16-Jan-2018 08:07 AM
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संसद का शीतकालीन सत्र आज खत्म हो गया और इसी के साथ बजट सत्र तक तीन तलाक बिल भी अटक गया। राज्यसभा में तीन तलाक बिल पर सहमति नहीं बन पाई। तीन तलाक बिल को लेकर शुक्रवार को भी राज्यसभा में हंगामा हुआ। कांग्रेस का कहना है कि वो महिला सशक्तिकरण के लिए इस बिल के पक्ष में है, लेकिन सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए उसने कहा कि इस बिल को संशोधन के लिए सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए। राज्यसभा में एनडीए के पास संख्या बल कम होने के चलते इस बिल के इसी सत्र में पास होने के आसार कम ही थे।
तीन तलाक रोकने के लिए पेश किया गया मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2017 लोकसभा में तो पास हो गया है, लेकिन अब मोदी सरकार के सामने इसे राज्यसभा में पास करवाने की एक बड़ी चुनौती है। क्योंकि राज्यसभा में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है। ऐसे में उसे आगामी सत्र में बिल को पास कराने के लिए अपनी विरोधी पार्टी कांग्रेस का साथ चाहिए। माना जा रहा है कि बीजेपी के नेता इस बाबत कांग्रेस नेताओं से बातचीत कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस अचानक सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल पड़ी है। ऐसे में वह राज्यसभा में इस बिल को लेकर सरकार के खिलाफ ज्यादा मुखर नहीं होगी। ऐसा होता है तो मोदी सरकार का काम आसान हो जाएगा।
मोदी सरकार ने तीन तलाक के खिलाफ बिल लाकर कांग्रेस को फंसा दिया है। कांग्रेस असमंजस में फंस गई। सुप्रीम कोर्ट ने गत 22 अगस्त को तलाक-ए-बिद्दत को असंवैधानिक करार दे दिया था। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कानून बनाने की सिफारिश भी की थी। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि हमें पूरा विश्वास है कि कांग्रेस लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में भी तीन तलाक बिल पर हमारा साथ देगी और हम बिल को संसद से पारित कराने में कामयाब रहेंगे।
लोकसभा में भले ही यह बिल पास हो गया हो लेकिन अभी इसको राज्यसभा में पास कराना भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण है। लोकसभा में बीजू जनता दल, अन्नाद्रुमक, सपा और तृणमूल कांग्रेस समेत कई राजनीतिक पार्टियों ने तीन तलाक बिल का विरोध किया था। हालांकि इन दलों के सांसद सदन में बिल में संशोधन प्रस्ताव पर वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रहे जिसका फायदा भाजपा को हुआ लेकिन राज्यसभा में भाजपा का बहुमत नहीं है। ऐसे में बिल को पास कराने के लिए दूसरे दलों के साथ की जरूरत है। 245 सदस्यीय राज्यसभा में राजग के 88 सांसद (भाजपा के 57 सांसद सहित), कांग्रेस के 57, सपा के 18, बीजू जनता दल के 8 सांसद, अन्नाद्रुमक के 13, तृणमूल कांग्रेस के 12 और एनसीपी के 5 सांसद हैं, अगर सरकार को अपने सभी सहयोगी दलों का साथ मिल जाता है, तो भी बिल को पारित कराने के लिए कम से कम 35 और सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। ऐसे में बिल को पास कराने के लिए भाजपा को कई पार्टियों के सहयोग की जरूरत पड़ेगी।
कई मुस्लिम देशों में है प्रतिबंधित
भारत में भले ही इसे खत्म करने पर बहस चल रही हो पर पड़ोसी पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और श्रीलंका समेत 22 मुस्लिम देश इसे कब का खत्म कर चुके हैं। दूसरी ओर भारत में मुस्लिम संगठन शरीयत का हवाला देकर तीन तलाक को बनाए रखने के लिए हस्ताक्षर अभियान से लेकर अन्य जोड़तोड़ में लग गए हैं। मिस्र ने सबसे पहले 1929 में ही तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया था। मुस्लिम देश इंडोनेशिया में तलाक के लिए कोर्ट की अनुमति जरूरी है। ईरान में 1986 में बने 12 धाराओं वाले तलाक कानून के अनुसार ही तलाक संभव है। इराक में भी कोर्ट की अनुमति से ही तलाक लिया जा सकता है। संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, कतर, बहरीन और कुवैत में भी तीन तलाक पर प्रतिबंध है।
-एस.एन. सोमानी