनकी पैठ बरकरार है। लेकिन, 15 साल की एंटीइंकम्बेंसी फैक्टर को लेकर कांग्रेस की भी उम्मीद बढ़ गई है। कांग्रेस मध्यप्रदेश में इस बार व्यापमं समेत कई घोटाले को मुद्दा बनाने की तैयारी में है। लेकिन, उसके लिए असल चुनौती ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच की गुटबाजी खत्म करने की होगी। छत्सीगढ़ में भी 2003 से ही बीजेपी की सरकार है। यहां भी नवंबर-दिसंबर में ही चुनाव होना है। यहां लगातार तीन बार से रमन सिंह ही मुख्यमंत्री हैं। आदिवासी बहुल इस राज्य में बीजेपी इस बार भी सरकार बनाने की पूरी कोशिश करेगी। लेकिन, कांग्रेस यहां भी सत्ता विरोधी रूझान का फायदा उठाने की फिराक में है। छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस के लिए रमन सिंह के खिलाफ किसी दमदार चेहरे की कमी खल रही है। राजस्थान में विधानसभा चुनाव मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ ही साल के आखिर में होना है। लेकिन, राजस्थान में कांग्रेस की तरफ से इस बार बीजेपी को तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। 2013 में कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद सत्ता में आई बीजेपी के लिए इस बार काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वसुंधरा राजे के नेतृत्व में पिछली बार बीजेपी ने राज्य की 200 में से 163 सीटों पर जीत हासिल की थी। कुल मिलाकर 2018 का विधानसभा चुनाव 2019 के फाइनल के पहले सेमीफाइनल के तौर पर ही देखा जा रहा है। सेमीफाइनल में जीतने वाला ही फाइनल में बढ़े मनोबल के साथ मैदान में उतरेगा। बीजेपी को पूर्वोत्तर से उम्मीद गुजरात चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी को उम्मीद नहीं है कि 2014 के लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन 2019 में दोहराया जा सकेगा। बीजेपी को भी पता है कि अगर लोकसभा में बीजेपी को 2014 का प्रदर्शन दोहराना है तो पूर्वोत्तर राज्यों में उसे बेहतरीन प्रदर्शन करना होगा। यही कारण है कि बीजेपी पूर्वोत्तर में पहली बार असम जीत से खुले द्वार से सभी राज्यों में अपनी मजबूत पकड़ बनाना चाहती है। देश के इतिहास में पहली बार 1 जनवरी को दो पूर्वोत्तर की भाषाओं असमी और मणिपुरी में भी प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट शुरू की गई है ताकि भाषाई आधार पर भी पूर्वोत्तर को मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। वर्ष 2014 में बीजेपी में देश के पांच राज्यों गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड में क्लीन स्वीप की थी लेकिन गुजरात चुनाव के नतीजों के बाद बीजेपी को उम्मीद नहीं है कि यह प्रदर्शन 2019 में दोहराया जा सकेगा, जिसकी भरपाई बीजेपी पूर्वोत्तर के 7 राज्यों से करना चाहती है जिसका आधार इस साल मिजोरम, मणिपुर और त्रिपुरा के विधानसभा चुनावों में जीत के साथ रखना चाहती है। मोदी-शाह का मिशन नॉर्थ-ईस्ट! गुजरात के नतीजों के बाद पार्टी को समझ आ गया है कि अगर 2019 में नॉर्थ इंडिया ने झटका दिया तो नॉर्थ-ईस्ट ही बीजेपी को उबार सकता है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का ताजा नॉर्थ-ईस्ट दौरा कई मायने में बेहद अहम है। बीजेपी को ये तो मालूम है कि 2019 में भले ही सीटों की संख्या के मामले में वो 2014 की बराबरी कर ले, लेकिन जीती हुई सीटों पर दोबारा जीत मिलेगी ही इसकी बहुत कम संभावना है। बहुमत का आंकड़ा हासिल करने के लिए बीजेपी को जरूरी सीटें जीतनी ही होंगी। यही वजह है बीजेपी दो फैक्टर पर एक साथ काम कर रही है - एक, वे सीटें जहां बीजेपी का वोट शेयर 2014 में हार के बावजूद बढिय़ा रहा - और दूसरा, पूर्वोत्तर के राज्यों में चुनाव जीतना। बीजेपी के कांग्रेस मुक्त अभियान के तहत दो राज्य - मेघालय और मिजोरम उसके टारगेट में हैं। साथ ही, कोशिश त्रिपुरा में भी जोड़-तोड़ कर सहयोगियों के साथ सरकार बनाने की है। मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में इसी साल चुनाव होने वाले हैं। बीजेपी इन्हीं राज्यों की लोक सभा सीटें जीत कर भरपाई करने की कोशिश में है। नॉर्थ-ईस्ट के दौरे पर अमित शाह पूरी टीम के साथ निकले हैं। इस टीम में शाह के साथ नेडा यानी नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलाएंस के संयोजक हिमंता बिस्वा सरमा और बीजेपी महासचिव राम माधव हैं। दो साल पहले गठित नेडा में पूर्वोत्तर के गैर कांग्रेसी दल गठबंधन का हिस्सा हैं। इनमें पूर्व स्पीकर पीए संगमा की नेशनल पीपल्स पार्टी, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट, असम गण परिषद और नागा पीपुल्स फ्रंट जैसे राजनीतिक दल शामिल हैं। बीजेपी इन्हीं दलों के साथ सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर की गठबंधन सरकारों में पार्टनर है। - रेणु आगाल
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^