गठबंधन की फांस
16-Jan-2018 08:04 AM 1234779
प्रदेश में करीब डेढ़ दशक के बाद कांग्रेस को सत्ता में वापसी की संभावना दिख रही है। पार्टी के रणनीतिकारों को यह भी मालूम है कि फिलहाल वे प्रत्यक्ष तौर पर भाजपा से मुकाबला करने के लिए सक्षम नहीं है। इसलिए वे गठबंधन का गणित का रास्ता खोज रहे हैं। ऐसे में यह संभावना सामने आई है कि भाजपा को मात देने के लिए इस बार कांग्रेस व बहुजन समाज पार्टी एक साथ मिलकर विधानसभा के चुनाव में उतर सकते हैं। इसके लिए दोनों ही दलों के रणनीतिकारों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू करने की तैयारियां की जाने लगी हैं। इसके लिए कांग्रेस संगठन से लेकर पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के बीच सैद्धांतिक रूप से मन बना लिया है। यह खबर भाजपा के लिए चिंतादायक है। दरअसल भाजपा को यह मालूम है कि विंध्य, बुंदेलखण्ड और ग्वालियर चंबल संभाग में बसपा अधिक मजबूत है। अगर कांग्रेस और बसपा में गठबंधन हो जाता है तो वह भाजपा की जीत की राह में फांस बन सकता है। प्रदेश के ग्वालियर-चंबल और रीवा संभाग की कई सीटों पर बसपा का काफी प्रभाव है। इन सीटों पर अगर कांग्रेस व बसपा मिलकर चुनाव मैदान में उतरती है तो आसानी से भाजपा प्रत्याशियों को पराजित किया जा सकता है। गौरतलब है कि कांग्रेस और बसपा के वोट बंटने के कारण ग्वालियर, चंबल और रीवा संभाग की करीब दो दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटों पर दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ता है। पिछले तीन विधानसभा चुनावों को देखें तो बसपा की ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, रीवा व सतना जिलों में दो से लेकर सात सीटों पर जीत हुई है। मगर भिंड, मुरैना, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, दमोह, रीवा, सतना की कुछ सीटों पर दूसरे स्थान पर रहकर पार्टी ने अपनी ताकत दिखाई है। जिन सीटों पर बसपा ने जीत हासिल की वहां 0.35 फीसदी से लेकर करीब 11 फीसदी वोटों के अंतर से प्रतिद्वंदी प्रत्याशियों को शिकस्त दी है। ऐसे में अगर दोनों पार्टियों में गठबंधन होता है तो भाजपा के लिए परेशानी की बात है। विधानसभा चुनाव की रणनीति बनने पर बसपा के साथ सीटों के बंटवारे पर चर्चा करने पर सभी सहमत हैं। हाल ही में 2017 के भिंड और सतना जिलों के दो उपचुनाव में बसपा प्रत्याशी के नहीं खड़े होने पर कांग्रेस ने भाजपा को मात भी दी है। जिसके बाद से ही कांग्रेस अब भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए इस मामले में गंभीरता से विचार कर रही है। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने बातचीत में यह स्वीकार किया है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए बसपा से बातचीत की जाना चाहिए। चर्चा से दोनों दलों को फायदा होगा। इसी तरह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन महामंत्री चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी कहते हैं कि विधानसभा चुनाव में बसपा के साथ बातचीत की जा सकती है। बसपा का जिन सीटों पर प्रभाव है, उनको लेकर दोनों पक्षों की चर्चा होना चाहिए। उधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में जो विकास हुआ है उससे हमें भरोसा है कि चौथी बार प्रदेश में हमारी सरकार बनेगी। जातिगत समीकरणों पर चुनावी बिसात कोलारस व मुगावली में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्तारुढ़ दल भाजपा को लगने लगा है कि वह विकास के नाम पर जीत हासिल नहीं कर सकती है, जिसकी वजह से उसके रणनीतिकारों की नजर जातिगत समीकरण पर लग गई है। भाजपा की रणनीति को देखते हुए अब कांग्रेस भी उसी के दांव से पटकनी देने की तैयारी में जुट गई है। चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के पहले ही कोलारस व मुगावली विस क्षेत्रों में अभी से गुजरात चुनाव की झलक दिखाई देने लगी है। भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस की तरफ से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख दांव पर है। इसलिए दोनों नेता बराबर इन क्षेत्रों में सक्रिय हैं। - श्याम सिंह सिकरवार
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