16-Jan-2018 08:09 AM
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दुनिया में हिंदू आबादी वाले तीन सबसे बड़े देशों में बांग्लादेश का नाम शामिल है। इसमें पहले स्थान पर भारत है- जहां करीब 97 करोड़ हिंदू आबादी है। इसके बाद नेपाल का नंबर है- जहां करीब ढाई करोड़ हिंदू आबादी है। इसके बाद बांग्लादेश का नंबर है- जहां करीब डेढ़ करोड़ हिंदू रहते हैं, लेकिन आज बांग्लादेश हिंदुओं की कब्रगाह बनता जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में बांग्लादेश में 107 हिंदुओं की हत्या हुई है। यह भारत के लिए भी चिंता का विषय है।
पिछले कुछ समय से भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में जिस तरह से हिंदुओं के खिलाफ हिंसा बढ़ी है उसने ना सिर्फ भारत की चिंता बढ़ा दी है बल्कि इससे यह संकेत भी मिलने लगे हैं कि हमारे पड़ोसी देश में हिंदू संकट में हैं। बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं ने अब अपना अस्तित्व बचाने के लिए भारत से गुहार लगाई है। इन लोगों का कहना है कि जिस तरह से बांग्लादेश में दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन आईएसआईएस के झंडाबरदारों की जमात बढ़ी है अब वहां पर हिंदू खतरे में हैं। दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी हिंदू आबादी भारत के पड़ोसी बांग्लादेश में लगातार घट रही है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू अब भारत से मदद की आस लगाए हैं। बांग्लादेश के हालात की यही हकीकत और भारत से मदद की आस इन हिंदुओं को दिल्ली खींच लाई है।
बांग्लादेश में हिंदू आबादी किस तरह से कम हुई है। ये देखकर आप चौंक जाएंगे। वर्ष 1947 में भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के वक्त बांग्लादेश को पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था और वहां हिंदू आबादी करीब 28 फीसदी थी। 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद 1981 में वहां जो पहली जनगणना हुई; उसमें हिंदू आबादी सिर्फ 12 फीसदी रह गई। इसके बाद बांग्लादेश में वर्ष 2011 में जो जनगणना हुई उसके मुताबिक हिंदू आबादी 9 फीसदी से भी कम रह गई है। बांग्लादेश की हिंदू संघर्ष समिति के प्रमुख शिपन कुमार बसु, बांग्लादेश जातीय हिंदू महाजोत के कार्यकारी अध्यक्ष सुकीर्ती मंडल जैसे पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के आरोप हैं कि हिंदू मारे जा रहे हैं, उनकी जमीनें छीनी जा रही हैं, मंदिर तोड़े जा रहे हैं और महिलाओं की अस्मत लूटी जा रही है। बांग्लादेश में कहते हैं कि हिंदू रहेगा तो वोट देगा, भागेगा तो जमीन और औरत देकर जाएगा। बांग्लादेशी पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुकीर्ति मंडल का कहना है कि हालात तेजी से खराब हो रहे हैं, हम क्या करें। हम यहां आएं हैं ताकि भारत से मदद मांगे। यहां के लोगों को बताएं कि बांग्लादेश में हिंदू आबादी कैसे हालात में है।
भारत सरकार भी बांग्लादेश के हालात पर चिंता तो जताती है लेकिन हिंदुओं की रक्षा के लिए उस पर दबाव नहीं बना पाती है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि जिस बांग्लादेश में जहां कभी एक-तिहाई आबादी हिंदू थी वहां अब हिंदुओं की संख्या घटकर 10 फीसदी से कम रह गई है। आजादी के बाद यह इलाका पहले पूर्व पाकिस्तान बना तो हिंदुओं पर अत्याचार हुए और वो अपनी जमीन छोड़ शरणार्थी बनने को मजबूर हुए। 1971 में भारत की मदद से बने बांग्लादेश में भी हिंदुओं का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि भारत में लगातार घुसपैठ बढ़ती जा रही है। भारत सरकार को हिंदुओं पर हो रहे हमलो को गंभीरता से लेते हुए बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाना चाहिए। वर्ना बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं का पलायन भारत पर बोझ बनेगा। इससे अराजकता का माहौल भी निर्मित होगा।
बांग्लादेश को मुस्लिम देश बनाने की कोशिश
बांग्लादेश के मुसलमानों का एक वर्ग दिन-प्रतिदिन कट्टर हिंदू विरोधी होता जा रहा है। दरअसल वे गैर मुस्लिमों को भगाकर बांग्लादेश को मुस्लिम देश बनाने की कोशिश में हैं। उनमें से कई तो यह मानते हैं कि गैर मुसलमानों पर अत्याचार करने से शबाब मिलता है। आतंकवादियों का भी यही मानना है कि काफिरों को धारदार हथियार से काटकर हत्या करने पर शबाब और साथ ही जन्नत भी मिल जाती है। बांग्लादेश में पिछले साल मार्च में हिंदुओं को फंसाने के लिए दाऊदकांदी के कुछ मुसलमान इतने उन्मादी हो गए थे कि उन्होंने एक मदरसे में जाकर कुरान पर गंदगी छींट दी थी। अच्छा यह हुआ कि हिंदुओं के घरों को आग लगाने से पहले ही यह खुलासा हो गया कि यह हरकत हबीबुर्र रहमान और उसके साथियों ने की थी। ऐसे गुंडों के खिलाफ धार्मिक मुसलमानों ने गुस्से का कोई इजहार क्यों नहीं किया? जैसे बांग्लादेश में हिंदू विरोधी मुसलमानों की संख्या बढ़ रही है वैसे ही भारत में मुस्लिम विरोधी हिंदुओं की संख्या बढ़ रही है। इनकी कोशिश यह है कि बांग्लादेश हिंदू मुक्त देश बने ताकि यहां केवल मुस्लिम ही रहे।
-बिन्दु माथुर