टैक्स सुधार या घोटाला
01-Jan-2018 10:51 AM 1234860
भी तक देखा जाता रहा है कि विश्व के देश अमेरिका की नकल करने की कोशिश करते हैं, लेकिन इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नक्शे कदम पर चलते हुए अपने देश में बड़ा टैक्स सुधार किया है। अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट ने टैक्स सुधार विधेयक को पारित कर दिया है। इसे अमेरिका का तीन दशक से अधिक समय में सबसे बड़ा टैक्स सुधार माना जा रहा है। साथ ही यह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहली महत्वपूर्ण विधायी जीत है। इस सुधार के जरिए धनी और कंपनियों को लाभ पहुंचाने की आलोचनाओं के बीच संशोधित टैक्स कानून को सदन ने बहुमत से पारित किया। सीनेट ने 1500 अरब डॉलर के टैक्स विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसमें कंपनियों के लिए स्थायी छूट और लोगों को अस्थायी तौर पर टैक्स से राहत देने के प्रावधान हैं। यह अमेरिकी टैक्स कानून में 1986 के बाद सबसे बड़ा बदलाव है। विधेयक पार्टी के आधार पर पारित हुआ। जहां सीनेट में रिपब्लिक पार्टी के सभी सांसदों ने इसका समर्थन किया, वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी ने इसके विरोध में मत दिया। प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष सांसद पॉल रेयान ने कहा, कई साल के काम के बाद हम वृद्धि अनुकूल सबसे बड़े टैक्स सुधार को लागू करने जा रहे हैं। अमेरिकी नागरिकों को जल्द ही टैक्स बोझ से राहत मिलने की उम्मीद है। इस टैक्स बिल के मुताबिक लोगों और कंपनियों को टैक्स में राहत दी जाएगी। व्यक्तियों पर लगने वाले सबसे ऊंचे टैक्स को 39.6 फीसदी से घटाकर 37 फीसदी किया जाएगा और कॉर्पोरेट टैक्स रेट 35 फीसदी से घटाकर 21 फीसदी किया जाएगा। उधर, अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं और भारतीय-अमेरिकी सांसदों ने अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पारित कर विधेयक को कर घोटला करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह बच्चों के भविष्य को चौपट कर देगा, मध्यमवर्गीय परिवारों को नुकसान पहुंचाएगा और इससे केवल एक प्रतिशत कॉरपोरेट को फायदा होगा। डेमोक्रेटिक पार्टी के सभी सदस्यों ने कर सुधार विधेयक के खिलाफ वोट किया। इस विधेयक को अमेरिका का तीन दशक से अधिक समय में सबसे बड़ा टैक्स सुधार माना जा रहा है। साथ ही यह सत्ता में आने के बाद राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की पहली महत्वपूर्ण विधायी जीत है। डेमोक्रेटिक नेता नैंसी पेलोसी ने पार्टी सदस्यों के रुख को स्पष्ट करते हुए कहा, शीर्ष एक प्रतिशत लोगों और अमेरिकी कॉरपोरेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाला जीओपी कर घोटला हमारे बच्चों के भविष्य को लूटता है और मध्यमवर्गीय लोगों को नुकसान पहुंचाने वाला है। व्हाइट हाउस में मनाए गए जश्न पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि पेनसिल्वेनिया एवेन्यू में शैंपेन खोली जा रही है। अमेरिका में सिर्फ दो ही जगह- व्हाइट हाउस और ट्रंप टावर सहित कॉरपोरेट कंपनियों के दफ्तर-ऐसे हैं जहां शैंपेन का जश्न मनाया गया है। बाकी अमेरिकी इस पर अफसोस मना रहे हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी के दूसरे नेता चक शूमर ने एक सम्मेलन में कहा कि कर छूट रोजगार सृजन की ओर नहीं ले जाती। यह विधेयक बड़े-बड़े सीईओ और अमीर लोगों को फायदा देगा। वहीं, भारतीय-अमेरिकी डेमोक्रेट राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि कर विधेयक कर्ज में वृद्धि करेगा। नौकरी करने वाले परिवारों के लिए कर को बढ़ाएगा और स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को अस्थिर करेगा। यह कानून एक कर बम की तरह है, जिसकी वजह से लाखों मध्यमवर्गीय परिवारों को अगले दशक में करों में वृद्धि देखने को मिल सकती है। अमेरिका पर वर्तमान समय में 1300 लाख करोड़ का कर्जा है जो एक दशक में 97 लाख करोड़ और बढ़ जाएगा। उधर, एनडीएए-2018 में पेंटागन से भारत के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए एक दूरदर्शी रणनीति विकसित करने के लिए भी कहा गया है जो वर्तमान उद्देश्यों और लक्ष्यों पर आधारित हो और भारत के साथ स्थायी रक्षा संबंधों को विकसित करने के लिए परस्पर इच्छा को रेखांकित करे। इसके मुताबिक दोनों देशों को अफगानिस्तान के साथ करीब से काम करना होगा ताकि क्षेत्र में स्थिरता लाई जा सके। इसमें लक्षित संरचनात्मक ढांचों का विकास और आर्थिक निवेश, देश में क्षमताओं के फासलों की पहचान करने के माध्यम और बेहतर मानवीय आपदा राहत सहयोग मुहैया कराना शामिल है। अमेरिकी कांग्रेस ने वर्ष 2017 के रक्षा बजट में भारत को बड़े रक्षा सहयोगी के तौर पर चिन्हित किया था। भारत पर कैसा असर! अमेरिका में ट्रंप सरकार ने बड़ा टैक्स रिफॉर्म किया है। अमेरिकी संसद सीनेट में टैक्स सुधार विधेयक पास हो गया है जिसके तहत कॉरपोरेट टैक्स 35 फीसदी से घटकर 21 फीसदी होगा। इसके अलावा छोटे कारोबारी और इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स के लिए भी टैक्स में कटौती होगी। इतना ही नहीं विधेयक में इनहेरिटेंस टैक्स में कमी, चाइल्ड टैक्स क्रेडिट को बढ़ाने और ओवरसीज प्रॉफिट पर कम टैक्स लगाने की बात है। ये विधेयक 51-48 से पारित हुआ और ये अमेरिकी टैक्स कानून में 1986 के बाद सबसे बड़ा बदलाव है। रिपब्लिकंस का कहना है कि टैक्स में कटौती से अमेरिका की इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा। यूएस टैक्स रिफॉर्म का भारत पर असर की बात करें तो टैक्स रिफॉर्म के बाद अमेरिका निवेश के लिए सबसे आकर्षक देश बनेगा। भारत में काम करने वाली अमेरिकी कंपनियों को अब घाटा होगा। यूएस के मुकाबले भारत में ज्यादा कॉरपोरेट टैक्स देना होगा। यूएस में काम करने वाली भारतीय कंपनियां दोबारा रणनीति बनाएंगी। यूएस में कमाए पैसे को भारत में लाने से भारतीय कंपनियां बचेंगी। भारतीय आईटी, फार्मा कंपनियों पर सबसे बड़ा असर होगा। भारत जैसे दूसरे इमर्जिंग देश भी टैक्स घटाने पर मजबूर होंगे। जानकार कह रहे हैं कि अमेरिका में कॉरपोरेट टैक्स घटने से भारतीयों की मुश्किलें बढ़ेंगी। -अरविंद नारद
FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^