मजदूरी की गारंटी नहीं
16-Jan-2018 07:56 AM 1234806
मनरेगा आई तो थी गरीबों के लिए आजीवका की गारंटी बन कर, लेकिन सरकार और नौकरशाही के नकारापन ने इसे ऐसा बना दिया है कि अब इसमें न तो काम मिल रहा है और न ही मजदूरी। इसका आंकलन इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार ने मनरेगा में पिछले 3 महीने से 3670 लाख मजदूरी और 24112 लाख रु. सामग्री का भुगतान नहीं किया, जिससे हर सरपंच पर लगभग 10-12 लाख रुपये का कर्ज हो गया है। सरकारी रवैये के कारण ग्रामीणों की दिलचस्पी मनरेगा के प्रति घटी है, क्योंकि न रोजगार की गारंटी हैं और न ही मजदूरी की। मनरेगा अब अविश्वासÓ का शिकार हो गया है, जिसके पर्याप्त कारण हैं। एक बार लोगों का विश्वास किसी योजना से उठ जाएं, तो उसे बहाल करना बड़ा मुश्किल होता है। आने वाली किसी भी सरकार के लिए यह आसान नहीं होगा। आलम यह है कि केन्द्र सरकार की अति महत्वकांक्षी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्य करने वाले मजदूरों को करीब तीन माह से मजदूरी भुगतान नहीं मिला है। इस कारण मजदूर परेशान हो रहा है तथा पलायन करने मजबूर है। प्रदेश के 51 जिलों में से करीब दो दर्जन जिलों में मनरेगा के तहत काम ठप्प पड़े है। बालाघाट, झाबुआ, मंदसौर, बुरहानपुर, खण्डवा, शिवपुरी, श्योपुर, छतरपुर, मंडला आदि जिलों में मनरेगा मजदूरों ने काम करना बंद कर दिया है। बालाघाट के कटंगी जनपद अंतर्गत आने वाली सभी ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को मजदूरी के लिए भटकना पड़ रहा है। मनरेगा योजना से होने वाले विकास कार्यों का भुगतान नहीं होने से पंचायतों के जनप्रतिनिधियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं पंचायत सचिव तथा रोजगार सहायक मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं। इन पंचायत कर्मियों को जहां मजदूरों ने परेशान कर रखा है। वहीं मनरेगा के कामों की सामग्री का भुगतान नहीं आने से ठेकेदार, ग्रामीण, लाभार्थी और सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक भी परेशान है। ग्रामीणों को मनरेगा योजना से बनने वाले शौचालयों का भुगतान भी नहीं हो पाया है। दरअसल, राज्य सरकार द्वारा किए गए बेहिसाब खर्च से इस वित्तीय वर्ष में प्रदेश करोड़ों रुपए के कर्ज तले डूबा हुआ है। जिससे प्रदेश सरकार की आर्थिक स्थिति बहुत बदतर हो गई है। सरकारी खजाने में धन की कमी होने से मनरेगा सहित अन्य लोक कल्याणकारी योजनाएं अटक गई हैं। कटंगी जनपद की 81 पंचायतों में करीब 15 हजार से भी अधिक जॉबकार्डधारी है। जो मनरेगा योजना से होने वाले निर्माण कार्यों में मजदूरी करते हैं। इसके अलावा पंचायतों में मनरेगा योजना से तमाम प्रकार के विकास कार्य भी होते हैं। जिनका भुगतान नहीं हो पा रहा है। सरपंच संघ अध्यक्ष आंनद बरमैया ने बताया कि तिरोड़ी पंचायत में सैकड़ों मजदूरों का भुगतान रूका हुआ है। यहीं हाल सभी पंचायतों का भी है। मनरेगा का भुगतान रुकने से पंचायतों में सरपंच-सचिव तथा रोजगार सहायक परेशान हो रहे है। जिसकी शिकायत जनपद, जिला स्तर के अधिकारियों से की गई। लेकिन सभी जगह से केवल आश्वासन और एक मात्र जवाब मिल रहा है कि राज्य सरकार के माध्यम से पैसा जमा नहीं हो रहा है। सीईओ जनपद कटंगी बीपी श्रीवास्तव कहते हैं कि राज्य सरकार की ओर से राशि जारी नहीं हो पा रही है पूरे प्रदेश में इसी तरह के हालत है शीघ्र ही राशि आंवटन होने की उम्मीद है। कई जिलों में काम ठप्प राज्य के कई जिलों में मजदूरों को मजदूरी नहीं मिलने से काम ठप्प पड़ गए हैं। झाबुआ जनपद की 68 पंचायतों के 127 गांव और लगभग 635 फलियों में कई योजनाओं के मैदानी हाल इन दिनों खस्ता हैं। वजह यह है कि कई योजनाएं बंद जैसी हो रही हैं। मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना में मजदूरी के पैसे तो मिल रहे हैं, लेकिन सामग्री के 68 लाख रुपए बकाया हो गए है। ऐसे में पंचायती राज की नाकामी समझी जाने वाली इस योजना से पंचायत सरपंच व सचिव भय खा रहे है। पंच परमेश्वर के भरोसे ग्राम पंचायतें अब ज्यादा हैं, क्योंकि इसमें पैसा आ रहा है। उधर सरकारी दावा 400 से अधिक कार्य चलने का व लगभग 3 हजार लोगों को मजदूरी मिलने का किया जा रहा है। पंच परमेश्वर योजना में पहले केवल सीसी रोड जैसे काम ही हाथ में लिए जा रहे थे। औसतन इस योजना में 5 से 8 लाख रुपए मिल जाते है। अब शासन ने नवीन संशोधन करते हुए अन्य कार्यों को भी इसमें जोड़ा हैं। संशोधन आदेश अभी सभी जगह नहीं पहुंच पाया है। - अरविन्द नारद
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